कामधेनु योजना अपनाकर विमलेश बने अपने क्षेत्र के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक

Update: 2016-11-19 21:46 GMT
अब विमलेश कुमार सिंह के पास हैं 50 से ज्यादा हैं पशु।

कम्यूनिटी जर्नलिस्ट: सुशील कुमार सिंह

सुलतानपुर। एक ओर जहां लोगों में पशुपालन में रुझान कम हो रहा हैं, वहीं पर चौकिया गाँव के विमलेश कुमार सिंह डेयरी से हर दिन 100 लीटर से अधिक दूध का उत्पादन कर रहे हैं। यही नहीं, ज्यादातर दूध भी उनके क्षेत्र के लोग ही लेते हैं। एक वर्ष पहले तक महज़ चार दुधारू पशुओं के मालिक विमलेश कुमार सिंह (45 वर्ष) के पास अब लगभग 50 से अधिक दुधारू पशु हैं और अपने क्षेत्र के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक बन चुके हैं। अब पशु पालन विभाग की मिनी कामधेनू योजना से वो अपनी डेयरी चला रहे हैं।

तब लिया मिनी कामधेनू योजना का लाभ

विमलेश कुमार सिंह कहते हैं, "पिछले साल ही हमने मिनी कामधेनू योजना का लाभ उठाकर यह डेयरी शुरू की थी। इस डेयरी में 26 विदेशी फ्रीजिशियन नस्ल की गाय और 30 हरियाणा की मुर्रा भैंसे हैं, जिनके माध्यम से हम प्रतिदिन लगभग सौ लीटर से भी अधिक दूध उत्पादन करते हैं।" विमलेश कुमार सिंह अपनी डेयरी प्रदेश सरकार की मिनी कामधेनू डेयरी योजना की मदद से शुरू की थी। इस योजना में लाभार्थी के पास दो बीघा ज़मीन होना जरूरी है। इसके लिए कुल 52 लाख रूपए सरकार देती है और लाभार्थी को लगभग 13 लाख रूपए अपने पास से लगाना होता है।

खुद का व्यावसाय शुरू किया

उत्पादित दूध को वे पराग व अन्य मण्डियों में बेचकर अच्छा लाभ कमा रहे हैं। साथ ही अपने क्षेत्र के लोगों को भी शुद्ध दूध उपलब्ध करा रहे हैं। विमलेश कुमार सिंह बताते हैं, ''इस योजना से मैंने अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर लिया है और इसको मैं और भी आगे बढ़ाना चाहता हूं।"

लोगों को शुद्ध दूध प्राथमिकता से पहुंचा सकें

डेयरी के रखरखाव करने वाले उदय प्रताप सिंह बताते हैं, ''हमारे पास कुल पांच लोग हैं, ये सभी जानवरों की साफ-सफाई के साथ-साथ उनके नियमित परीक्षण व टीकाकरण का ध्यान रखते हैं। इसके लिए हमें खुद समय-समय पर पशु पालन विभाग मदद कर देता है। हम चाहते हैं कि हम डेरी संचालन के साथ-साथ क्षेत्रीय लोगों को शुद्ध दूध प्राथमिकता से पहुंचा सकें।''

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