बस्ती के बच्चों को पढ़ाने के लिए आगे आयी मुस्कान
Neetu Singh | Jan 24, 2018, 14:25 IST
भोपाल। इस झुग्गी-झोपड़ी के बच्चे अब इधर-उधर घूमते नहीं है। इनके पास हर शाम पढ़ने का अपना एक ठिकाना है जहाँ पर ये पढ़ाई कर सकते हैं। सबसे खास बात ये है इन बच्चों की टीचर इन्ही की बस्ती की 11 वर्षीय मुस्कान है। जो हर शाम इनके साथ पढ़ने-पढ़ाने का काम करती है। 'किताबी मस्ती' नाम का ये ठिकाना यहां के बच्चों को खूब भाता है।
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भोपाल जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर 'अरेराहिल दुर्गानगर' नाम की एक झुग्गी-झोपड़ी की बस्ती है। हर बस्ती की तरह इस बस्ती के बच्चे भी जब मन होता था तो स्कूल जाते थे नहीं तो घर के दूसरे काम करने में लग जाते। स्कूल से आकर पढ़ाई करने के बारे में तो ये सोचते ही नहीं थे। जब इस बस्ती पर राज्य शिक्षा केंद्र का ध्यान तो उन्होंने यहाँ लाइब्रेरी खोलने की शुरुआत की। उन्हें इस बस्ती से किसी एक बच्चे का चयन करना था जो इस लाइब्रेरी की जिम्मेदारी संभाल सके। इस बस्ती में बाकी बच्चों से मुस्कान बहुत अलग थी, उसकी पढ़ने में बहुत रूचि थी, इसलिए लाइब्रेरी के संचालन की जिम्मेदारी मुस्कान को दे दी गयी।
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मुस्कान एक नई सोच 'किताबी मस्ती' नाम के इस चबूतरे पर हर रोज पढ़ने आने वाली आठवीं कक्षा की पूनम चौरसिया ने कहा, "जबसे यहाँ पढ़ने आने लगी हूँ तबसे बहुत नई चीजें सीखी हैं, राजधानी के नाम, वहां बोली जाने वाली भाषा हमे याद है। रोज नई-नई कहानियां पढ़ते हैं जिसे पढ़कर हमे बहुत मजा आती है।" सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली उसरा कुरेशी ने कहा, "हम सब एक दूसरे से कुछ न कुछ सीखते हैं, मुस्कान हमसे छोटी जरुर है पर पढ़ने में बहुत होशियार है, पढ़ाने के काम की शुरुआत उसने की थी, तबसे हम सब मिलकर यहाँ पढ़ाई करने लगे हैं।"
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मुस्कान के इस प्रयास के लिए नीति आयोग ने दिल्ली में 'वुमन ट्रान्सफॉर्मिंग इण्डिया अवार्ड्स' 9 सितम्बर 2016 को सम्मानित किया। वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने मुस्कान को लाइब्रेरी का बेहतर संचालन के लिए दो लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दी है।
मुस्कान और उनकी माँ मजदूरी कर रहे मुस्कान के पिता का तीन महीने पहले हुआ देहांत
मुस्कान के पिता की मजदूरी से पूरे घर का खर्चा चलता था। मुस्कान के पिता टिम्बर का काम करते थे, मजदूरी के दौरान 29 जुलाई को वो छत से गिर गये थे। कुछ दिन इलाज चलने के बाद 9 अगस्त 2017 को मुस्कान के पिता का देहांत हो गया। दो भाई दो बहनों में मुस्कान दूसरे नम्बर की हैं। मुस्कान की माँ इस सदमे से अभी तक बाहर नहीं निकल पायीं हैं उन्होंने कहा, "मुझे बच्चों की पढ़ाई की बहुत चिंता है, पता नहीं अब इन्हें हम पढ़ा भी पायेंगे या नहीं। हमारे सभी बच्चे पढ़ने में बहुत होशियार हैं, मुस्कान ने इतनी उम्र में अपना नाम रोशन किया है इस बात से इनके पापा बहुत खुश थे।" इतना कहते हुए वो अपने आंसुओं को रोक नहीं पायीं।
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