जर्जर पंचायत भवन में भला कैसे हो बैठक

Update: 2016-11-07 18:08 GMT
बाराबंकी के किला बेलहरी गाँव में जर्जर पड़ा है ग्राम पंचायत भवन।

कम्यूनिटी जर्नलिस्ट: वीरेंद्र सिंह

बाराबंकी। गाँवों और ग्रामीणों की दशा सुधारने के लिए सरकार हर ग्राम पंचायत में ऐसे भवनों का निर्माण करवाती है, जहां ग्रामीण और ग्राम प्रधान गाँवों की समस्या और विकास के मुद्दों पर सभा का आयोजन करते हैं और उसके निवारण की रूपरेखा बनवाई जाती है। मगर उत्तर प्रदेश के कई ऐसे जिले हैं, जहां गाँवों में ग्राम पंचायत तो बनी हैं, लेकिन उनका उपयोग नहीं हो रहा है। ऐसे में उनकी देखरेख नहीं हो पा रही है और भवन जर्जर हो गए हैं। ऐसा ही एक मामला बाराबंकी जिले के किला बेलहरी गाँव में बना पंचायत भवन भी है।

किला बेलहरी गाँव के ग्राम पंचायत भवन का हाल

बाराबंकी जिला मुख्यालय से 48 किमी दूर दरियाबाद ब्लॉक के किला बेलहरी गाँव में लगभग चार वर्ष पहले लाखों रुपए की लागत से ग्राम पंचायत भवन बनवाया गया था। ग्राम सचिव के कार्यालय के साथ ही ग्राम स्तर पर होने वाली बैठकों के लिये एक सभागार व कक्ष का निर्माण कराया गया था। पेयजल के लिए एक हैंडपम्प भी लगाया गया था। आवारा जानवर न घुस जाएं इसके लिए चहारदीवारी भी बनवाकर गेट लगाया गया था।

ग्रामीण बताते हैं हाल

ग्रामीण किशोर तिवारी (43 वर्ष) बताते हैं, "कई वर्ष पहले सचिवालय बनने के बाद गाँव मे होने वाली बैठकें इसी भवन में आयोजित की जाती थी, लेकिन रखरखाव के अभाव में भवन जर्जर हो गया है। अब तो कोई इसकी ओर देखने वाला नहीं है। दीवार कई जगह टूट चुकी है। गेट का एक हिस्सा चोर तोड़कर उठा ले गये हैं। अन्दर की खिड़किया व दरवाजे भी गायब हो चुके हैं। इस समय वहां की दशा बहुत खराब हो गई है और नल में पानी भी नहीं आ रहा है।"

तब बैठक के लिए प्रधान के घर जाते हैं ग्रामीण

इसी गाँव के निवासी रामआसरे (52 वर्ष) बताते हैं, ''यहां पर बैठक के नाम पर सिर्फ मजाक होता है। सिर्फ कागजों पर ही बैठक होती है। भवन के रखरखाव के लिए आने वाला पैसा भी भवन के रखरखाव में नहीं लगाया जाता। जानवरों का डेरा लगा रहता है। जब कोई बैठक होती है तो लोग प्रधान के घर जाते हैं।"

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