दो दोस्त, 130 बच्चे और खुले आसमान के नीचे चलने वाली अनोखी क्लास

साल 2019 से उत्तर प्रदेश के भदोही में दो दोस्तों ने मिलकर बच्चों के लिए क्लास शुरू की है वो भी बिल्कुल मुफ्त। वो न सिर्फ 130 बच्चों को पढ़ाते हैं बल्कि कॉपी, किताबें और दूसरी स्टेशनरी का सामान भी उपलब्ध कराते हैं।

Update: 2023-10-19 07:34 GMT

भदोही, उत्तर प्रदेश। छह साल पहले का वो दिन हरिकिशन शुक्ला और आकाश मिश्रा कभी नहीं भूल पाएँगे, जब राह चलते एक बच्चे ने उन्हें रोककर पेंसिल माँगी। उनके लिए ये पहला मौका था जब उन्होंने किसी बच्चे को पैसे या फिर खाना माँगने के बजाय पेंसिल माँगते हुए देखा।

हरिकिशन शुक्ला ने गाँव कनेक्शन को बताया, "हमने उसे पेंसिल खरीदने के लिए कुछ पैसे दिए और आगे बढ़ गए, लेकिन उस बच्चे के बारे में सोचना बंद नहीं कर सके।"

उसी दिन से 23 साल के हरिकिशन शुक्ला और 21 वर्षीय आकाश मिश्रा ने फैसला किया कि उन्हें उन जैसे बच्चों के लिए कुछ करना होगा।


बीएससी कर रहे हरिकिशन शुक्ला ने कहा, "दो साल बाद, 2019 में, हमने गरीब बच्चों के लिए खुले में क्लास चलानी शुरू कर दी।

उत्तर प्रदेश के भदोही में गांधी पार्क उनकी क्लास है। शुरुआत में वहाँ तीन बच्चे सीखने आते थे, लेकिन अब 130 के करीब बच्चे हैं। दोनों दोस्त छह से 10 साल की उम्र के बच्चों को बिना कोई फीस लिए गणित, हिंदी और अंग्रेजी पढ़ाते हैं।

ये बच्चे पास के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में भी पढ़ते हैं जो ज्ञानपुर क्षेत्र में एक किलोमीटर दूर स्थित है।

“आज, वंचित परिवारों के 130 बच्चे यहाँ पढ़ने आते हैं, हम न केवल उन्हें पढ़ाते हैं बल्कि उन्हें किताबें, नोटबुक भी उपलब्ध कराते हैं और बच्चों के जन्मदिन और त्यौहार भी साथ में ही मनाते हैं। " आकाश मिश्रा ने गाँव कनेक्शन को बताया।


खुले आसमान के नीचे चलने वाली कोचिंग क्लास में आकाश और हरिकिशन के हर महीने 7000 रुपए तक खर्च आ जाता है। हरिकिशन बताते हैं, "हम अपने दोस्तों से पैसे इकट्ठा करते हैं और कुछ क्राउडफंडिंग भी करते हैं, बाकी तो खुद के पास से ही पैसे लगाते हैं।" हरिकिशन ने आगे कहा।

हरिकिशन और आकाश ने हिंद फाउंडेशन नाम से एक संगठन भी रजिस्टर्ड करा लिया है। “फाउंडेशन ने हमें बड़ी संख्या में दर्शकों तक पहुँचने में मदद की। ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे बच्चों के माँ-बाप हमें इन क्लास के लिए फीस दे पाएँ, क्योंकि वो ख़ुद ही मुश्किल से अपना गुजारा कर पाते हैं। " आकाश ने बताया।

जो बच्चे लक्ष्यहीन होकर भटकते थे, अब उनके पास आकर सीखने के लिए एक जगह है। लेकिन हरिकिशन शुक्ला और आकाश मिश्रा को अपने माता-पिता को यह मनाने में समय लगा कि वे अपने बच्चों को ट्यूशन भेजें।


“शुरुआत में बच्चों के माँ-बाप हमसे पैसे माँगने लगे थे। हमें उन्हें समझाना था और बताना था कि शिक्षा उनके बच्चों को कैसे लाभ पहुँचा सकती है। धीरे-धीरे वे आए और अपने बच्चों को हमारे पास भेजा। " शुक्ला ने कहा।

दो बच्चों की माँ संगीता, जो पास में रहती हैं और घरेलू सहायिका के रूप में काम करती हैं, खुश है कि उनके बच्चों को केंद्र में मुफ्त ट्यूशन मिल रही है। उनके दोनों बच्चे प्राथमिक विद्यालय ज्ञानपुर में पढ़ते हैं।

वह हरिकिशन-आकाश की पाठशाला के बारे में बताते-बताते रुक जाती हैं गला भर आने पर थोड़ा रुकती है फिर बोलती हैं, "हमारे बच्चों को इन लोगों ने काफी सहारा दिया है, जिसका परिणाम है कि हमारे बच्चे जो कल तक यहाँ-वहाँ घूमते हुए मिलते थे अब किताबों में उलझे हुए रहते हैं।"

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