गुजरात में कई महीने पहले से शुरू हो जाती है गरबा की तैयारी

Ankit Kumar Singh | Sep 30, 2019, 12:02 IST
#Navratri
मेहसाणा (गुजरात)। यहां पर लोग साल भर नवरात्रि का इंतजार करते हैं ताकि वो गरबा डांस कर सकें, यही नहीं इस डांस की तैयारी कई हफ्तों पहले से शुरू हो जाती है और नवरात्रि के दिन से शुरू होता है गरबा।

गुजरात के मेहसाणा में डांस की तैयारी कर रही प्रजापति बताती हैं, "नवरात्रि के त्योहार को लेकर हमारे गुजरात की पब्लिक बहुत तैयारी करती है, हमारे यहां तो कुछ महीने नहीं छह महीने पहले से इसकी तैयारी शुरू कर देती हैं। यहां डांस में हमें गरबा, रास और डांडिया सिखाया जाता है।"

गरबा गुजरात, राजस्थान और मालवा प्रदेशों में प्रचलित एक लोकनृत्य जिसका मूल उद्गम गुजरात है। आजकल इसे पूरे देश में आधुनिक नृत्यकला में स्थान प्राप्त हो गया है। गरबा सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है और अश्विन मास की नवरात्रों को गरबा नृत्योत्सव के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रों की पहली रात्रि को गरबा की स्थापना होती है। फिर उसमें चार ज्योतियां प्रज्वलित की जाती हैं। फिर उसके चारों ओर ताली बजाती फेरे लगाती हैं।

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डांस इंस्टीट्यूट चलाने वाले भावेश बताते हैं, "गुजरातियों के लिए गरबा बहुत ही खास होता है, जहां एक भी गुजराती जाता है, तो वहां पर कहा जाता है कि गुजराती है तो गरबा जानता ही होगा। हम कहीं भी जाते हैं, आते तो बहुत से त्योहार हैं, लेकिन हम नवरात्रि का इंतजार करते हैं कि कब नवरात्रि आएगी और उसकी हम तैयारी करें। नवरात्रि के लिए हम अपनी जी जान लगा देते हैं। हर कोई कुछ न कुछ नया करना चाहता है कि हम इसमें क्या नया कर लें।"

गरबा नृत्य गुजरात राज्‍य का एक लोकप्रिय लोक नृत्य है, जो गीत, नृत्‍य और नाटक की समृद्ध परम्‍परा का निरुपण करता है। यह मिट्टी के मटके, जिसे गरबो कहते हैं, को पानी से भर कर इसके चारों ओर महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्‍य है। मटके के अंदर एक सुपारी और चाँदी का सिक्‍का रखा जाता है, जिसे कुम्‍भ कहते हैं। इसके ऊपर एक नारियल रखा जाता है। नृत्‍य करने वाली महिलाएं मटके के चारों ओर गोल घूमती हैं और एक गायक तथा ढोलक या तबला बजाने वाला व्‍यक्ति संगीत देता है। प्रतिभागी एक निश्चित ताल पर तालियाँ बजाते हैं। गरबा नृत्‍य गुजराती महिलाओं द्वारा किया जाने वाला गोलाकार नृत्‍य रूप है और यह नृत्‍य नवरात्रि, शरद पूर्णिमा, बसंत पंचमी, होली और अन्‍य उत्‍सवों में किया जाता है। 'गरबा' का जन्‍म एक दीपक के अनुसार किया गया है, जिसे गर्भदीप कहते हैं, जिसका अर्थ है मटके के अंदर रखा हुआ दीपक।

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