राजस्थान के इस आईएएस अधिकारी को लाखों बच्चे दे रहे हैं दुआ और सरकार वाहवाही
Neetu Singh 12 Jan 2018 5:44 PM GMT
ये कहानी एक ऐसे आईएएस अधिकारी की है, जिनकी एक मुहिम ने लाखों बच्चों को खुशी दी। उन्हें गरीबों की दुआएं मिल रही हैं तो सरकार और दुनिया की वाहवाही।
कड़कड़ाती सर्दी में एक सरकारी स्कूल में एक बच्चे को नंगे पैर देखकर इस डीएम ने ठान लिया कि जिले का अब कोई भी बच्चा नंगे पैर स्कूल नहीं जाएगा। इनके द्वारा एक जिले से शुरु हुई इस मुहिम को राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने पूरे राज्य में लागू कर दिया। इस मुहिम का नाम ‘चरण पादुका अभियान’ है, इससे न सिर्फ लाखों वंचित बच्चों की गैर-बराबरी को कम किया गया बल्कि इससे स्कूलों में उपस्थिति भी बढ़ी है।
“हर दिन मजदूरी मिलेगी ये जरूरी नहीं है, मेरी बेटी मनीषा दसवीं में एक सरकारी स्कूल में पढ़ती है। मजदूरी करके हर चीज समय से अपनी बेटी को दे पाऊं, ये पूरा करना मुश्किल होता है।” ये कहना है एक मजदूर बेटी के पिता रूपम चन्द्र सुमन का। ये गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, “अभी उसके स्कूल में स्वेटर और जूते दिए गये। इस तरह की सुविधाएं मिलने से बच्चों के मन में स्कूल जाने में झिझक नही होती है। हमें देखकर खुशी होती है कि गरीबी में अगर हम अपनी बेटी को सभी सुविधाएं नहीं पूरी कर पाते हैं तो कमसे कम सरकार की मदद से उन्हें पूरा किया जा रहा है।”
ये भी पढ़ें- इस डीएम ने सुधार दिया शिक्षा का स्तर, बेटियों के भविष्य के लिए जुटाए 8 करोड़ रुपए
आईएएस अधिकारी डॉ जितेन्द्र कुमार सोनी की पहली पोस्टिंग वर्ष 2014 में जालोर ज़िले में ज़िला कलेक्टर और ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में हुई थी। इन्होंने लगभग 15 महीने के कार्यकाल में जिले में तमाम तरह के अभियान शुरु किए जिसमें ‘चरण पादुका’ एक था। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य था कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले हर बच्चे के पैर में जूते हों, जिससे बच्चों में आपसी गैर-बराबरी को समाप्त किया जा सके। पूरे जिले में सर्वे कराकर ये पता चला की हजारों की संख्या में हर दिन नंगे पैर बच्चे पढ़ने आते हैं। इसे एक मुहिम के तौर पर जितेन्द्र सोनी ने 'चरण पादुका अभियान' का नाम दिया।
यह भी पढ़ें : अमेरिका से लौटी युवती ने सरपंच बन बदल दी मध्य प्रदेश के इस गांव की तस्वीर
जनसमुदाय की मीटिंग और फेसबुक पेज पर इस अभियान के लिए दान-दाताओं से अपील की गयी। बहुत कम समय में ही जन सहयोग और फेसबुक की मदद से विदेशों से भी लोगों ने इस अभियान को गति दी। जिसका नतीजा ये हुआ कि 26 जनवरी 2016 को 25 हजार नंगे पैर बच्चों को जूता पहनने का मौका मिला। अब ये अभियान पूरे राज्य में लागू है इससे लाखों बच्चे हर साल लाभान्वित हो रहे हैं। जितेन्द्र सोनी ने इस वर्ष झालावाड़ जिले में इस अभियान को आगे बढ़ाते हुए 'सांझी खुशियां नाम की एक पहल शुरु की है जिसमें दान-दाताओं की मदद से हर बच्चे को स्वेटर दिया जा रहा है।
यह भी पढ़ें : एक कलेक्टर ने बदल दी हजारों आदिवासी लोगों की जिंदगी
दो वर्ष से राजस्थान के झालावाड़ जिले में जिलाधिकारी की सेवा दे रहे जितेन्द्र कुमार सोनी गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "सर्दियों के मौसम में बच्चों का स्कूल जूता और स्वेटर पहनकर न आना सवेंदनशील का मुद्दा है। जालोर जिले में चरण पादुका की शुरुवात की थी, मुझे हुई कि इसे पूरे राज्य में लागू किया गया। मुझे विदेशों से भी सहयोग के लिए काल आयी थी, इस वर्ष झालावाड़ में 35 हजार से ज्यादा बच्चों को जूते और मोज़े भामाशाह(दान-दाताओं) की मदद से पहनाए गये।”
वो आगे बताते हैं, "इस वर्ष चरण पादुका अभियान से एक कदम आगे 'सांझी खुशियां' नाम की मुहिम शुरु की है इससे हर बच्चे को स्वेटर दिया जाए ये कोशिश है। बच्चों की पढ़ाई किसी भी तरह से बाधित न हो, उनके मन में अपने साथियों को देखकर कभी गैर बराबरी न आए इसलिए इस अभियान को शुरू करने की मुझे जरुरत लगी।”
ये भी पढ़ें-यहां दीदी के ठेले पर मिलती है 20 तरह की चाय और मैगी, साथ में वाईफाई फ्री
चरण पादुका अभियान वर्ष भर चलने वाला अभियान है। इस अभियान में कोई भी हिस्सा लेकर गरीब बच्चों को जूते-मोज़े उपलभ्ध करा सकता है। झालावाड़ जिले के खानपुर सीनियर गर्ल्स स्कूल की प्रिंसपल भावना देहरा का कहना है, "सरकारी स्कूल में ज्यादातर गरीब और मजदूरों के बच्चे पढ़तें हैं, समय से हर चीज उनके माता पिता उपलभ्ध करा पायें ये उनके लिए थोड़ा मुश्किल होता है। डीएम सर की इस मुहिम से इस वर्ष हमारे स्कूल में 20 प्रतिशत नामांकन बढ़ा है।अपने स्कूल की पैरेंट्स मीटिंग या फिर जब भी कोई कार्यक्रम करते हैं तो दान दाताओं से अपील करते हैं कि वो बच्चों के जरूरत का समान अपनी सामर्थ अनुसार दे सकते हैं, शुरूवात में ये संख्या कम थी, अब बहुत सहयोग करने लगे हैं।”
ये भी पढ़ें- वो महिलाएं और युवतियां, जो सफल किसान हैं, खेतों से कमाई करती हैं...
जितेन्द्र कुमार सोनी अपनी जिम्मेदारियों को सम्भालते हुए अपने स्तर पर समय-समय पर कई नवाचार करते रहते हैं। उनके इस सराहनीय प्रयास के लिए प्रशासनिक स्तर पर उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है। उनका कहना है, "जिस पद पर मैं हूँ वहां हमें कई तरह की जिम्मेदारियां पूरी करनी होती हैं, पर उन सबको पूरा करते हुए मैं वो काम भी जरुर पूरा करता हूँ जो पूरा करके मुझे सुकून मिलता है। गैर-बराबरी हमारे देश की एक बहुत बड़ी पीड़ा है इसे समाप्त करने में तो बहुत समय लगेगा पर हम सब मिलकर इसे कम जरुर कर सकते हैं, जिससे हर बच्चे को उचित शिक्षा मिल सके।”
जितेन्द्र सोनी का मानना है, “कोई भी पहल जन सहयोग के बिना पूरी नहीं हो सकती है, मैं कोई भी काम शुरू करता हूँ तो मेरी हमेशा कोशिश रहती है कि उसमें ज्यादा से ज्यादा आसपास के लोग हिस्सा लें। तालाब सफाई की बात हो या फिर खेल के मैदान को साफ़ करने की बात हो सभी मिलकर काम करते हैं तो जल्दी पूरा हो जाताहै।”
माध्यमिक स्कूल के जिला शिक्षा अधिकारी सुरेन्द्र सिंह गौर का कहना है, "इस अभियान में जिलास्तर से लेकर पंचायत स्तर के सभी लोग मिलकर सहयोग कर रहे हैं, हर महीने की अमावस्या को हर पंचायत में एक बड़ी मीटिंग होती है। जिसमें टीचर, बच्चे उनके माता-पिता कुछ भामाशाह शामिल होते हैं यहीं से चंदा जुटाकर बच्चों की मूलभूत जरूरतों को पूरा किया जाता है।” वो आगे बताते हैं, "इस वर्ष चरण पादुका अभियान के माध्यम से जिले में 36844 बच्चों को जूते और मोज़े दिए गये। सांझी खुशियां के द्वारा दो हजार बच्चों को स्वेटर पहनाए गये। ये दोनों अभियान जनसहयोग की मदद से आगे बढ़ रहे हैं।”
ये भी पढ़ें- ये पुलिस इंस्पेक्टर कर रहा ऐसा काम, सुनकर आप भी करेंगे तारीफ
More Stories