गाँव-गाँव बनेगी गौशाला, गायों की नस्ल में होगा सुधार

Diti BajpaiDiti Bajpai   4 Jan 2019 8:24 AM GMT

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गाँव-गाँव बनेगी गौशाला, गायों की नस्ल में होगा सुधार

लखनऊ। निराश्रित और आवारा गोवंश से परेशान किसान को राहत देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार गाँव-गाँव गौशाला बनवाएगी। इन गौशालाओं को बनवाने और उनकी देखभाल करने के लिए ''गौ कल्याण सेस'' लगाया जाएगा। वहीं इस समस्या को जड़ से मिटाने के लिए सरकार सेक्स सोर्टेड सीमन जैसी तकनीक का भी इस्तेमाल कर रही है, जिससे नस्ल सुधार को बढ़ावा मिले।

हाल ही इन गोवंश से परेशान अलीगढ़, मथुरा और हाथरस जिलों के किसानों ने उन्हें स्कूल,अस्पतालों और सामुदायिक भवनों में बंद कर दिया था जिसको सरकार ने गंभीरता से लेते हुए प्रदेश के ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगमों में गौशाला का निर्माण कराने के निर्देश दिए है।

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उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग के प्रशासन एवं विकास के निदेशक डॉ चरण सिंह यादव ने बताया, ''किसानों की समस्या को देखते हुए निर्णय लिए गए है। हर जिले में ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में कम से कम 1,00 बेसहारा गोवंश पशुओं के लिए अस्थायी आश्रय निर्माण किया जाएगा और इनको बनवाने के लिए शासकीय विभागों के सहयोग लिया जाएगा। इसके लिए जिलाधिकारियों को भी सूचित कर दिया गया है।''



आवारा जानवरों से परेशान किसान इस कड़ाके की ठंड में कैसे अपनी फसल की रक्षा करता है इसको आम जनता और सरकार तक पहुंचाने के लिए गाँव कनेक्शन की टीम ने एक रात किसानों के साथ गुजारी। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के बेलहरा के पास रात के 12 बजे आवारा जानवरों से अपनी फसल की सुरक्षा कर रहे मनीष कुमार बताते हैं, ''सरकार गौशाला कब बनवाएगी जब हम पूरी तरह से बर्बाद हो जाऐंगे। समस्या आज से नहीं दो सालों से ज्यादा हो गई। एक तो सफेद बाजार(गोवंश का बाजार) बंद हुई दूसरा गाय जब दूध नहीं देती तो किसान छोड़ देता है परेशानी तो हम किसानों को है।


प्रदेश में बीजेपी की सरकार आने के बाद गोहत्या को रोकने के लिए अवैध बूछड़खानों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था जिसके बाद प्रदेश भर के तमाम बूछड़खानों को बंद कर दिया गया, जिसका सीधा असर सड़कों और खेतों में दिखने लगा। कई किसानों ने अपने दूध ना देने वाली गायों को छुट्टा छोड़ दिया।

पशुपालन विभाग के चारा विकास अधिकारी अर्जुन सिंह ने बताया, ''ललितपुर जिले के कल्यानपुरा में गोवंश आश्रय स्थल बनाया गया है। यह पहली ऐसी गौशाला है जिसमें सरकार ने कोई पैसा नहीं दिया। जिलाधिकारी और मुख्य पशुचिकित्साधिकारी के सहयोग समिति का गठित गई और 1 करोड 13 लाख 51 हजार 704 राशि जमा की गई और इस गौशाला को एक सफल मॉडल के रूप में संचालित किया जा रहा है। अभी इसमें वर्मी कम्पोस्ट से लेकर मत्स्य पालन का काम किया जा रहा है। सरकार कई जिलों में ऐसे मॉडलों को लाने का काम भी कर रही है।



छुट्टा सांड़ों से निजात पाने और नस्ल सुधारने के लिए सरकार ने अमेरिका से ऐसे सीमन का आयात किया जिससे 90 प्रतिशत बछिया पैदा हो सके। प्रदेश के तीन जिलों (इटावा, लखीपुरखीरी और बाराबंकी) मे इसे पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया। "प्रदेश के तीन जिलों के पांच हजार 200 किसानों की गायों में सेक्स सोर्टेड सीमन से कृत्रिम गर्भाधान कराया गया, जिसमें से अभी तक 714 संतति हुई। इनमें से 646 बछियों को जन्म दिया जबकि 68 नर पैदा हुए।'' इसकी सफलता के बारे में उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद् के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रो. शिव प्रसाद ने बताया, ''जिन किसानों को यह सीमन दिया गया उनका पूरा ब्यौरा जैसे किसान का नाम, मोबाइल नंबर, कब कृत्रिम गर्भाधान किया गया पूरी जानकारी विभाग के पास रहती है। इससे आने वाले समय में छुट्टा जानवरों से काफी राहत मिलेगी।''

देश में इस समय 30 फीसदी (साढ़े सात करोड़) कृत्रिम गर्भाधान होता है। माना जाता है कि 50-50 फीसदी नर और मादा होते हैं लेकिन इस तकनीक से ये मादा ही होंगी। इस तकनीक से कृत्रिम गर्भाधान को 30 फीसदी से बढ़ाकर 80 फीसदी तक करने की तैयारी है।

अपनी बात को जारी रखते हुए शिव प्रसाद बताते हैं, ''जहां पहले 10 में से 5 बछड़े पैदा हो रहे थे वहीं इस सीमन के इस्तेमाल से 10 में से 2 बछड़े ही पैदा हो रहे है किसानों को यह सीमन आसानी से मिल सके इसके लिए अप्रैल 2019 में हापुड़ के बाबू्गढ़ फार्म भी बनाया जा रहा है, जिसमें साहीवाल, गिर, थारपारकर और गंगीतीरी नस्ल के सीमन तैयार किए जाऐंगे।''

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आवारा गोवंश को रखने के लिए 17.52 करोड़ की मंजूरी-

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के 16 नगर निगमों में आवारा गोवंश के रखरखाव के लिए गोशालाओं के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष में 17.52 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है। इस धनराशि से अलीगढ़, गोरखपुर, वाराणसी, सहारनपुर, मुरादाबाद, मथुरा, अयोध्या, फिरोजाबाद, आगरा, गाजियाबाद, कानपुर, झांसी, लखनऊ, मेरठ, बरेली और इलाहाबाद के नगर निगमों की गोशालाओं में गोवंश का रखरखाव किया जाएगा। प्रमुख सचिव, पशुधन सुधीर एम बोबडे द्वारा इस संबंध में जारी शासनादेश में कहा गया है कि प्रदेश के 16 नगर निगमों में गोवंश के रखरखाव हेतु प्रति नगर निगम 1000 गोवंश हेतु 365 दिवसों (एक वर्ष) के लिए 30 रुपये प्रतिदिन प्रति गोवंश अर्थात 109.50 लाख रुपये की धनराशि व्यय की जाएगी।

गाय सेस से ऐसे होगी प्रदेश के गोवंश की देखभाल

राज्य सरकार के अधीन आने वाली जिन सड़कों पर टोल टैक्स लगता है, वहां 0.5 प्रतिशत अतिरिक्त धनराशी ली जाएगी, जिसे गो कल्याण सेस के रूप में इकट्ठा किया जाएगा।

मंडी परिषद् से पहले एक प्रतिशत सेस पहले लिया जाता था अब वो 2 प्रतिशत हो जाएगा। इसके अलावा मुनाफा कमाने वाले विभाग जैसे प्रदेश के सार्वजनिक उपक्रमों के अलावा राजकीय निर्माण निगम, सेतु निगम, आदि अपने होने वाले मुनाफे का 0.5 फीसदी सरकार को देंगे।



इन आश्रय स्थलों के निर्माण में होने वाला मिट्टी कार्य मनरेगा से करवाया जायेगा। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर पंचायतें अपने स्तर पर पैसे का प्रबंध करेंगी। सांसद और विधायक निधि से भी पैसे ले सकते हैं। इसके अलावा वित्त योग, राइफल निधि, खनिज निधि, जो जिले पर होती हैं वहां से भी पैसा लिया जायेगा।

इस सब कामों पर ब्लाक/तहसील स्तर से लेकर जनपद पर बनाई गई समितियां निगरानी करेगी, जो प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनाई गई स्टेट स्टीयरिंग समिति के दिशा निर्देश पर काम करेगी। पुराने बने हुए कांजी हाउस और ऐसे स्थलों को पुनर्जीवित भी किया जायेगा और वहां पर्याप्त कर्मचारी की व्यवस्था की जाएगी।

अब अगर कोई अपने पशु दूसरे की जमीन पर छोड़ता है तो उस पर जुर्माना लगेगा और कार्यवाही होगी। ये जुर्माना पुलिस/जिला/नगरीय प्रशासन लगा सकता हैं। इसके अलावा ऐसे आश्रय स्थलों पर गोवंश से होने वाले दूध, गोबर, कम्पोस्ट को बेचने की व्यवस्था की जाएगी ताकि ये आश्रय स्थल स्वावलंबी बन सकें। पशुपालन विभाग इन आश्रय स्थलों पर भी अपनी सेवाएं देगा।

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