सिबिल: तीन अंकों का वित्तीय मीटर यानी आपके वित्तीय लेन देन का रिपोर्ट कार्ड

सिबिल स्कोर आपके वित्तीय लेन देन का रिपोर्ट कार्ड है। उसमें विभिन्न मानक हैं, जिनसे आपकी वित्तीय जोखिम लेने की क्षमता, वित्तीय व्यवहारों को लेकर आपकी आदतें या आपके पिछले व्यवहारों के बारे में जानकारी मिल जाती है।

Akash Deep MishraAkash Deep Mishra   22 March 2023 12:23 PM GMT

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सिबिल: तीन अंकों का वित्तीय मीटर यानी आपके वित्तीय लेन देन का रिपोर्ट कार्ड

जिन ग्राहकों का सिबिल स्कोर बहुत अच्छा होता है जैसे की 800 या उससे ज्यादा, आज कल बैंक उन्हें आकर्षक ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करते हैं।

“देख रहा है बिनोद , अंग्रेजी बोल-बोल के कैसे बात को घुमाया जाता है”, ऐसा ही कुछ रामकिशोर को लगा जब बैंक के साहब ने उनके लोन की अर्जी को यह कह कर ख़ारिज कर दिया कि आपका CIBIL स्कोर कम है। रामकिशोर को यह तो समझ आया कि काम नहीं होगा, लेकिन उसका कारण उनकी समझ के परे था।

रास्ते में SSC चाय वाले के यहां बिस्किट चाय में डुबोते-डुबोते सवाल किया कि भाई हमारे पास कुछ है जो कम है, हमसे ज्यादा किसका है?, हम ऐसा क्या किए जिससे वो कम हो गया? और इससे भी अव्वल ये कि हमारी कमी के बारे में हमें नहीं मालूम पर बैंक के साहब को मालूम है। बच्चे की पढ़ाई के लिए लोन की सुविधा उपलब्ध है, यह तो बैंक ने इश्तेहार लगाया हुआ है, "दे आपके सपनों को उड़ान, एजुकेशन लोन स्कीम"। इसी भरोसे अपनी बिटिया को लखनऊ में दाखिले की आस तो दिला दिए पर लगता है अब यहीं गाँव में ही आगे की पढ़ाई होगी। चाय वाले ने भी चुटकी ली और बोला कि भाई सब काम नकारने के बहाने हैं। चिंता में डूबा रामकिशोर चाय बिस्कुट का पैसा दिए बिना ही चल दिया।

ऐसा अपने जीवन में अक्सर होता है कि जब हम किसी बैंक या सरकारी दफ्तर में जाते हैं तो हमें कोई अनसुना सा शब्द बोल कर, उसके बहाने से हमारे काम को या तो टाल दिया जाता है या तो मना कर दिया जाता है। लेकिन इसमें दोष कुर्सी पर बैठे साहब का भी नहीं है, हर काम के कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करते हुए ही वह अपने हिस्से का काम करते हैं। कहीं ना कहीं कुर्सी और सामने की ज़मीन में जानकारी के अभाव की दरार पड़ी होती है, कोई इसे पाटने में दिलचस्पी नहीं रखता। साहब को वजह मिल गई है काम का बोझ कम करने की, और मांगने वाले को काम के ना होने का एक अनबुझा सा कारण।


रामकिशोर के विषय में जो शब्द आया था सिबिल (CIBIL) स्कोर, ज़रा उसको आज समझ लेते हैं।

सिबिल स्कोर आपके वित्तीय लेन देन का रिपोर्ट कार्ड है। उसमें विभिन्न मानक हैं, जिनसे आपकी वित्तीय जोखिम लेने की क्षमता, वित्तीय व्यवहारों को लेकर आपकी आदतें या आपके पिछले व्यवहारों के बारे में जानकारी मिल जाती है।

भारत में आरबीआई द्वारा 4 कंपनियों को प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम 2005 के नियमानुसार ,प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी(Credit Information Companies)के तौर पर काम करने की मंजूरी प्राप्त है। जिनके नाम सिबिल, एक्सपेरियन, एक्वीफैक्स और CRIF हाई मार्क क्रेडिट इनफार्मेशन सर्विसेज हैं। इनमें से सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा विस्तार लिए हुए कंपनी है, सिबिल। सिबिल के सदस्यों में अग्रणी बैंक, वित्तीय संस्थान, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां और हाउसिंग फायनांस कंपनियों सहित 2,400 से अधिक सदस्य हैं, विभिन्न व्यवसायों और व्यक्तियों के कुल मिलाकर 55 करोड़ से ज्यादा वित्तीय रिकॉर्ड सिबिल के साथ उपलब्ध हैं।

प्रत्येक सदस्य संस्था अपने ऋणधारकों की वित्तीय जानकारी सिबिल से साझा करती है जिसे वह एक ही रिपोर्ट में सम्मिलित कर लेती हैं और किसी संस्था या व्यक्ति द्वारा रिपोर्ट मांगने के समय पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करती है। सिबिल रिपोर्ट में उपलब्ध विश्लेषण के माध्यम से ऋण की प्रक्रिया में काफी सहूलियत होती है।


कुल ऋण में से 90% से ज्यादा ऋण उनको मिले हैं जिनका सिबिल स्कोर 750 या उससे अधिक था। ऋण की प्रक्रिया में आपकी आमदनी, मासिक खर्चे, चालू ऋण की किश्त के साथ साथ सिबिल स्कोर को भी ज़रूरी मानक माना जाता है। सिबिल आपके आधार कार्ड, पैन कार्ड, जन्म तिथि, मोबाइल नंबर, पते की जानकारी लेता है और आपके सभी चालू और पिछले व्यवहारों की जानकारी देता है।

इसकी रिपोर्ट में आपके प्रत्येक ऋण की जानकारियां जैसे कि ऋण कब लिया गया, कितना लिया गया, कितना बाकी है, कौन से बैंक या संस्था से लिया गया, ईएमआई कितना है, ऋण में कुछ अनियमितता तो नहीं है इत्यादि प्रस्तुत होती है। कोई भी ऋण देते समय इस सिबिल का स्कोर, जो कि इन्हीं मानकों से निकलता है, उसकी जांच की जाती है। सिबिल स्कोर 300 से 900 के बीच में होता है, सामन्य रूप से 700 के ऊपर के स्कोर को ठीक माना जाता है। सिबिल स्कोर -1 होने का मतलब है कि आपका कोई भी वित्तीय रिकार्ड नहीं है।

जिन ग्राहकों का सिबिल स्कोर बहुत अच्छा होता है जैसे की 800 या उससे ज्यादा, आज कल बैंक उन्हें आकर्षक ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करते हैं। खुदरा लोन जैसे की गृह कर्ज़, वाहन कर्ज़, पर्सनल लोन इत्यादि हो या व्यावसायिक कर्ज़ हो, सभी में सिबिल स्कोर की महत्वता बढ़ती जा रही है। सिबिल स्कोर के महत्व को समझने के बाद आइए ये समझ लेते हैं की कैसे स्कोर को बेहतर बनाये रखा जा सकता है:

ऋण की बकाया राशि का समय पर भुगतान करें।

गैर ज़मानती ऋण(जैसेपर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड ) को ज़रूरत पड़ने पर ही लें और ज़मानती ऋण (वाहन ऋण, गृह ऋण) और गैर ज़मानती ऋण में संयोजन बनाये रखें। ज्यादा संख्या में गैर ज़मानती ऋण से सिबिल स्कोर कम होता है।

जिन ऋण में आप सह कर्ज़दार हैं या गारंटर हैं उन पर भी नियमित नज़र रखें, उन ऋणों के बकाया होने पर भी आपका सिबिल स्कोर काम होता है।

ऋण की पूछताछ को लेकर संयम रखें, कम समय में कई बार सिबिल की जानकारी लेने से सिबिल स्कोर में कमी आती है।

सिबिल रिपोर्ट में आयी कोई ऐसी जानकारी जिससे की कोई संस्था या व्यक्ति सहमत नहीं है तो वह सिबिल की साइट पर विवाद समाधान प्रक्रिया का पालन करते हुए रिपोर्ट में सुधार ला सकता है।

और हाँ, घबराइए नहीं, जो चाय बिस्कुट का पैसा बाकी है रामकिशोर का उससे उसका सिबिल नहीं ख़राब होगा, आज भी गली मोहल्लों में अर्थ व्यवहार जान पहचान के सिलसिलों पर चलता है, सिबिल से नहीं।

आकाश दीप मिश्रा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में ब्रांच मैनेजर हैं। ये उनके व्यक्तिगत विचार हैं।

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