गाँव में युवाओं ने शुरू किया 'बीज बैंक', जहां जमा करते हैं देसी बीज

Kirti Shukla | Oct 11, 2019, 06:24 IST
#seed bank
सीतापुर (उत्तर प्रदेश)। आज जब तेजी हाईब्रिड बीज का बाजार बढ़ा है, ऐसे में गाँव के कुछ युवाओं ने देसी बीजों को बचाने की मुहिम की शुरूआत की है। इसके लिए दर्जनों गाँवों के युवा एक साथ आए हैं और 'बीज बैंक' की शुरूआत की है, जिसमें वो देसी बीजों को जमा करते हैं।

किसी भी पौधे की नर्सरी को बाजार से खरीदने पर पैसे खर्च होते हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास इतना पैसा नहीं होता है कि वो बाजार से नर्सरी खरीद सकें और पौधारोपण करें। इस समस्या के समाधान के लिए ग्रामीण युवाओं ने बीज बैंक बनाकर खुद नर्सरी तैयार की और उसका पौधरोपण किया।

उत्तर प्रदेश के राजधानी से 50 किलोमीटर की दूरी सीतापुर जनपद के सिधौली तहसील के हरैया गाँव की तनुजा बताती हैं, "मैं अपनी महिला मंडली के साथ गाँव-गाँव जाकर के देशी बीजों को जैसे आम, जामुन, नीम, नींबू, कटहल,अर्जुन, सहजन आदि के बीजों को एकत्रित कर के उनकी नर्सरी बनाती हूं, फिर जब पौधे एक से डेढ़ फीट के हो जाते है तो उनको ले जाकर के खाली पड़ी जमीन पर सरकारी स्कूलों में आदि जगहों निःशुल्क सेवा भाव रोपित करते हैं।"

341097-rdescontroller
341097-rdescontroller


यह महिलाओ का समूह पीस संस्था के माध्यम से पांच जनपदों में कार्य करता है। इसके साथ साथ सीतापुर की चार ब्लाकों में कार्यरत है, जिसमें से प्रति ब्लाक से 10-10 गाँवो का चयन किया गया है। तनुजा आगे बताती हैं, "हमारा उद्देश्य है कि गाँव से धीरे धीरे हरियाली खत्म होती जा रही हैऔर हमारे देशी बीज विलुप्त होने की कगार पर खड़े हैं इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हम लोग प्रति वर्ष हजारों पौधे रोपित करते है।अब हम हम लोगों ने करीब पच्चीस हजार पौधों से अधिक वृक्ष लगा चुके हैं।"

देशी बीजो को संरक्षित कर के उनकी नर्सरी तैयार करती है यह महिलाएं, इसके बाद ये महिलाएं नर्सरी को खाली पड़ी जमीन पर नि:शुल्क वृक्षारोपण का कार्य करती है। वहीं साथ साथ जैविक खेती को भी बढ़ावा दे रही है।

बीज बैंक में फ़लदार छायादार पौधे के बीजों के साथ-साथ मोटे अनाज भी करते हैं संरक्षित

संस्था से जुड़ी महिला किसान राम कली ने बताया, "हम लोग पौधे के बीज के साथ-साथ हम लोग मोटे अनाज जैसे ज्वार बाजरा,सावा, कोदों, आदि के बीजों को भी सहेज के रखते हैं और इनको जैविक विधि पर आधारित खेती करते हैं और अपने खेतो में पेस्टीसाइड न डाल कर के केचुआ की खाद डालते है, इसके लिए हमने केचुआ की पिट भी बना रखी है।

इस बात का जिक्र पीएम मोदी ने भी अपने मन की बात में कहा था कि मोटा अन्न खाना सेहत के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होता है।

गाँवो में पाए जाने वाली वनस्पति, जानवर, विलुप्त हो चुके जानवर, बोली जाने वाली भाषाओं का भी बना है बैंक। किस गाँव मे कौन सा जानवर पाया जाता है, कौन सा वनस्पति मिलती है,कौन से पक्षी पाये जाते है, कौन सी भाषा बोली जाती है।इन सब का गाँव वार एक विवरण तैयार किया गया है, ताकि हमारे परिवेश से विप्लुत होती चली जा रही चीजों के बारे में हमारी आने वाली पीढ़ी को भी जानकारी रहे।

ऐसे संरक्षित करती हैं बीजों को

रामकली बताती है, "पुरानी परंपरा है कि बीजों को या किसी भी प्रकार के अन्न को मिट्टी की बनी डेहरी में नीम की पट्टी मिला रखने से उसमे घुन नही लगता है।ठीक ऐसे ही मिट्टी के डेहरी में गोबर के उपलों की राख को बीजों में मिलाकर के रख दीजिये।कभी भी बीजों में किसी भी प्रकार के कीड़े मकोड़े लगने का डर नही रहता है।तो हम लोग जो है बीजों को राख में मिलाकर के मिट्टी की डेहरी में रख देते है। ताकि वो खराब न होने पाए।"

Tags:
  • seed bank
  • indigenous seeds

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.