विश्व पशु चिकित्सा दिवस: यहां पशुओं की दवाइयों के नहीं लगते एक भी पैसे 

Diti BajpaiDiti Bajpai   28 April 2018 5:37 PM GMT

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विश्व पशु चिकित्सा दिवस: यहां पशुओं की दवाइयों के  नहीं लगते एक भी पैसे पशुओं को चारा देते पशुपालक।                  

लखनऊ। यहां अगर किसी की गाय-भैंस या कोई पालतू पशु बीमार होता है, तो पशुपालकों को महंगी दवाइयों और मंहगें इलाज के खर्च के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है।

राजस्थान सरकार द्वारा शुरु की गई "मुख्यमंत्री पशुधन निःशुल्क दवा योजना’’ के तहत पशुचिकित्सालयों में निशुल्क दवाईयां उपलब्ध है। इस योजना से पशुपालन से जुड़े लाखों परिवार लाभ उठा रहे हैं।

"पशुओं की बीमारी पर पशुपालकों का सबसे ज्यादा खर्चा होता है। इसी को देखते हुए पिछली सरकार ने इस योजना की शुरुआत की थी। अभी 129 दवाईयां ऐसी है जो प्रदेश के हर जिले के राजकीय पशुचिकित्सालयों में उपलब्ध है। 129 दवाईयों में से कोई दवा नहीं है तो उसकी जानकारी मुख्यपशुचिकित्साधिकारी से मिलती है। विभाग द्वारा उस दवा को उपलब्ध कराया जाता है, "राजस्थान के पशुपालन विभाग के निदेशक डॅा. अजय कुमार गुप्ता ने बतायाद्ध

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वर्ष 2012 में पशुपालकों को लाभ देने के लिए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत हर साल करोड़ों का बजट पास होता है। योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जिलों के सभी पशु चिकित्सालयों में पशु दवा वितरण केन्द्र स्थापित किए गए हैं, ताकि पशुपालकों को लाभ मिल सके।

वर्ष 2012 में पशुपालकों को लाभ देने के लिए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुरुआत की योजना।

राजस्थान के गंगानगर जिले के सत्तरपीस गाँव में रहने वाले यश नाहल के पास तीन गाय और दो बछिया है। इस योजना के लाभ के बारे में यश बताते हैं, "हमारी गाय जब भी बीमार पड़ती है तो उसकी दवा अस्पताल से निशुल्क मिलती है। अगर डॉक्टर घर आते है तो थोड़ा बहुत पैसा देना पड़ता है लेकिन दवा का कोई पैसा नहीं देते है।" अपनी बात को जारी रखते हुए यश बताते हैं, "पशु को पालने में सबसे ज्यादा खर्चा उसके खाने-पीने और दवा में होता है। सरकार द्वारा यह एक अच्छा प्रयास है। हर पशुपालक को लाभ मिल रहा है।"

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पिछले पांच वर्षों से चल रही इस योजना के तहत बीमारियों के कारण पशुओं की उत्पादक क्षमता पर पड़ने पाले विपरीत प्रभाव में कमी आई है। निदेशक डॉ अजय गुप्ता बताते हैं, "पशु को कोई बीमारी होती है तो उसका सीधा उसके उत्पादन पर पड़ता है। इस योजना से पशुओं को मुफ्त और सही बीमारी की दवा दी जा रही है, ताकि उत्पादन न घटे।

19 पशुगणना के मुताबिक राजस्थान में 5.67 करोड़ पशुधन है, जिसमें से 1.21 करोड़ गाय, 1.11 करोड़ भैंसें, 2.15 करोड़ बकरियां, 1.11 करोड़ भेड़ें, 4.22 लाख ऊंट एवं अन्य पशु शामिल है।

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राजस्थान सरकार द्वारा चल रही इस योजना से लाखों पशुपालकों को लाभ मिल रहा है। वहीं अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो वहां पशुपालकों को समय पर डॉक्टर ही नहीं मिलते है। ललितपुर जिले के बिरधा ब्लॉक अंर्तगत छिल्ला गाँव के रुपेश गंगवार (38 वर्ष) बताते हैं, "समय पर डाक्टर नहीं मिलते, अगर डाक्टर या कम्पोन्डर को घर बुलाओ तो अलग से फीस देनी पडती हैं, दवा बाजार से खरीदनी पडती हैं। अगर पशुओं की निशुल्क दवा ही मिल जाए तो हम लोगों को लाभ मिले।"

पिछले कई वर्षों से अजमेर जिले में पशुचिकित्सक डॉ संतोष बताते हैं, "पशुओं में होने वाले सभी रोगों की दवाईयां पशुचिकित्सालय में उपलब्ध रहती है। दो रुपए के पर्चें में पशुओं का पूरा इलाज होता है और उनको उसी में निशुल्क दवा भी दी जाती है। अगर कोई दवा लम्बे समय तक चल रही है तो वो भी निशुल्क रहती है। बहुत कम ऐसा होता है जब किसी बीमारी की दवा बाहर से लिखी जाए।"

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