ऐप के मुताबिक चारा देने गाय भैंस ने दिया ज्यादा दूध, मिथेन उत्सर्जन में आई कमी

Diti Bajpai | Jun 30, 2018, 12:30 IST
दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का करीब एक तिहाई हिस्सा जुगाली करने वाले जानवरों से आता है। नासा ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा भी किया है कि गाय साल भर में केवल डकार के कारण 80 से 120 किलो मिथेन गैस निकालती है, जो कोई एक कार साल भर में इतना ही प्रदूषण उत्सर्जित करती है।
#animal husbandry
लखनऊ। पशुओं को संतुलित आहार देने के लिए राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) ने एक इनाफ नाम का साफ्टवेयर तैयार किया था। ये सॉफ्टवेयर भारत के 24 लाख मवेशियों के आहार को संतुलित करने में मदद कर रहा है, जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि हुई है साथ ही मीथेन उत्सर्जन में भी कमी आई है।

मंगोलिया के उलानबातर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय पशुधन सम्मेलन में इनाफ (इनफार्मेशन नेटवर्क ऑन एनिमल प्रोडक्टिविटी एंड हेल्थ) ऐप के खाद्य पदार्थ के नीति अधिकारी विनोद अहुजा द्वारा वार्षिक वैश्विक एजेंडा में प्रस्तुत किया गया था। इस कार्यक्रम में विनोद अहुजा ने बताया, "इस एप की मदद से एंटीनिक मीथेन उत्सर्जन को 12% -15% तक कम किया है जिसकी वजह से किसानों की औसत दैनिक आय प्रति दिन $ 0.37 प्रति दिन बढ़ने में मदद मिली है।"

ये भी पढ़ें- पशुओं के पोषण में मदद करेगा ऐप

अहुजा ने आगे बताया , "भारत में अपनाए गए इस तकनीकी के मापनीय प्रभाव हैं, खासतौर से देखा जाए तो आंतरिक मीथेन उत्सर्जन में जो कमी और किसानों की आय में वृद्धि हुई है।"

दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का करीब एक तिहाई हिस्सा जुगाली करने वाले जानवरों से आता है। नासा ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा भी किया है कि गाय साल भर में केवल डकार के कारण 80 से 120 किलो मिथेन गैस निकालती है, जो कोई एक कार साल भर में इतना ही प्रदूषण उत्सर्जित करती है। ऐसे में यह एप काफी मददगार साबित हो रही है।

इकोटॉक्सिकोलॉजी और पर्यावरण सुरक्षा द्वारा जनवरी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार,"भारत की दुनिया की सबसे बड़ी पशुधन आबादी से उत्सर्जित मीथेन वैश्विक तापमान में काफी वृद्धि कर सकती है"। जैसा की शोध द्वारा पाया गया है कि मीथेन एक ग्रीनहाउस गैस होने के नाते कार्बन डाइ ऑक्साइड से 20 गुना ज्यादा वार्मिंग प्रभाव रखती है।

इनाफ से 30,000 से अधिक गांवों में 24 लाख मवेशियों को इस ऐप की मदद से उनके लिए संतुलित आहार तैयार किया जा रहा है। किसानों को इस ऐप की सलाह और सेवाएं देने के लिए गाँव का ही एक प्रशिक्षित स्थानीय व्यक्ति रखा गया है।

ये भी पढ़ें- व्हाट्सएेप की मदद से पशुपालक खुद ही कर रहे हैं पशुओं का उपचार

यह सॉफ्टवेयर मवेशियों के भोजन, वजन, और दूध में वसा को मापना और विश्लेषण करता है। गुजरात के आनंद में एनडीडीबी मुख्यालय में वरिष्ठ प्रबंधक राजेश शर्मा का कहना हैं, "इस ऐप के जरिए गायों के चारे को संतुलित बनाने के पीछे हमारा मकसद है डेयरी उद्योग को लाभदायक और टिकाऊ बनाना। अगर इस तरीके डेयरी किसानों को लाभ नहीं होगा तो वे इस ऐप के प्रति आकर्षक नहीं होंगे। अब इस ऐप के इस्तेमाल के बाद चारे पर खर्चा भी कम है और दूध मे वसा की मात्रा भी ज्यादा है।"

शर्मा के मुताबिक, विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित यह कार्यक्रम जिसको पहली बार 2010 में लॉन्च किया गया था और अब यह भारत के 29 राज्यों में से 18 को कवर करता है और सलाहकार सेवाओं के दरवाजे पर निर्भर है। शर्मा आगे बताते हैं, "सॉफ्टवेयर की मदद से विभिन्न प्रकार की फीड और चारा की उपलब्धता के अनुसार प्रोटीन, ऊर्जा, खनिज और विटामिन में संतुलन हमेशा बनाए रखा जाता है।"



Tags:
  • animal husbandry
  • Livestock
  • dairy cattle
  • animal feed
  • पशुधन
  • NDDB
  • National dairy development board
  • नई दिल्ली

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.