इस मौसम में उड़द-मूंग में बढ़ जाता है मोजेक का खतरा, समय रहते करें बचाव

Divendra Singh | Apr 30, 2018, 13:51 IST
Urad-moong crop
इस समय तापमान के घटने बढ़ने से जायद की मूंग व उड़द की फसल में पीला मोजेक ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद की क्राप वेदर वाच ग्रुप ने चेतावनी जारी की है कि अप्रैल के अंतिम सप्ताह से मई तक इस रोग का प्रकोप तेजी से बढ़ता है।

देश में राजस्थान, मध्य प्रदेश महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडू और उत्तर प्रदेश में मूंग और उड़द की लगभग 65 लाख हेक्टेयर में खेती होती है।

भारतीय दलहन अुनंसधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. आईपी सिंह बताते हैं, ''मूंग और उड़द में पीले मोजैक रोग का विषाणु सफेद मक्खी के जरिए फैलता है। इसके कीट पत्तियों और फलों के रस चूसकर उसे सूखा देते हैं। जिससे फसल बर्बाद हो जाती है।''

खेत में अगर पांच से लेकर 10 सफेद मक्खी समूह में दिखे तो मिथाइल ओ-डिमेटान 25 प्रतिशत ईसी को एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड‍़काव करें। पौधों में पीलापन पीला मोजेक बीमारी की वजह से होता है, जो एक विषाणु जनित बीमारी होती है। इसकी शुरुआत एक पौधे से होती है धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल जाता है।

पत्तियां हो जाती हैं पीली इन रोगों से पौधे की वृद्धि कम हो जाती है, पौधों का पीलापान, ऐंठ जाना, सिकुड़ जाना इत्यादि लक्षण हैं। कभी-कभी पत्तियां भी खुरदरी हो जाती हैं, मोटापन लिए गहरा हरा रंग धारण कर लेती है और सलवट पड़ जाती है। रोग के लक्षण प्रारंभ में फसल पर कुछ ही पौधे पर प्रकट होते हैं और धीरे -धीरे बढ़कर भयंकर रूप धारण कर लेते हैं। रोगग्रस्त फसल में शुरू में खेत में कहीं-कहीं स्थानों पर कुछ पौधों में चितकबरे गहरे हरे पीले धब्बे दिखाई देते हैं और एक दो दिन बाद में संपूर्ण पौधे बिल्कुल पीले हो जाते हैं और पूरे खेत में फैल जाते हैं।

पीला मोजेक रोग सफेद मक्खी द्वारा फैलती है, मक्खी एक रोगग्रस्त पौधे की पत्ती पर बैठती है और मक्खी जब दूसरे पौधे पर बैठती है तो पूरे खेत में संक्रमण फैल जाता है। बुवाई के समय ही सही बीजोपचार और उन्नत बीज के चयन से इस संक्रमण से बचाया जा सकता है। अगर एक पौधे में संक्रमण में हो तो उस पौधों को उखाड़कर खेत से दूर जमीन में गाड़ देना चाहिए। ऐसे में पौधों में संक्रमण नहीं होगा।।

पीले मोजेक का संक्रमण सिर्फ सिर्फ उड‍़द या मूंग की फसल में नहीं होता है, सफेद मक्खी मिर्च, बैंगन में संक्रमण में फैला देती है। किसान जब कीटनाशक की दुकान पर जाता है, तो दुकानदार उन्हें कोई न कोई दवा दे देता है, जिससे कोई लाभ नहीं होता है। इसलिए संक्रमण होते ही पौधों को उखाड़ दें।"

सफेद मक्खी से रासायनिक बचाव

रोग से बचाव हेतु बीजोपचार के लिए बीजों को इमिडाक्लोप्रिड या एसिटामिप्रिड घोल में डुबोकर रोपण करें। बीमार पौधों के शीर्ष भाग काट कर जला दें और सफेद मक्खी पर नियंत्रण के लिए पौध रोपण के 30 दिन बाद इमिडाक्लोप्रिड या एसिटामिप्रिड की 125 प्रति मिली. हेक्टेयर या मिथाइल डिमेटान या एसिफेट की 300 प्रति मिली हेक्टेयर छिड़काव करें। साथ ही प्रत्येक छिड़काव के समय सल्फेक्स 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर के मान से मिश्रित करें।

ये भी देखिए:

Tags:
  • Urad-moong crop
  • Moong
  • yellow mosaic disease

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.