छन्नूलाल मिश्रा के संगीत घराने हरिहरपुर में दादरा-ठुमरी गाने वाले युवा आरकेस्ट्रा में गाने को मजबूर

Update: 2016-10-09 12:59 GMT
musicians in hariharpur

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

हरिहरपुर (आजमगढ़)। यहां किसी घर से सुबह-सुबह दादरी की आवाज़ आती है तो किसी के घर से डुमरी की। कोई बांसुरी पर तान छेड़ता है तो कोई तबले पर ताल देना नजर आता है। दिल्ली से करीब 800 किलोमीटर दूर बसे हरिहरपुर में जन्मे संगीतकारों का नाम सात समुंदर पार तक है। दुनिया इसे संगीतकारों के गांव के नाम से जानती है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में यहां का युवा शास्त्रीय संगीत से मुंह मोड़ने कर आरकेस्ट्रा चलाने लगा हैं।

शास्त्रीय संगीत के रियाज से शुरू होती है सुबह

उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 14 किमी दूर पल्हानी तहसील के गाँव हरिहरपुर के लोगों के सुबह की शुरुआत शास्त्रीय संगीत के रियाज से होती है। पंडित छन्नू लाल मिश्रा (पद्म भूषण), पंडित समता प्रसाद, पं शारदा महाराज, पंडित गणेश प्रसाद मिश्र, पंडित पन्नालाल मिश्रा, भोलानाथ मिश्रा, अंबिका प्रसाद मिश्रा जैसे कलाकारों को देने वाले हरिहरपुर घराने के कलाकारों को आज बेहतर शिक्षा सुविधाओं की कमी से अपनी विरासत को आगे ले जाने में कठिनायी हो रही है।

कहानी भी बहुत दिलचस्प है

हरिहरपुर घराने के पीछे कहानी भी बहुत दिलचस्प है। गाँव के उदय शंकर मिश्र जो खुद भी शास्त्रीय गायक के साथ ही सूफी भी गाते हैं, बताते हैं, "आजमगढ़ की स्थापना यहां के जमींदार आजम खां ने किया था, जो खुद भी बहुत बड़े संगीतज्ञ के साथ ही संगीत प्रेमी भी थे। कहते हैं कि एक बार उन्होंने प्रतियोगिता रखी की जो उन्हें शास्त्रीय संगीत में मात देगा, उसे अपना आधा राजपाट दे देंगे।"

कई दिग्गज आए लेकिन उन्हें हरा न पाए

वो आगे बताते हैं, "देश भर से कई बड़े दिग्गज आए लेकिन उन्हें न हरा पाए, जो भी हार जाता उसका कान-नाक काट देते है। तब उनके पास हरि नामदास और सूरनामदास के दो भाई आए। जिन्होंने उन्हें आखिर में उन्हें मात दे दी। तब आजम खां ने कहा कि आधा राज्य ले लो। तब उन्होंने मना कर दिया। तब उन्हें 989 ब बीघा का एक क्षेत्र दे दिया। बड़े भाई के नाम पर गाँव का नाम हरिहरपुर पड़ गया। उन्हीं दोनों भाइयों के वंशज आज उनकी कला को आगे ले जा रहे हैं।"


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बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक कलाकार

हरिहरपुर घराने में पांच साल के बच्चे से लेकर पचास साल के बुजुर्ग कलाकार हैं। यहां पर तबला, ढोलक, हरमोनियम, पखावज, सितार जैसे वाद्य यंत्रों के जानकारों के साथ ही खयाल, ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती के भी गायक हैं। आज यहां पर लगभग चालीस घर मिश्रा परिवार के हैं, कोई सितार में उस्ताद है तो कोई तबला, तो कोई हारमोनियम बजाने में। यहां हरिहरपुर घराने में पांच साल के बच्चे से लेकर पचास साल के बुजुर्ग कलाकार हैं। यहां पर तबला, ढोलक, हरमोनियम, पखावज, सितार जैसे वाद्य यंत्रों के जानकारों के साथ ही खयाल, ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती के भी गायक हैं।

हमारे फायदे की बात करता है

"कई संस्थाएं आयी, कई बड़े-बड़े लोग आए, लेकिन हमें क्या दिया नहीं पता, जो भी आता है, हमारे फायदे की बात करता है, लेकिन खुद का फायदा करा कर चला जाता है।" अड़तालीस वर्षीय उदय शंकर मिश्र बोलते-बोलते भावुक हो जाते हैं। कभी-कभी तबला बजाने में माहिर उदय शंकर मिश्र एक अब हाथ से तबला बजाते हैं। साल 2008 दिल्ली में एक प्रोग्राम में गए उदय शंकर मिश्रा का एक्सीडेन्ट हो गया। कई दिन बाद होश आया तो एक पैर कट गया था और एक हाथ भी किसी काम का नहीं बचा था।


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पत्रकारों से बात नहीं करते

उदय शंकर मिश्रा किसी पत्रकार से नहीं बात करना चाहते हैं, वो कहते हैं, "कितने ही टीवी अखबार वाले आते हैं, सब खबर बनाकर चले जाते हैं, हमें क्या मिलता है। आज मेरे पास रहने को छत नहीं है, अपने भाई के लड़कों को सिखाकर उनके घर में रहता हूं।" उदय शंकर मिश्रा के भतीजे दीपांकर मिश्रा अब जागरण ग्रुप और आर क्रेस्टा चलाते हैं, दीपांकर कहते हैं, "हमारे घराने का नाम है, लेकिन घराने के नाम पर तो घर नहीं चल नहीं सकता, इसलिए अपना जागरण ग्रुप बना लिया है।" जागरण ग्रुप चलाने वाले दीपांकर अपने बच्चों को शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दे रहे हैं। वो बताते हैं,"हमारे पास अब यही काम बचा है, हर बार यही सुनने को मिलता है कि ये योजना आ रही है, वो योजना आ रही है, लेकिन हम तक कोई योजना नहीं पहुंचती है।"

हरिहरपुर गाँव को बनाया जा रहा टूरिस्ट प्लेस

आजमगढ़ जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार इसे टूरिस्ट प्लेस बनाने की शुरुआत कर रही है। हरिहरपुर को टूरिस्ट प्लेस बनाने के लिये एक करोड़ रुपये मिल चुके हैं। जिले के ही मुबारकपुर के सिल्क और निजामाबाद के ब्लैक पॉटरी को भी जोड़कर एक क्राफ्ट्सेल विकसित करने की योजना है। रुरल टूरिज्म के तहत यहां की हवेलियों और घरों को ऐसे विकसित किया जाएगा कि वहां टूरिस्ट आकर रुक सकें। पर्यटन विभाग को उम्मीद है ऐसे न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि कलाकारों की भी आमदनी बढ़ेगी।

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