थनैला रोग पशुपालकों के लिए बना रहा बड़ा संकट, जानें कैसे करे उपचार

Diti Bajpai | Jul 26, 2018, 07:23 IST
थनैला रोग एक जीवाणु जनित रोग है। यह रोग ज्यादातर दुधारू पशु गाय, भैंस, बकरी को होता है। इस बीमारी से देश में 60 प्रतिशत गाये, भैंसे और बकरी पीड़ित है। यही नहीं इसके कारण दुग्ध उत्पादकों को कई हजार करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
#mastitis
लखनऊ। जानकारी के अभाव में कुछ महीने पहले हरिशंकर मौर्य की दो गाय को थनैला रोग हो गया, जिससे उनको काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

फैजाबाद जिले के सोहावल ब्लॅाक के बहराये गाँव में रहने वाले हरिशंकर मौर्य के पास चार गाय और दो भैंसे है, जिनका दूध बेचकर वो अपने परिवार का खर्चा चलते है। "जब हमारी गाय के थनों में सूजन आई तब डॉक्टर को दिखाया। तब पता चला कि थनैला है। अब उसका दूध भी प्रयोग नहीं करते है। एक गाय 8 लीटर दूध दे रही है। अब केवल भैंसों का ही दूध बेचते है।"

हरिशंकर जैसे कई पशुपालक जानकारी के अभाव में इस समस्या को नज़रअंदाज कर देते है, जिससे उनको आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। "दुग्ध व्यवसाय के लिए थनैला रोग एक बड़ा संकट है। बरसात के मौसम में नमी अधिक होती है इसलिए पशुओं में थनैला रोग होने की ज्यादा संभावना होती है।" इलाहाबाद जिले के सचल पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ विनय द्विवेदी ने बताया, "ज्यादातर पशुपालक पशु के बच्चा देने के जब 10 दिन बचते है तब दूध निकालना बंद करते है जबकि 60 दिन पहले ही दूध निकालना बंद कर देना चाहिए।"

थनैला रोग एक जीवाणु जनित रोग है। यह रोग ज्यादातर दुधारू पशु गाय, भैंस, बकरी को होता है। इस बीमारी से देश में 60 प्रतिशत गाये, भैंसे और बकरी पीड़ित है। यही नहीं इसके कारण दुग्ध उत्पादकों को कई हजार करोड़ रुपये का नुकसान होता है। पशु के थन में लगी चोट, पशुपालक के गंदे हाथ, गंदा फर्श, पशु बाड़े में मक्खियों की ज्यादा संख्या में होना थनैला रोग को बढ़ाता है।

यह भी पढ़ें- पशुपालक कैलेंडर: जुलाई के महीने में इन बातों का रखें ध्यान

इस रोग के उपायों के बारे में डॉ विनय बताते हैं, ''जब पशु का दूध निकालते है तो थनों में कुछ बूंदें लगी रहती है, जिससे बैक्टीरिया फैल जाता है। इसलिए उसे साफ कर दें और दूध निकालने के बाद पशु को बैठने न दे लगभग 40 से 45 मिनट तक पशु को खड़ा रखें। उसे कुछ खाने के लिए दे ताकि वो बैठे न सके। क्योंकि दूध निकालने के 30 मिनट बाद पशु के थन बंद होते है।"

इस रोग के जीवाणु पशुओं के बाहरी थन नलिका से अन्दर वाली थन नलिकाओं में प्रवेश करते हैं। उसके बाद उनकी संख्या बढ़ती है। तब पशुओं के थनों में सूजन आती है। अगर किसी पशु को थनैला रोग हुआ है तो उसका दूध पीने लायक नहीं होता है। इस बीमारी से पीडि़त पशु का दूध उत्पादन 5 से 25 प्रतिशत तक कम हो जाता है।

"अगर पशुपालक इस रोग के लक्षणों के बारे में पहले से ही पता कर ले तो वह नुकसान से बच सकता है। "पशुओं की साफ -सफाई और पहले से लक्षणों को पता कर लिया जाए तो काफी हद इस बीमारी से बचा सकते है।" हेस्टर कंपनी के सीनियर एएसएम लालजी द्विवेदी ने बताया, " 10 ग्राम कपडे धोने वाला पाउडर और 100 एमएल पानी लेकर घोल बना लें। इसके बाद पशु को दूध दोहन करे और दो तीन धार निकाल दें। उसके बाद लगभग आधा ढक्कन दूध निकाले और उस घोल को उसमें डाल दे। 30 मिनट के अंदर जैली बन जाएगी। जैली बन जाए तो जान लीजिए आपके पशुओं केा थनैला का हो गया है।"

यह भी पढ़ें- अगर आपके पशु को सांप ने काटा है तो ये करें उपाय

इन कारणों से होता से यह रोग

  • थनों में चोट लगने।
  • थन पर गोबर और यूरिन कीचड़ का संक्रमण होने पर।
  • दूध दोहने के समय अच्छी तरह साफ-सफाई का न होना।
  • फर्श की अच्छी तरह साफ सफाई का न होना।
  • पूरी तरह से दूध का न निकलना।
  • इस बीमारी से बचाव
  • पूरी तरह से दूध का न निकलना।
  • इस बीमारी से बचाव
  • पशु के बाड़े और उसके आसपास साफ-सफाई।
  • पशुओं का आवास हवादार होना चाहिए।
  • फर्श सूखा एवं साफ होना चाहिये।
  • नियमित रूप से थनों की साफ-सफाई।
  • एक पशु का दूध निकालने के बाद पशुपालक को अपने हाथ अच्छी तरह से धोने चाहिए।
  • पशु के थनों का समय-समय पर देखते रहना चाहिये। उनमें कोई गांठ या दूध में थक्के तो नहीं दिख रहे। अगर ऐसा हो तो तुरंत पशुचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
यह भी पढ़ें- पशुपालक तीन महीने में एक बार तीन रूपए खर्च करके बढ़ा सकते हैं मुनाफा


  • दूध दुहने से पहले इन बातों को रखें ध्यान
  • दूध दुहने से पहले पशु का पिछला हिस्सा अच्छी तरह रगड़कर धो लें।
  • दुहने के पहले थनों को जीवाणुनाशक (एक बाल्टी पानी में एक चुटकी पोटेशियम परमैगनेट) घोल में साफ कपड़े से पोछ दे।
  • दूध दुहते समय पशु की पूंछ पैर से बांध दे, जिससे पूंछ हिलाने से धूल, मिट्टी और गंदगी दूध में न गिरे।
  • पशु के थनों का रोज जांच करे। अगर कोई दरार हो तो उसको साफ करके एंटीसेप्टिक क्रीम लगा दें और अगर थनों में सूजन हो या मवाद अथवा खून दूध के साथ आ रहा हो तो वह थनैला रोग हो सकता है इसके लिए पास के पशु चिकित्सालय से संपर्क करे।

साफ दूध दोहन कैसे करें

  • दूध दुहने से पहले दूधिया को अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए।
  • हाथ के नाखून समय-समय पर काटते रहें।
  • दूध को हाथ से ही दुहना चाहिए। दूध दुहने वाला व्यक्ति स्वस्थ होना चाहिए। अगर दूधिया किसी बीमारी जैसे- कालरा, टायफाइड या टी.बी आदि से ग्रसित हैं तो बीमारी के कीटाणु दूध द्वारा स्वस्थ व्यक्ति में भी फैल सकते है।


Tags:
  • mastitis
  • Animal disease
  • animal husbandry
  • ania;
  • dairy cattle
  • milk product
  • milk
  • dairy farming
  • dairy sectors

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.