पौधे खरीदने-बेचने के शौकीनों को मिली ऑनलाइन मंडी

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 13 अप्रैल (मंगलवार) को राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा विकसित इस नए राष्‍ट्रीय नर्सरी पोर्टल का शुभारंभ किया है। इसके जरिए लोग फूल, फल, सब्जियों और मसालों के पौधे ऑनलाइन खरीद या बेच सकेंगे।

Divendra SinghDivendra Singh   14 April 2021 11:15 AM GMT

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पौधे खरीदने-बेचने के शौकीनों को मिली ऑनलाइन मंडी

लोगों को पता ही नहीं होता कि उनके प्रदेश या फिर जिले में कितनी नर्सरियां हैं, इस पोर्टल के माध्यम लोगों को अपने क्षेत्र के नर्सरियों की भी जानकारी मिलेगी। सभी फोटो: राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड

अगर आप पौधों की नर्सरी के व्यवसाय से जुड़े हैं या पौधे खरीदना चाहते हैं तो यह आप के लिए काम की खबर है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 13 अप्रैल (मंगलवार) को राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा विकसित इस नए राष्‍ट्रीय नर्सरी पोर्टल का शुभारंभ किया है। इस पोर्टल की मदद से आप देश के किसी भी हिस्से से पौधे खरीद या फिर बेच सकते हैं। इतना ही नहीं इससे आपकी पहुंच फूल, फल, सब्जियों और मसालों के पौधों की नर्सरियों तक आसान होगी। साथ ही अच्छी गुणवत्ता के पौधों की उपलब्‍धता, कीमत आदि के बारे में जानकारी प्राप्‍त कर पाएंगे।

तोमर ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय ने नर्सरियों के लिए 'ऑनलाइन डिजिटल प्‍लेटफार्म' स्थापित किया है, ताकि किसान/ उत्पादक और अन्य हितधारक अपने आसपास के क्षेत्रों में उपलब्‍ध क्‍वॉलिटी प्‍लांटिंग मटेरियल की उपलब्धता की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकें। इस पोर्टल के माध्‍यम से, नर्सरियों के संचालक अपनी प्रोफाइल प्रदर्शित कर सकेंगे और बिक्री ऑफर डाल सकेंगे। प्‍लांटिंग मटेरियल के खरीदार भी सीधे ऑनलाइन पूछताछ कर सकेंगे और अपनी जरूरत से मिलते-जुलते बिक्री ऑफर देख पाएंगे।

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के नर्सरी उप निदेशक दिनेश कुमार पाल गांव कनेक्शन को बताते हैं, " इस तरह के प्लेटफार्म की डिमांड किसान बहुत पहले से कर रहे थे कि कोई ऐसा पोर्टल बनाया जाए, जहां पर देश भर की रजिस्टर्ड नर्सरियां एक जगह पर मिल जाएं। इसलिए कृषि मंत्रालय ने राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड को ऐसा कोई पोर्टल बनाने का सुझाव दिया।"

वो आगे कहते हैं, "इस पोर्टल पर नर्सरियों को कई कैटेगरी में बांटा गया है, पहली जिसमें नर्सरी किसी सरकारी संस्था से संबद्ध हो, दूसरी में ऐसी नर्सरियों को रखा गया है, जिन्हें कृषि या फिर उद्यान विभाग से लाइसेंस मिला हुआ होता है। तीसरी कैटेगरी में ऐसी नर्सरियां हैं जो अच्छे पौधे तैयार कर रहीं हैं, लेकिन कहीं भी उनका रजिस्ट्रेशन नहीं है। उनको भी हमने मौका दिया है।"


राष्‍ट्रीय नर्सरी पोर्टल पर अभी तक 813 नर्सरियां रजिस्टर्ड हो गईं हैं, जबकि 205 खरीददारों ने खुद को रजिस्टर किया है। इस समय पोर्टल पर फलदार पौधों की 63 किस्मों की 1013 प्रजातियां, सब्जियों की 23 किस्मों की 339 प्रजातियां, फूलों की सात किस्मों की 118 प्रजातियां, मसालों की 15 किस्मों की 206 प्रजातियां और पौधारोपण के लिए 46 प्रजातियों के पौधे खरीद सकते हैं।

उन्होंने आगे बताया, "इस पोर्टल के माध्यम से विक्रेता और खरीददार दोनों खुद को रजिस्टर करके, दोनों आपस में बातचीत कर सकेंगे, सेल ऑफर डाल सकेंगे। क्योंकि पौधों की बिक्री के लिए उसकी फोटो और सही दाम पोर्टल पर डालना होता है। जहां पर खरीददार विक्रेता से बात कर सकते हैं। नर्सरी पोर्टल मुख्य उद्देश्य है जो पौधे तैयार किए जा रहे हैं, जैसे किसी की डिमांड है कि उसे दशहरी आम का एक फीट का पौधा चाहिए वो भी सिर्फ 40 रुपए में। उसके मनमुताबिक विक्रेता यहां पर मिल जाएंगे। क्योंकि यहां पर खरीददार विक्रेता से पौधे का दाम कम भी करा सकते हैं। "


नर्सरियों को भी बाज़ार मांग का पता चलेगा। खरीददारों का नर्सरियों से सीधा संपर्क होने से नर्सरियों को उनके प्‍लांटिंग मटेरियल का बेहतर दाम मिल पाएगा व बेहतर उपज तथा क्‍वॉलिटी बनाए रखने के लिए समय से सलाह प्राप्त कर सकेंगे। यह पोर्टल नर्सरियों व खरीदारों के बीच दूरी खत्म करने में मदद करेगा व क्वॉलिटी प्‍लांटिंग मटेरियल की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने में भी सहयोग करेगा।

दिनेश कुमार पाल कहते हैं, "हमारा उद्देश्य है कि किसान को अच्छी गुणवत्ता का पौधा ही मिले, जैसे कि अगर कोई दशहरी किस्म का पौधा बेच रहा है तो ये नहीं कि तीन साल बाद उसमें किसी और किस्म के फल लगने लगें। इन सब बातों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

कई लोगों को पता ही नहीं होता कि उनके प्रदेश या फिर जिले में कितनी नर्सरियां हैं, इस पोर्टल के माध्यम लोगों को अपने क्षेत्र के नर्सरियों की भी जानकारी मिलेगी। अगर कोई नर्सरी संचालक खुद को यहां रजिस्टर करता है तो उसे अपनी नर्सरि की पूरी जानकारी, मसलन नर्सरी का पूरा पता, उसके यहां कौन-कौन से किस्म के पौधे उपलब्ध हैं आदि।

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