मध्य प्रदेश: विवेकानंद के सपनों को साकार करने नई सोच की मशाल थामे चल पड़ी है युवाओं की ये टोली

युवाओं की इस टोली में कोई इंजीनियर है तो कोई अंतर्राष्ट्रीय संस्था में शोध कर रहा है। कोई शिक्षाविद् है तो कोई किसान नेता। ये सभी मिलकर ग्रामीण बच्चों में शिक्षा के नए तौर-तरीकों से संस्कार भरने, संविधान को समझने, समझाने का काम कर रहे हैं।

Sunil Kumar GuptaSunil Kumar Gupta   12 Jan 2021 10:45 AM GMT

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Swami Vivekananda, Swami Vivekananda Chicago speech, Swami Vivekananda dream, Swami Vivekananda life, posotive news, positive story, positive story from madhy pradeshमध्य प्रदेश के सिवनी में युवाओं की टोली समाज में सकारात्मक बदलाव ला रही है। (सभी फोटो- गांव कनेक्शन)

भोपाल (मध्य प्रदेश)। कभी-कहीं पढ़ा, देखा या सुना था स्वामी विवेकानंद का उद्बोधन, जिसमें वो देशवासी युवाओं से कहते हैं, कि "उठो! आओ! ऐ सिंहों! इस मिथ्या भ्रम को झटक कर दूर फेंक दो कि तुम भेड़ हो।"

उनका एक और प्रेरक सूत्रवाक्य है, जिसमें वे कहते हैं…"अगर मुझे सौ ऊर्जावान युवा मिल जाएं, तो मैं भारत को बदल दूंगा।" "उठो, जागो, और तब तक मत रुको, जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए।" विवेकानंद की जीवनी, उनके कहे वचन डेढ़ सदी से भी ज्यादा समय से हम सबके, विशेषकर युवाओं के लिए महत्वपूर्ण प्रेरक का काम करते रहे हैं। मैं नहीं जानता कि मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के जिन युवाओं का जिक्र करने मैं जा रहा हूं, उन्होंने विवेकानंद के बारे में कितना जाना, पढ़ा या सुना है, लेकिन उनके काम ठीक वैसे ही है, जैसी सकारात्मक सोच और अग्नि ज्योति विवेकानंद युवाओं के भीतर प्रज्जवलित होते देखना चाहते थे।

इन युवाओं ने भी मौजूदा राजनीति और नेताओं के मिथ्या झूठ को दरकिनार कर भेड़ बनने से इंकार कर दिया है। ये बच्चों में शिक्षा के नए तौर-तरीकों से संस्कार भरने, संविधान को समझने, समझाने, लोगों को उनके संवैधानिक अधिकारों के प्रति जगाने, राजनीति की नई इबारत गढ़ने और अपने शहर सिवनी की तकदीर बदलने की राह पर चल पड़े हैं।

मंगलवार 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद का 158वां जन्मदिवस है, वह 1863 में कलकत्ता में जन्में थे। इस दिन को पूरा देश राष्ट्रीय दिवस के रूप में 1985 से मनाता आ रहा है। वैसे तो इस दिन हर साल स्कूल-कालेजों, सरकारी, गैरसरकारी संगठनों से लेकर कारपोरेट कंपनियों तक में आयोजन होते हैं, लेकिन कोरोना काल की इस कठिन घड़ी में आनलाइन ही सही, विवेकानंद याद जरूर किए जाएंगे।

कौन है युवाओं की टोली में

सिवनी जिले के दर्जन भर से ज्यादा युवाओं के ग्रुप वाली युवाओं की इस टोली में इंजीनियर और अंतर्राष्ट्रीय संस्था के रिसर्च फैलो रहे गौरव जायसवाल, आर्किटेक्ट, कानून के स्नातक नवेन्दु हैं, दोनों को प्यार से लोग भैया कहकर बुलाते हैं। इनके अलावा वीरेन्द्र बघेल, आनंद मिश्रा (दोनों इंजीनियर), विजय बघेल, रुषिकेश कानिटकर, आईआईटी मुंबई से पीएचडी कर रहे प्रियांक, शिक्षाविद् आरूषि मित्तल, शिरीष, किसान नेता शिवम बघेल, पत्रकार सतीश राय, आशा कार्यकर्ता रंजीता दीदी, हंसकला दीदी, बसंत बघेल, वैभव कुमार जैसे उच्चशिक्षित साथी हैं।

फोटो- बसंत बघेल, वैभव कुमार, शिवम बघेल, गौरव जायसवाल, शिरीष और ऋषिकेश।

टोली में 100 से अधिक युवा साथी एक समय में जुड़कर अलग-अलग भूमिकाओं में काम करते हैं। टोली के साथी रुषिकेश कहते हैं, "हम नवाचार में विश्वास रखते हैं। हम नहीं चाहते कि हम भीड़ की भेड़ों जैसा हमें भी कोई हकाले, धकेले। ऐसा हम ही नहीं हर युवा को ऐसे ही जगाने का काम हम कर रहे, सबसे कहते हैं पहले तर्क की कसौटी में तौलो, फिर आगे की राह खोलो।"

विवेकानंद के सपनों को कैसे साकार कर रही है यह टोली

जैसे स्वामी विवेकानंद का सपना था कि शिक्षा, समाज, धर्म हो या राजनीति हर स्तर पर चेतनावान समाज होना चाहिए। चेतना के बिना समाज हो या व्यक्ति मूढ़ और सोया हुआ रहता है और पूरा जीवन निरर्थक गुजार कर दुनिया से विदा हो जाता है। यह टोली सिवनी में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, समाज, राजनीति, युवा आदि के स्तर पर जागरुकता के लिए अलग-अलग तरह से हस्तक्षेप कर रही है, यह सभी हस्तक्षेप "अग्रणी संस्था" के साथ मिलकर चलाए जा रहे हैं। "अग्रणी संस्था" को गौरव जायसवाल के साथ लीड करने वाले एक साथी नवेन्दु ने गांव कनेक्शन के लिए हमें बताया कि मसलन नीतियों के स्तर पर हस्तक्षेप (Policy Intervention) को लेकर हम नागरिक मोर्चा और बदलेंगे सिवनी नाम से अभियान चला रहे हैं, जो बुनियादी तौर पर जागरुकता के लिए है, ताकि लोग राजनीतिक रूप से जागरूक हों और अपने नागरिक अधिकारों को हासिल करने की दिशा में काम करें।

बसंत बघेल बताते हैं, "हमारा एक सिटीजन इनिशियेटिव है, जिसमें हम सकारात्मक खबरों को प्रोत्साहित करते हैं। यूथ इनिशियेटिव भी है, जो मप्र के 11 समूहों वाले एमपी यूथ कलेक्टिव्स से जुड़ा हुआ है। इसमें युवाओं के मुद्दों और उनके समाधान पर काम किया जाता है।

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शिवम बघेल के मुताबिक युवाओं की इस टोली का किसान सत्याग्रह नामक एक फोरम है, जिसमें बड़ी संख्या में सिवनी ही नहीं, प्रदेश के किसान जुड़े हुए हैं। इस फोरम ने कोरोना महामारी के कारण लगाए गए पिछले साल लाकडाउन के दौरान अनोखे ऑनलाइन प्रदर्शन के माध्यम से देश का ध्यान खींचा था। ऑनलाइन सत्याग्रह का यह अनूठा आंदोलन सरकार द्वारा मक्का की फसल खरीदी के लिए तय एमएसपी से बहुत ही कम दामों में खरीदे जाने के विरोध में चलाया गया था।

लॉकडाउन ने तो किसानों का जमीन पर प्रदर्शन तो लाक कर दिया था, लेकिन यू-ट्यूब, ट्विटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स को हथियार बना कर इस टोली द्वारा छेड़ी गई लड़ाई ने देशभर के किसानों को सरकारों और ध्वस्त सिस्टम से भिड़ने का रास्ता जरूर दिखा दिया था और सिवनी जिले के गांवों से निकला यह ऑनलाइन आंदोलन कुछ ही दिनों में पंजाब, हरियाणा, यूपी, बिहार जैसे आधा दर्जन राज्यों का आंदोलन बन चुका था।

गौरव जायसवाल कहते हैं, "हम क्या करते, क्योंकि सरकार किसानों का दर्द सुनने को तैयार ही नहीं थी। अभी भी यही हाल है कि कृषि विधेयकों को वापस लेने को सरकार तैयार नहीं है। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं कि हमने पहले भी कहा था और अब भी कह रहे हैं कि एमएसपी पर मंडियों में खरीद की व्यवस्था खत्म नहीं होगी, आगे भी जारी रहेगी। दूसरी ओर कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर एक अखबार के इंटरव्यू में कहते हैं कि एमएसपी पर फसल खरीद की व्यवस्था की जरूरत ही क्या है, यह व्यापारी और किसान के बीच का मसला है।"

युवा किसान नेता शिवम बघेल कहते हैं, "किसान सत्याग्रह फोरम एक ही समय में सरकार की ओर से बोले जा रहे झूठ को भी उजागर कर रहा है। यह फोरम चाहे किसानों को फसल के मुआवजे का मामला हो या किसान के सामने बीज, यूरिया की कमी का मुद्दा हो या टिड्डी दल के फसलों पर हमले का संकट, हर समय किसानों के साथ खड़ा नजर आता है।"

किसान सत्याग्रह का फोरम किसानों, मजदूरों के लिए वोकल कार्यक्रम भी चला रहा है। जिसके वीडियो मे किसान कहते हुए दिखते हैं कि "हम किसान हैं, पढ़े-लिखे किसान हैं, हम गांववादी है, हम किसानवादी हैं, हम किसान के लिए लड़ेंगे, गांव के लिए लड़ेंगे, पार्टीवादी चाटुकारिता हमें नहीं आती। फसल के भाव न मिले तो सरकार को अपने तेवर भी दिखाएंगे। झूठ भी सामने लाएंगे।"

किसान सत्याग्रह के फोरम को संचालित करने वाली टोली दिल्ली-हरियाणा बार्डर पर 50 दिन से चल रहे किसानों के आंदोलन के साथ भी खड़ी है और सरकार के सामने किसानों के सवाल खड़े कर रही है। फोरम लगातार पूछ रहा है कि "जब हमारे वोट की कीमत है तो फसल की कीमत क्यों नहीं?"

शिक्षा के नए संस्कार देता नए मिजाज का अग्रणी स्कूल

नवेन्दु बताते हैं कि अग्रणी संस्था का एक स्कूल भी संचालित है, जिसे हमने अग्रणी पब्लिक स्कूल नाम दिया है, जो कि पेंच रिजर्व फारेस्ट के बफर जोन में स्थित है। काफी समय से हम शिक्षा के साथ ही संवैधानिक समझ बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। वैभव कुमार कहते है कि टोली यह देखती है कि शिक्षा में किस तरीके से हम बदलाव कर सकते हैं। पढ़ाने के नए तरीके क्या हो सकते हैं। टीचर किस तरह के नवाचार कर सकते हैं। किस तरह से प्रयोगों को सिवनी ही नहीं, देश-प्रदेश के स्कूलों में अमल में लाया जा सकता है।


अनुभवात्मक शिक्षा की क्या प्रणाली हो सकती है, पढ़ाने का नया तरीका क्या हो सकता है, बिना टूल्स के । उसके लिए यह संस्था और स्कूल हमारा एक छोटा सा रिसोर्स सेंटर जैसा है।

शिरीष राय के मुताबिक सिटीजन इनशियेटिव में हम कोशिश कर रहे हैं कि कैसे संविधान आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाया जाए, ताकि उसकी समझ विकसित हो जाए, वह अपना जीवन ठीक से जी पाए, वह जान पाए, कि वो अधिकार कहां से आते हैं या कहीं उसे कोई परेशानी है, तो संविधान उसके लिए, उसके साथ कैसे खड़ा हुआ है। स्ट्रक्चर्स कैसे बनें हैं, कानून कैसे बनता है और वो कैसे उसके लिए काम करता है।

सिवनी जिले के बारे में

बता दें कि मध्यप्रदेश में सतपुड़ा के पठार में बसे आदिवासी बाहुल्य सिवनी जिला है, जिसका गठन सन् 1956 में किया गया था। 8758 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैले इस जिले की आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार 13 लाख 79 हजार 131 है, पेंच का नेशनल टाइगर रिजर्व फारेस्ट भी यहीं है, रुडयार्ड किपलिंग की जंगल बुक के मुख्य चरित्र मोगली में इसी जंगल की वनस्पतियों और जीवों का उल्लेख मिलता है।

बैनगंगा नदी सिवनी जिले के ग्राम मुढारा से ही निकलना बताया जाता है। एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी बांध संजय सरोवर यहां की जीवन रेखा है। डेढ़ हजार से ज्यादा गांवों को अपने दामन में समेटे सिवनी के लोगों का मुख्य काम खेती किसानी है और यह मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा मक्का पैदा करने वाले जिलों में शुमार किया जाता है।

लीडरशिप के खालीपन को भरने की कोशिश

गौरव जायसवाल बताते हैं कि कभी पं. दुर्गाशंकर मेहता जैसे प्रख्यात स्वंतत्रता सेनानी और नारायण दास गुप्ता जैसे गांधीवादी नेता और बाद में नरसिंह राव के कार्यकाल में केन्द्रीय मंत्री रहीं कांग्रेस नेता सुश्री विमला वर्मा बुआ जी जैसे लोगों की लीडरशिप में सिवनी ने बहुत विकास देखा। लेकिन बीते दो दशकों में सिवनी में कोई ऐसा नेता नहीं उभरा, जो सिवनी की पहचान को कायम रख सके।

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लीडरशिप के खालीपन को देखकर ही लोग व्यंग करते हुए इसे मुर्दों का शहर कहते हैं। गौरव बताते हैं कि यह व्यंग हम युवाओं को गहरे नासूर की तरह चुभता है, जिसे खत्म करने का प्रण हम युवाओं ने लिया है। अब यहां कोई पार्टी की पाॅलिटिक्स नहीं, अब जनता की जरूरत की पाॅलिटिक्स चलेगी। इस बार नागरिक मोर्चा सिवनी को राजनीतिक नेतृत्व का विकल्प देने की तैयार में है, ताकि लोग कांग्रेस-भाजपा की पार्टी पॉलिटिक्स से अलग हटकर सोच सकें। नागरिक मोर्चा नगर के सभी 24 वार्डों में अपने पढ़े लिखे शिक्षित और जनता के मुद्दों को लेकर उनके बीच काम कर रहे युवाओं को राजनीति के मैदान में उतार कर जनता को, जनता के लिए जनता के द्वारा वाली नई राजनीतिक शैली का विकल्प देगी।


युवा दिवस पर युवाओं के लिए नवेन्दु अपनी बात रखते हुए कहते हैं कि आज के युवा की पोजिशनिंग भविष्य के समाज के निर्माण के लिए बहुत जरूरी है। युवाओं के अपने जीवन का संघर्ष तो है ही, लेकिन उसके साथ यह समझने की जरूरत है कि जीवन को सुखी बनाने में समाज का भी बहुत बड़ा योगदान है। मेरे समाज का वातावरण जैसा होगा, मेरा निर्माण वैसा ही होगा। मैं उदासीन होकर या आइसोलेशन में नहीं जी सकता। जितना मैं खुद के लिए काम करता हूं, उतना ही मुझे समाज के लिए आहिस्ता-आहिस्ता काम करने की आवश्यकता है, उसके बिना काम नहीं चलेगा। 'मैं' वाली विकसित होती जा रही भावना से निकलकर "हम" वाली भावना में आना युवाओं के लिए बहुत जरूरी है।'मैं'को हटाकर "हम" की बात ही तो करते थे स्वामी विवेकानंद... उन्हें नमन्।

  

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