दीपावली में बच्चों ने भी जाना, क्यों जरूरी है मिट्टी के दिये जलाना

Update: 2016-10-30 14:47 GMT
बच्चों ने मिट्टी के दियों को सजाया।

कम्यूनिटी जनर्लिस्ट: रेखा गौतम

शिवराजपुर (कानपुर नगर)। कानपुर नगर से 35 किलोमीटर दूर शिवराजपुर ब्लॉक के प्राथमिक और उच्च माध्यमिक स्कूल में पढ़ने वाले हजारों छात्र-छात्राओं ने दीपावली के अवसर पर यह प्रढ़ किया कि हम पटाखे नहीं जलाएंगे और वातावरण को प्रदूषण मुक्त बनाएंगे। इतना ही नहीं, इस मौके पर बच्चों ने रंगोली बनाई और मिट्टी के दिये जलाकर ये सन्देश दिया कि हम आपस में मिल-जुल कर रहें और शांतिपूर्वक दिवाली मनायें।

मिट्टी के दियों में दीप जलाना मनाते हैं शुभ

बच्चों ने पटाखे न जलाने का लिया प्रण।

प्राथमिक विद्यालय खोदन की प्रधानाध्यपिका माधुरी पाल का कहना है कि इस बार बच्चों ने ये संकल्प लिया कि वो आतिशबाजी का प्रयोग नहीँ करेंगे और सिर्फ मिट्टी के दिए ही जलायेंगे। माधुरी पाल आगे बताती हैं कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग अभी भी अपनी पुरानी परम्परा को बनाये हुए हैं। आज भी गाँवों में दिवाली में मिट्टी के दिए ही जलाये जाते हैं और इन्हें ही शुभ माना जाता है।

क्या बोले बच्चे

बच्चों ने बनाई सुंदर रंगोली।

पूर्व माध्यमिक स्कूल में कक्षा 7 में पढ़ने वाली प्रांजलि बताती हैं कि आज हम सब सहेलियों ने मिलकर रंगोली बनाई। एक-दूसरे के गले मिले। जिन सहेलियों से नाराज थे, उनसे भी गले मिले। हमेशा आपस में मिल-जुल कर रहेंगे, ऐसा वादा हमने एक-दूसरे से किया। प्रांजलि आगे बताती हैं कि इस बार मैं फुलझड़ी नहीँ जलाऊंगी क्योंकि इससे प्रदूषण फैलता है और पैसे की बर्बादी होती है, ये मेरी मैम ने बताया है। शिवराजपुर ब्लॉक के हजारों बच्चे इस बार दिवाली पर पटाके नहीं जलायेंगे और प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाएंगे।

इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं दीये से रोशन

बच्चों के लिए रंगोली बनाने में शिक्षकों ने भी दिया साथ।

कमालपुर स्कूल की प्रधानाध्यापिका शशी कला का कहना है कि दिवाली से पहले मिट्टी के दिए में सरसो का तेल डाल कर दीपक जलाएं। उन्होंने बच्चों को ये सन्देश दिया कि सरसों के तेल के दीये जलाने से बरसात की नमी से जो कीटाणु होते हैं, वो कीटाणु इस दीये की रोशनी से समाप्त हो जाते हैं।

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