आगरा में #स्वयंफेस्टिवल ने कराया आरटीआई से परिचय

Update: 2016-12-20 15:19 GMT
गाँव के बड़े-बुजुर्गों ने ईमानदारी की पत्रकारिता के लिए गाँव कनेक्शन अखबार की सराहना की।

स्वयं डेस्क

स्वयं फेस्टिवल : दूसरा दिन। आयोजन स्थल : आगरा का खंदोई ब्लाक का पैसई प्राथमिक विद्यालय

आगरा के खंदोई ब्लाक के पैसई प्राथमिक विद्यालय में वैसे तो रोज चहल-पहल रहती है लेकिन शनिवार का दिन कुछ खास था। गाँव कनेक्शन फाउंडेशन की चौथी वर्षगांठ के इस उत्सव में भाग लेने के लिए आसपास से बड़ी संख्या में लोग आए थे।

कार्यक्रम की शुरुआत में बुजुर्गों के लिए आरटीआई सत्र हुआ। इसमें आरटीआई सत्र में वकील रोहित अग्रवाल ने बताया गया कि अगर कोई जानकारी मांगनी हो तो कैसे मांगी जाए। सरकारी विभाग कितने दिन में उनकी मांगी गई सूचना उपलब्ध कराएगा।

आरटीआई सत्र में भाग लेते गाँव के बड़े-बुजुर्ग।

कार्यक्रम की शुरुआत में गाँव के बुजुर्गों को गाँव कनेक्शन अखबार भी दिया गया। इनमें ज्यादातर लोग अखबार के बारे में पहले से जानते थे। लोगों ने बड़ी तन्मयता से गाँवों की खबरें पढ़ीं। उन्होंने अखबार में छापी जा रही जनोपयोगी खबरों की काफी तारीफ की। साथ ही अखबार के ले आउट को भी सराहा।

क्या है आरटीआई?

आरटीआई सूचना का अधिकार है। इसे भारतीय संसद ने 12 अक्तूबर 2005 को एक कानून के तौर पर लागू किया था। यह कानून भ्रष्टाचार के खिलाफ देशवासियों के लड़ने का हथियार था। इसके तहत कोई भी नागरिक सरकारी रिकार्ड या प्रपत्रों में दर्ज सूचना मांग सकता है। जम्मू-कश्मीर में यह सूचना का अधिकार अधिनियम 2012 के अंतर्गत लागू है।

ग्रामीण भारत के पहले अखबार को लोगों ने बड़े उत्साह से पढ़ा।

क्यों बना कानून?

1976 में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा था कि भारत एक लोकतंत्र है। लोग यहां मालिक हैं। उन्हें यह जानने का अधिकार है कि सरकार उनके लिए क्या कर रही है। हर नागरिक टैक्स देता है। बाजार में बिकने वाले साबुन तक पर टैक्स लगता है। इसलिए नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि उनका पैसा कहां खर्च हो रहा है। इसलिए सूचना का अधिकार हमारे मौलिक अधिकारों में से एक है। दरअसल अफसर सूचना मांगने पर हीलाहवाली करते थे इसलिए इसे कानून का रूप दिया गया।

सत्र शुरू होने से पहले आओ देखें क्या छपा है।

ये हक देता है सूचना का अधिकार

1-सरकार से कोई भी सूचना मांग सकते हैं

2-किसी भी सरकारी फैसले की प्रति मांगी जा सकती है

3-किसी भी सरकारी दस्तावेजे का इंस्पेक्शन कर सकते हैं

4-किसी भी सरकारी कार्य का इंस्पेक्शन कर सकते हैं

5-किसी भी सरकारी कार्य में इस्तेमाल सामान के नमूने की जानकारी मांगी जा सकती है

कैसे मिलेगी सूचना

इसके लिए आपको जन सूचना अधिकारी के पास आवेदन करना होगा। हर विभाग में यह अधिकारी रहता है। आवेदन करने के बाद वह तय समय में आप के द्वारा मांगी गई सूचना उपलब्ध कराएंगे। केंद्र ने करीब 650 डाकघरों में अपर जन सूचना अधिकारी बनाए हैं जहां आप अपना आवेदन फीस के साथ जमा कर सकते हैं। इसके बाद डाकघर आपका आवेदन संबंधित विभाग तक भेज देगा।

क्या फीस है?

आरटीआई आवेदन के लिए 10 रुपए फीस जमा होती है। अलग-अलग राज्य में यह अलग-अलग है। दो रुपए प्रति सूचना पृष्ठ केंद्र के विभागों को अदा करना होता है। दस्तावेजों के निरीक्षण के लिए भी फीस लगती है।

दंड का प्रावधान?

अगर जन सूचना अधिकारी आवेदन स्वीकार नहीं करता तो उसे डाक से भेजा जा सकता है। इसके अलावा इसकी शिकायत सूचना आयोग को अनुच्छेद 18 के तहत करें। सूचना आयुक्त उस अफसर पर 25 हजार रुपए का दंड लगा सकता है।

आवेदन कैसे करें?

एक साधारण कागज पर अपना आवेदन लिखे और इसे जन सूचना अधिकारी के पास खुद जाकर दें या डाक से भेज दें। इसकी प्रति अपने पास जरूर बचाकर रखें। आपको वांछित सूचना 30 दिन के अंदर मिलेगी। ऐसा न होने पर सूचना आयोग संबंधित अफसर पर अर्थदंड लगाएगा।

आरटीआई सत्र जैसे ही शुरू हुआ भीड़ तेजी से बढ़ने लगी।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

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