मेरठ में इस साल दोगुनी हुई गेहूं की खरीद 

Update: 2017-06-24 11:44 GMT
हर साल बंटता है 80 हजार मीटिक टन गेहूं। 

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

मेरठ। बंपर गेहूं खरीद होने की वजह से इस बार उत्तर प्रदेश सरकार को हरियाणा एवं पंजाब से गेहूं खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अफसरों का कहना है कि अपने यहां हुई गेहूं की उपज से ही प्रदेश के गरीबों का पेट भर जाएगा। खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत आवंटित होने वाले गेहूं का जिले में बिल्कुल भी कमी नहीं पड़ेगी।

देश में गेहूं उत्पादन में पंजाब हरियाणा व उत्तर प्रदेश का प्रमुख नाम है। जानकार बताते हैं कि गेंहू अधिक होने के बावजूद सूबे में कमी इसलिए पड़ जाती है, क्योंकि यहां बेहद अधिक जनसंख्या है। अफसरों का कहना है कि इस बार ऐसा संकट नहीं झेलना पड़ेगा। क्योंकि पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुनी खरीद इस बार हुई है। इसलिए उत्तर प्रदेश गरीबों का पेट भरने में स्वयं सक्षम है।

जिला विपणन अधिकारी अरविंद कुमार कहते हैं, “इस बार गेहूं की अच्छी खरीद हुई है, सारा अनाज गोदामों में सुरक्षित रखा गया है। जरूरत पड़ने पर दूसरे जिलों को भी गेहूं दिया जा सकता है।”

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हर साल बंटता है 80 हजार मीट्रिक टन गेहूं

खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत मेरठ में सस्ते गल्ले की करीब 1600 दुकानों को गेहूं एवं चावल का हर माह वितरण किया जाता है। यहां से गेहूं का वितरण अन्य कार्ड धारकों को होता है। इसमें यदि गेहूं वितरण की स्थिति देख ली जाए तो करीब 80 हजार मीट्रिक टन गेहूं हर साल कार्ड धारकों को बंटता है।

पैसे और समय दोनों की होगी बचत

पिछले तीन सालों से गेहूं की कमी पड़ने पर दूसरे राज्यों से गेहूं मंगाना पड़ता था। जिसकी वजह से कई बार गेहूं के समय पर न पहुंचने पर गरीबों को विभाग का मुंह ताकना पड़ता था। इस बार गेहूं की अच्छी पैदावार होने की वजह से उत्तर प्रदेश सरकार को दूसरे राज्यों में भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी। जिसकी वजह से पैसे एवं समय दोनों की बचत होगी।

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