यूपी: अब किसानों की हर समस्या 'एग्री जंक्शन' से होगी हल

Update: 2016-02-03 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन, एग्री जंक्शन, उत्तर प्रदेश

लखनऊ। किसानों को संपन्न बनाने के लिए किसान वर्ष मना रहा उत्तर प्रदेश एक ऐसी योजना शुरू करने जा रहा है जिससे किसानों की जि़ंदगी बहुत आसान हो जाएगी। सभी ब्लॉकों में प्रदेश सरकार एक ऐसा केंद्र खोलने जा रही है जहां से किसानों को अपनी हर समस्या का हल मिल जाए, बिना दस जगहों के चक्कर काटे। 

ये उन छात्रों के लिए भी अच्छी खबर है जिन्होंने कृषि में स्नातक एवं परास्नातक की डिग्री प्राप्त की है। प्रदेश सरकार इन्हीं स्नातकों व परास्नातकों में से चुनाव करके 'एग्री जंक्शन' योजना के तहत केंद्र खुलवाएगी। इस केंद्र को 'एग्री जंक्शन' बोला जाएगा।

इन केंद्रों के ज़रिए किसान मिट्टी की जांच से लेकर खाद, कीटनाशक, केंचुआ खाद आदि प्राप्त कर सकेंगे। किसानों को उनकी मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा के आधार पर खाद-पानी का प्रयोग भी इन केंद्रों के ज़रिए सुझाया जाएगा।

''इधर-उधर भागने के बजाए हम किसान के लिए एक ही जगह पर सबकुछ उपलब्ध करवा पाएंगे। उत्तर प्रदेश में 821 ब्लॉक हैं, पहले चरण में सभी में एक-एक सेंटर खुलवा रहे हैं, जो शेष बचेंगे उन्हें जि़लाधिकारियों के साथ संपर्क करके बड़ी तहसीलों या क्षेत्रों में खुलवाया जाएगा," संतोष कुमार खरे अपर कृषि निदेशक (प्रसार), उप्र ने गाँव कनेक्शन को बताया।

खरे ने बताया कि इस वर्ष चयन का लक्ष्य था कि 1000 हज़ार युवाओं को चुनकर उन्हें केंद्र खुलवाना था, जिसमें से 31 जनवरी तक 867 युवाओं को चुन लिया गया है। इनकी ट्रेनिंग भी एक फरवरी से शुरू करवा दी गई है, जो कि 10 दिन तक चलेगी। ट्रेनिंग में सभी युवाओं को केंद्र से जुड़े कृषि के अलग-अलग विषयों की जानकारी के साथ-साथ बैंकिंग सिखाई जाएगी।

एक 'एग्री जंक्शन' केंद्र को स्थापित करने में चार लाख रुपए का खर्च आएगा। कृषि स्नातक या परास्नातक बेरोज़गारों को 3.50 लाख रुपए का ऋण दिया जाएगा। 50 हज़ार की राशि रोज़गार पाने वाला युवा स्वयं लगाएगा। ''बैंक 12 प्रतिशत ब्याज ही लेती हैं, तो हमने बैंकों से बात करके ब्याज 10.50 फीसदी तय करवाया है," खरे ने बताया। इस ब्याज का पांच फीसदी हिस्सा सरकार देगी।

केंद्रों पर कृषि उपकरण से सम्बंधित जानकारी व खरीददारी, उन्नत तकनीक के प्रयोग की सूचना, विभिन्न उपकरणों पर सरकारी सब्सिडी के बारे में जागरूकता आदि कार्य भी किए जाएंगे।

''शुरुआति दौर में बीज, उर्वरक और कीटनाशक बेचने का लाइसेंस साथ में दे रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे परफॉर्मेंस देखकर इन केंद्रों को और योजनाओं के तहत सुविधाएं दी जाएंगी" संतोष कुमार खरे ने बताया।

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