यूपी : SDM दुद्धी ने लिखा जिलाधिकारी को पत्र, “गांव की जमीन ही नहीं, कहां हो रहा विकास”

Update: 2017-09-03 18:17 GMT
कार्यालय खंड विकास अधिकारी

सोनभद्र। म्योरपुर विकास खंड की 25 राजस्व गांवों में विकास पर तत्काल रोक के लिए एसडीएम दुद्धी ने जिलाधिकारी समेत अन्य अधिकारियों को पत्र लिखा है। आईजीआरएस पर शिकायत के निस्तारण के क्रम में उपजिलाधिकारी ने 25 राजस्व गांवों में जमीने एनसीएल, एनटीपीसी, अनपरा तापीय परियोजना और रिहंद बांध द्वारा अधिग्रहित करने की बात कही गई है।

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सौ फीसदी तक अधिग्रहित इन जमीनों पर विकास कार्य भी परियोजनाओं के द्वारा ही किया जा रहा है। ऐसे में एसडीएम ने ग्राम पंचायत से होने वाले विकास कार्यों पर तत्काल रोक की बात कही है। समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) के माध्यम से हेमंत मिश्रा उत्तर रामलल्लू ने कोटा ग्राम पंचायत में एनसीएल की भूमि पर ग्राम पंचायत द्वारा विकास कार्य किए जाने की शिकायत की थी मामले की जांच उपजिलाधिकारी दुद्धी को सौंपी गई थी।

शिकायत के निस्तारण के क्रम में एसडीएम ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि 25 राजस्व ग्राम में अधिकतर भूमि का अधिग्रहण परियोजनाओं द्वारा कर लिया गया है। इसलिए इस गांव में ग्राम पंचायत निधि से विकास की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने राजस्व गांव के नाम सहित भूमि अधिग्रहण का प्रतिशत भी जिलाधिकारी समेत अन्य अधिकारियों को भेजा है। इन ग्रामों में चिल्काडाँड़, कोटा, खड़िया, बीना, बरवानी, बांसी, रेहटा, ककरी, अनपरा, डोडहर, सिरसोती, बीजपुर, डिबुलगंज,परसवार राजा, परसवार चौबे, परसवार बाबु, कोरौहलिया में सौ प्रतिशत, बेलवादह की 99 प्रतिशत, गरबंधा की 95 प्रतिशत, कोहरौल, मर्रक, योगीचौरा की 90 प्रतिशत, परासी 70 प्रतिशत और औडी 60 प्रतिशत तथा पिपरी 50 प्रतिशत भूमि एनटीपीसी, एनसीएल, रिहंद बांध व अनपरा तापीय परियोजना द्वारा अधिग्रहित कर ली गयी है।

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एसडीएम भानुप्रताप सिंह ने शिकायत को सही ठहराते हुए अधिग्रहित भूमि पर औद्योगिक संस्थाओं द्वारा सीएसआर के धन से विकास कार्य कराए जाने की बात लिखी है। एसडीएम ने जिलाधिकारी मुख्य विकास अधिकारी एवं खंड विकास अधिकारी को इससे संबंधित पत्र लिखकर बजट पर रोक लगाकर सरकारी धन के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने की बात कही है। इस पत्र के बाद संबंधित ग्राम पंचायतों में हड़कंप की स्थिति है। उपजिलाधिकारी भानुप्रताप सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर औद्योगिक संस्थाओं से सीएसआर के तहत उक्त ग्राम पंचायतों में खर्च होने वाले धन का ब्यौरा मांगा गया है। इस ब्यौरे के बाद ही कुछ कह पाना संभव होगा।

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