कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में किसानों की किसान संसद, देखिए वीडियो

कृषि कानूनों Farm laws के खिलाफ 8 महीने से आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली में किसान संसद शुरु की है। संसद के मानूसन सत्र तक किसानों की ये संसद रोज लगेगी और प्रस्ताव पास करेगी।

Amit PandeyAmit Pandey   22 July 2021 4:33 PM GMT

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जंतर-मंतर (दिल्ली)। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में संसद से कुछ दूर पर ही किसान नेताओं और किसान संगठनों farmers union ने अपनी संसद शुरु कर दी है। किसान संसद के पहले दिन किसान नेताओं ने अपने स्पीकर,डिप्टी स्पीकर तय किए हैं। व्हिप जारी किया गया है और प्रस्ताव भी पास होंगे।

आठ महीने से तीनों कृषि कानूनों farm laws को रद्द करने की, वापस लेने की मांग कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में किसान नेताओं ने बृहस्पतिवार को संसद कूच किया। संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों की सुनवाई न होने पर संसद के सामान्तर किसान संसद farmer parliament चलाने का ऐलान किया था। संसद के आसपास अनुमति न मिलने के बाद किसान नेताओं को जंतर-मंतर पर जगह मिली हैं, जहां 13 अगस्त तक संसद की तरह की किसानों की संसद चलेगी।

ये भी पढ़ें- क्या कृषि कानूनों को निकट भविष्य में रद्द करने का प्रस्ताव है? सवाल के जवाब में संसद में सरकार ने दिया ये जवाब

किसान को संसद को पहले दिन 43 नेताओं ने संबोधित किया। जिसमें राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, शिव कुमार कक्का, महेंद्र राय, हन्नान मोल्लाह प्रमुख तौर वक्ता थे। किसान संसद के पहले दिन एपीएमएसी एक्ट APMC एक्ट पर चर्चा हुई।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और संयुक्त किसान मोर्चा के अहम सदस्य राकेश टिकैत Rakesh Tikait ने ये अच्छा हुआ आज सरकार ने ये तो माना कि जो प्रदर्शन कर रहे हैं वो किसान हैं। ये किसानों की संसद है, यहां से प्रस्ताव भी पास होकर जाएंगे। यहां से प्रस्ताव ये होगा कि जो तीन काले कानून भारत सरकार की संसद ने बनाए हैं वो किसान किसान पार्लियामेंट किसान संसद उनको कैंसिल करती है, ये प्रस्ताव यहां से पास होकर आज जाएगा।"

उन्होंने आगे कहा कि आज जो बातचीत है वो मंडी के ऊपर है। मंडी पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। मंडी का मतलब एमएसपी नहीं था मंडी का मतलब था किसानों के लिए एक फ्लेटफार्म, जहां से किसान अपने कई काम करता था।"

इस दौरान योगेंद्र यादव Yogendra yadav ने कहा कि सरकार के साथ 11 बार की बैठकों में क्या हुआ है हम लोग इसका यहां विस्तार से ब्यौरा देंगे। तीन कृषि कानूनों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। मीडिया भी ब्रीफ करेंगे। किसानों नेताओं के मुताबिक उनका समर्थन बढ़ता जा रहा है। केरल के 20 सांसद भी उनसे मिलने आए थे। आगे बहुत सारे संसद उनके संपर्क में हैं। जो उनके मुद्दे उठाएंगे।

किसान संसद के दौरान मीडिया से बात करते हुए किसान स्वराज के संयोजक ने कहा कि किसान संसद में देखेंगे कि कौन हमारे साथ है, कौन हमारे लिए घड़ियाली आंसू बहाते हैं, कुछ करते नहीं हैं उसके बारे में भी पता लग जाएगा।

उन्होंने कहा, "200 किसानों को मैनेज करने के लिए सरकार ने पूरी दिल्ली पुलिस लगा दी है। ये साबित करता है कि सरकार जानती है कि इन किसानों के पीछे हजारों लाखों लोग खड़े हैं। ये 200 नहीं 20 लाख हैं इसलिए 40 हजार इनसे बचने के लिए लगाए गए हैं। सरकार को याद आ गया है, अगर आप (मीडिया) थोड़ा सहयोग करें तो देश को भी याद आ जाएगा, हम देश को यही याद दिलाने हैं। सरकार पर भरोसा नहीं है लेकिन लोकतंत्र पर भी भरोसा है। इस देश में कोई किसान विरोधी होकर कोई गद्दी पर बैठ नहीं सकता।

जंतर-मंतर से कुछ दूर संसद भवन में मानसून सत्र के दौरान दोनों सदनों का माहौल गर्म है। बृहस्पतिवार को संसद की कार्यवाही शुरु होने से पहले कांग्रेस पार्टी ने महात्मा गांधी की मूर्ति के पास प्रदर्शन किया। जिसमें राहुल गाँधी भी शामिल हुए। कांग्रेस पार्टी लगातार कृषि कानून वापस लेने की मांग करती रही है।

संसद में गाँधी प्रतिमा के बाहर प्रदर्शन करते कांग्रेसी सांसद। फोटो- via twitter @RahulGandhi

उधर संसद में पूछे गए कई सवालों के जवाब में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान यूनियन के सात सरकार की 11 दौर की वार्ता हो चुकी है। सरकार ने किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए कोशिशें की। किसानों से कहा गया कि वो कृषि कानूनों के खंडों (क्लॉज) पर वार्ता करें ताकि उनकी समस्याओं का समाधान किया जा सके लेकिन किसान नेता कृषि कानूनों की वापसी पर अड़े रहे।

एक सवाल के वजाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में दिए उत्तर में कहा, "सरकार किसान संघों से वार्ता को हमेशा तैयार है। और इस मुद्दे को हल करने के लिए हमेशा तैयार रहेगी।"

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