जानिए जनवरी से दिसम्बर तक पशुपालक किस महीने में कैसे करें पशुओं की देखभाल

गाँव कनेक्शन | Jun 25, 2017, 09:09 IST
farmer
लखनऊ। पशु किसान के जीवन का आज भी प्रमुख हिस्सा हैं। हालांकि खेती से जुड़े यंत्र आ जाने से आज खेती में काम आने वाले पशुओं की अहमियत थोड़ा कम हुई है, उसके बावजूद आज भी बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर आज भी पशुओं का इस्तेमाल खेती में किया जाता है। इसके अलावा दुधारू पशुओं की एहमियत आज भी किसान के जीवन में उतनी ही है। लेकिन बहुत से पशुपालकों को नहीं पता होता है कि वो पशुओं की देखभाल कैसे करें, जिससे उनके पशु स्वस्थ रहें। इस लिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि पशुपालक किस महीने में पशुओं की देखभाल कैसे करें।

वर्ष के अलग-अलग महीनों में पशुपालन से सम्बन्धित कार्य इस प्रकार हैं-

जनवरी

  • पशुओं का ठंढी से बचाव करें।
  • खुरपका-मुँहपका का टीका लगवायें।
  • बाह्य परजीवी से बचाव के लिए पानी में दवा मिलाकर स्नान करायें। (दवाई के लिए डॉक्टर से सलाह लें।)
  • दुहान से पहले अयन को गुनगुने पानी से धो लें।

फरवरी

  • खुरपका-मुँहपका का टीका लगवाकर पशुओं को सुरक्षित करें।
  • जिन पशुओं में जुलाई अगस्त में टीका लग चुका है, उन्हें फिर से टीके लगवायें।
  • बाह्य परजीवी तथा अन्तः परजीवी की दवा पिलवायें।
  • कृत्रिम गर्भाधान करायें।
  • बांझपन की चिकित्सा एवं गर्भ परीक्षण करायें।
  • बरसीम का बीज तैयार करें।
  • पशुओं को ठण्ड से बचाव का प्रबन्ध करें।

मार्च

  • पशुशाला की सफाई व पुताई करायें।
  • बधियाकरण करायें।
  • खेत में चरी, सूडान तथा लोबिया की बुआई करें।
  • मौसम में परिवर्तन से पशु का बचाव करें

अप्रैल

  • खुरपका-मुँहपका रोग से बचाव का टीका लगवायें।
  • जायद के हरे चारे की बुआई करें, बरसीम चारा बीज उत्पादन हेतु कटाई कार्य करें।
  • अधिक आय के लिए स्वच्छ दुग्ध उत्पादन करें।
  • अन्तः एवं बाह्य परजीवी का बचाव करने के लिए पशुओं को पानी में दवा मिलाकर नहलाएं और दवा पिलाएं।

मई

  • गलाघोंटू तथा लंगड़िया बुखार का टीका सभी पशुओं में लगवायें।
  • पशुओं को हरा चारा पर्याप्त मात्रा में खिलायें।
  • पशु को स्वच्छ पानी पिलायें।
  • पशु को सुबह एवं शाम नहलायें।
  • पशु को लू एवं गर्मी से बचाने की व्यवस्था करें।
  • परजीवी से बचाव के लिए पशुओं का उपचार करायें।
  • बांझपन का इलाज करवायें ऐर गर्भ परीक्षण करायें।

जून

  • गलाघोंटू तथा लंगड़िया बुखार का टीका अवशेष पशुओं में लगवायें।
  • पशु को लू से बचायें।
  • हरा चारा पर्याप्त मात्रा में दें।
  • परजीवी निवारण के लिए पशुओं को दवा पिलवायें।
  • खरीफ के चारे मक्का, लोबिया के लिए खेत की तैयारी करें।
  • बांझ पशुओं का उपचार करायें।
  • सूखे खेत की चरी न खिलायें।

जुलाई

  • गलाघोंटू तथा लंगड़िया बुखार का टीका शेष पशुओं में लगवायें।
  • खरीफ चारा की बुआई करें तथा जानकारी प्राप्त करें।
  • पशुओं को पेट में कीड़े होने की दवा पिलाएं।
  • वर्षा ऋतु में पशुओं के रहने की उचित व्यवस्था करें।
  • ब्रायलर पालन करें, आर्थिक आय बढ़ायें।
  • पशु दुहान के समय खाने को चारा डाल दें।
  • पशुओं को खड़िया का सेवन करायें।
  • कृत्रिम गर्भाधान अपनायें।

अगस्त

  • नये आये पशुओं तथा अवशेष पशुओं में गलाघोंटू तथा लंगड़िया बुखार का टीकाकरण करवायें।
  • लिवर फ्लूक के लिए दवा पिलाएं।
  • गर्भित पशुओं की उचित देखभाल करें।
  • ब्याये पशुओं को अजवाइन, सोंठ तथा गुड़ खिलायें। देख लें कि जेर निकल गया है।
  • जेर न निकलनें पर पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें।
  • भेड़/बकरियों को परजीवी की दवा अवश्य पिलायें।

सितम्बर

  • उत्पन्न संतति को खीस (कोलेस्ट्रम) अवश्य पिलायें।
  • अवशेष पशुओं में एचएस तथा बीक्यू का टीका लगवायें।
  • मुंहपका तथा खुरपका का टीका लगवायें।
  • पशुओं की डिवर्मिंग करायें।
  • भैंसों के नवजात शिशुओं का विशेष ध्यान रखें।
  • ब्याये पशुओं को खड़िया पिलायें।
  • गर्भ परीक्षण एवं कृत्रिम गर्भाधान करायें।
  • तालाब में पशुओं को न जाने दें।
  • दुग्ध में छिछड़े आने पर थनैला रोग की जाँच अस्पताल पर करायें।
  • खीस पिलाकर रोग निरोधी क्षमता बढ़ावें।

अक्टूबर

  • खुरपका-मुंहपका का टीका अवश्य लगवायें।
  • बरसीम एवं रिजका के खेत की तैयारी एवं बुआई करें।
  • निम्न गुणवत्ता के पशुओं का बधियाकरण करवायें।
  • उत्पन्न संततियों की उचित देखभाल करें
  • दुहान से पहले अयन को धोयें।

नवम्बर

  • खुरपका-मुंहपका का टीका अवश्य लगवायें।
  • कीड़ों को मारने वाली दवा पिलाएं।
  • पशुओं को संतुलित आहार दें।
  • बरसीम तथा जई अवश्य बोयें।
  • लवण मिश्रण खिलायें।
  • थनैला रोग होने पर उपचार करायें।

दिसम्बर

  • पशुओं का ठंड से बचाव करें, लेकिन झूल डालने के बाद आग से दूर रखें।
  • बरसीम की कटाई करें।
  • वयस्क तथा बच्चों को पेट के कीड़ों की दवा पिलायें।
  • खुरपका-मुँहपका रोग का टीका लगवायें।
  • सूकर में स्वाईन फीवर का टीका अवश्य लगायें।
Tags:
  • farmer
  • Farming
  • Animal
  • animal keeper
  • हिंदी समाचार
  • समाचार
  • story

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.