आल्हा: ढोलक, झांझर और मंजीरे की संगत में सुनिए मानव की लड़ाई | Alha | Gaon Connection
यह पारंपरिक लोकसंगीत और कथागायन की अद्भुत दुनिया है जिसमें आल्हा की अमर कथा का मनमोहक प्रस्तुतीकरण किया गया है। वीर रस से भरे आल्हा गीत उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में मानसून आने से पहले बड़े उत्साह के साथ गाए जाते हैं। ढोलक, झांझर और मंजीरे की धुनों के साथ प्रस्तुत इस कड़ी में बताया गया है कि बारह वर्ष की आयु में ऊदल किस प्रकार अपने पिता का बदला लेता है। मध्य ई नवेड़ा, कानपुर के लोक कलाकार गुड्डन, खुशबू और उनके साथी इस कथा को जीवंत बना देते हैं। संगीत, कथन, पारंपरिक वेशभूषा और लोक संस्कृति की झलक से भरपूर यह प्रस्तुति दर्शकों को एक अनोखी अनुभूति प्रदान करती है और परिवार के सभी लोगों को अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ती है। यह कार्यक्रम हमारी परंपराओं के गौरव को पुनर्जीवित करने का प्रयास है जिसमें लोककला की आत्मा, उत्साह और कहानी कहने की अनूठी शैली झलकती है।