गरिमा गृह: राजस्थान के जयपुर में ट्रांसजेंडर समुदाय को सम्मान की जिंदगी के साथ मिला नया ठिकाना

राजस्थान की राजधानी जयपुर में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 1 साल के लिए ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था नई भोर की तरफ से गरिमा गृह की शुरूआत जुलाई महीने में की गई जहां इस समय 15 ट्रांसजेंडर्स रह रहे हैं।

Avdhesh PareekAvdhesh Pareek   29 Sep 2021 8:34 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

जयपुर (राजस्थान)। किसी को पहचान छिपाकर घर ढूंढना पड़ता था तो कोई लोगों के ताने सुनकर किसी तरह से जिंदगी काट रहा था, लेकिन अब यहां ट्रांसजेंडर समुदाय को गरिमा गृह में सम्मान की जिंदगी के साथ एक सुरक्षित ठिकाना मिल गया है।

बारां जिले के अंता की रहने वाली 20 साल की मीरा भी उन्हीं में से एक हैं, इस समय यहां पर सिलाई सीख रही हैं। गरिमा गृह में आने से पहले कोटा में कोचिंग इलाके में एक मेस में खाना बनाकर गुजारा करती थी। अपने किसी दोस्त के बताने पर गरिमा गृह में आई मीरा पिछले 1 महीने से यहां हैं। मीरा कहती हैं, " वह कहती है कि मैंने अपनी पहचान छुपाकर बहुत समय बिता दिया और अब यहां मुझे अपनी पहचान को किसी से छुपाकर नहीं रखना पड़ता है।" मीरा आगे चलकर खुद का सिलाई का काम शुरू करना चाहती हैं।

राजस्थान के जयपुर में इसी साल जुलाई महीने में ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था 'नई भोर' की तरफ से गरिमा गृह की शुरूआत की गई जहां इस समय 15 ट्रांसजेंडर्स रह रहे हैं।

मीरा यहां पर रहकर सिलाई सीख रही हैं और आगे अपना खुद का सिलाई सेंटर शुरू करना चाहती हैं।

नई भोर संस्था की प्रमुख पुष्पा माई बताती हैं, "हम बीते 2 महीने से जयपुर में यह गरिमा गृह चला रहे हैं जहां हमारे पास राजस्थान के गंगानगर, सीकर, नागौर, कोटा, भरतपुर जिलों से ट्रांसजेंडर्स आए हैं।"

पुष्पा माई आगे कहती हैं, "यहां सभी को खाना और फ्री में रहने के अलावा समुदाय के लोगों के लिए सिलाई, खाना बनाना, ब्यूटीशियन और डांस जैसे स्किल सिखाने के इंतजाम किए हैं। यहां आने वाले समय में एक कॉल सेंटर शुरू कर सकते हैं।"

सरकार की इस योजना पर पुष्पा आगे कहती हैं कि समाज में बदलाव आना बेहद मुश्किल है लेकिन मुझे एक उम्मीद बंधी है कि हमारी समस्याओं के इतर सरकार की इस योजना से हमें अपनी पहचान साबित करने में काफी संबल मिलेगा और समुदाय के लोगों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में यह पहल एक हथियार की तरह काम करेगी।

लेकिन ऐसा नहीं था कि इन्हें ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए शुरू किया गया ठिकाना आसानी से मिल गया। गरिमा गृह खोलने के लिए एक जगह तलाशने में आई कठिनाईयों पर पुष्पा आगे जोड़ती हैं, "हमनें शेल्टर होम खोलने के लिए शहर के कई इलाकों में मकान खोजा लेकिन हमें महीनों घूमने के बाद हमारे हाथ खाली थे।"

नई भोर संस्था की प्रमुख पुष्पा माई जो पिछले कई वर्षों से किन्नर समुदाय की हक की लड़ाई लड़ाई लड़ रही हैं, उनके प्रयासों से जयपुर में गरिमा गृह की शुरूआत हुई है।

'आशीर्वाद सबको चाहिए पर मेरे घर में नहीं चाहिए' तंज मारते हुए वह आगे सामाजिक ताने-बाने पर कहती हैं कि मकान मिलने के बाद हमें कॉलोनी में लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा।

नई भोर संस्था के मुताबिक गरिमा गृह में फिलहाल घरों से निकाले हुए, मानसिक रूप से परेशान और आर्थिक तंगी का सामना करने वाले लोग आ रहे हैं जिनकी उचित काउंसलिंग करने के बाद उन्हें यहां जगह दी जाती है।

कैसे हुई गरिमा गृह की शुरूआत

बीते साल 25 नवंबर को देश के ट्रांसजेंडर समुदाय के संघर्ष में जीत का एक नया अध्याय जुड़ा जब तत्कालीन केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने गुजरात के वडोदरा में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए शेल्टर होम (आश्रय गृह) 'गरिमा गृह' योजना का उद्घाटन किया।

वहीं ट्रांसजेंडर व्यक्ति को पहचान पत्र के लिए डिजिटल रूप से आवेदन करने की दिशा में ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 के तहत एक राष्ट्रीय पोर्टल की भी घोषणा की गई।

ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए गरिमा गृह लक्ष्या ट्रस्ट के सहयोग से अभी एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर संचालित किए जा रहे हैं जिसके परिणामों के अनुरूप देश के अन्य हिस्सों में इसका विस्तार किया जाएगा।


इस योजना के तहत देश में 13 शेल्टर होम बनाने के लिए 10 शहरों की पहचान की गई जिनमें वडोदरा, नई दिल्ली, पटना, भुवनेश्वर, जयपुर, कोलकाता, मणिपुर, चेन्नई, रायपुर, मुंबई आदि शामिल है जहां प्रत्येक गरिमा गृह में न्यूनतम 25 ट्रांसजेंडर व्यक्तियों का पुनर्वास किया जाना तय किया गया।

गरिमा गृह क्या है?

गरिमा गृह ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को आश्रय प्रदान करने के साथ भोजन, चिकित्सा देखभाल और मनोरंजन जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाता है। सरकार के मुताबिक गरिमा गृह का उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों में कौशल विकास करने के साथ उन्हें सम्मान का जीवन देने की दिशा में एक कदम है।

यहां पर रहने वाले हर किसी की है अपनी कहानी

वहीं गंगानगर जिले के रहने वाले 23 साल के ईवांश साइकोलॉजी से एमए कर रहे हैं और गरिमा गृह में महीने भर से ज्यादा समय से रह रहे हैं। स्कूल, कॉलेज और एक प्राइवेट नौकरी के कुछ बुरे अनुभव को याद करते हुए वह बताते हैं, "मुझे बहुत कुछ झेलना पड़ा तब एक लोकल एनजीओ के संपर्क में आया जिसकी मदद से गरिमा गृह तक पहुंचा।"

ईवांश आगे चलकर काउंसलर बनकर अपने समुदाय के लोगों की आने वाली परेशानियों को दूर करना चाहते हैं।

इनके अलावा जयपुर में पैदा हुई 24 साल की सायना एमए की स्टूडेंट हैं। बीते 2 साल पहले वह एक प्राइवेट नौकरी करती थी और नई भोर संस्था से काफी समय से जुड़ी हुई हैं। जुलाई में वह गरिमा गृह खुलने के बाद यहां आई और अब सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही हैं।

इवांश और सायमा की तरह यहां बहुत से लोग रह रहे हैं।

कैसे कोई ट्रांसजेंडर बन सकता है गरिमा गृह का हिस्सा

गरिमा गृह में इस योजना के तहत कोई भी ट्रांसजेंडर महज अपनी पहचान से जुड़े सर्टिफिकेट के साथ यहां दाखिला ले सकता है। वह अपनी पहचान को लेकर ज़िला मजिस्ट्रेट या ब्लॉक स्तर पर आवेदन कर यह सर्टिफिकेट हासिल कर सकता है।

वहीं यदि ट्रांसजेंडर व्यक्ति लिंग परिवर्तन के लिये एक पुरुष या महिला के रूप में किसी चिकित्सकीय सर्जरी से गुजरता है तो ऐसे में वह एक संशोधित पहचान प्रमाण पत्र संबंधित अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक या मुख्य चिकित्सा अधिकारी से जारी करवा सकता है।

इसके बाद गरिमा गृह से संपर्क करने के बाद ट्रांसजेंडर की पहचान से जुड़े कागजातों की जांच के बाद संस्था से जुड़े लोग उनकी काउंसलिंग करते हैं और उसकी रूचि के मुताबिक उन्हें यहां काम सिखाया जाता है।

और ट्रांसजेंडर समुदाय का कोविड-19 टीकाकरण

कोरोनाकाल में समुदाय के लोगों की रोजी-रोटी के संकट के अलावा फिलहाल अधिकांश लोगों के पास आधार कार्ड नहीं होने के चलते कोविड टीकाकरण पर गति नहीं पकड़ पा रहा है।

जिस पर पुष्पा बताती हैं, "राजस्थान सरकार की तरफ से अभी तक दो कैंप लगाए जा चुके हैं लेकिन अभी भी काफी लोगों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है।"

बीते 7 सितंबर को संभली ट्रस्ट बनाम राजस्थान राज्य एंड अन्य मामले में सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य अधिकारियों को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कोविड-19 टीकाकरण के लिए उचित कदम उठाने के आदेश जारी किए हैं।

न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर और न्यायमूर्ति संगीत लोढ़ा राजस्थान राज्य के ट्रांसजेंडरों के लिए कोविड-19 टीकाकरण के लिए आदेश देने की मांग वाली याचिका पर विचार कर रहे थे। इससे पहले केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने लोकसभा में बताया कि सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को यह आदेश दिए जा चुके हैं कि मौजूदा कोविड-19 टीकाकरण ट्रांसजेंडर के अनुकूल हैं ऐसे में राज्यों में समुदाय के लिए विशेष टीकाकरण शिविर लगाए जाएं।


ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आर्थिक मदद

वहीं अगर आर्थिक सहायता की बात करें तो नई भोर संस्था के मुताबिक जयपुर नगर निगम द्वारा लगभग 600 ट्रांसजेंडर्स को 2020 में राज्य के सामाजिक न्याय विभाग और श्रम और रोजगार विभाग की तरफ से 3500 रूपए की मदद मिली थी। इसके अलावा राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संस्थान की तरफ से 1500 रुपए की आर्थिक सहायता मिली। इसी तरह साल 2021 में 600 ट्रांसजेंडर्स को एनआईएसडी से 1500 रुपए और जयपुर नगर निगम की तरफ से 1000 रुपए की मदद दी गई।

तो इधर ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए गहलोत सरकार ने किए 9 करोड़ मंजूर

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साल 2021 के बजट भाषण में ट्रांसजेंडर्स के लिए एक उत्थान कोष बनाने के साथ ही 10 करोड़ रुपए जारी करने की घोषणा की थी।

उसी कड़ी में हाल में राजस्थान सरकार ने अपने बजट प्रावधानों के मुताबिक 8.98 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से प्रस्तावित इस योजना के प्रारूप का अनुमोदन किया गया है।

इसके साथ ही ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 (Transgender Persons (Protection of Rights) Act, 2019) के तहत सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रस्ताव पर राज्य के पुलिस महानिदेशक कार्यालय में ट्रांसजेंडर सुरक्षा प्रकोष्ठ (सेल) भी गठित करने को लेकर मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।

प्रस्ताव के मुताबिक, यह सेल ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों का संरक्षण और उनको सुरक्षा प्रदान करने के साथ राज्य स्तरीय ट्रांसजेंडर न्याय बोर्ड और जिला ट्रांसजेंडर न्याय समितियों के बीच समन्वय करेगा।

जानकारी के मुताबिक सेल में एक पुलिस निरीक्षक, एक पुलिस उपनिरीक्षक, दो कॉन्स्टेबल के अतिरिक्त एक कांउसलर और एक डाटा एंट्री ऑपरेटर सहित कुल 6 लोगों को नियुक्ति मिलेगी।

राजस्थान में ट्रांसजेंडर समुदाय के कितने लोग हैं?

2011 की जनगणना के मुताबिक राजस्थान में 16,517 ट्रांसजेंडर्स रहते हैं, वहीं नई भोर संस्था के मुताबिक बीते 10 सालों में इन आंकड़ों में बड़ा उछाल आया है और वर्तमान में राजस्थान में करीब 1 लाख से अधिक ट्रांसजेंडर लोग रहते हैं। इसके अलावा राज्य चुनाव आयोग के अनुसार 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान के लिए अब तक 246 ट्रांसजेंडर श्रेणी के मतदाताओं ने पंजीकरण कराया था जो कि 2013 में हुए चुनावों के बाद एक बड़ी छलांग थी।

garima greh #transgender #rajasthan jaipur #story #video 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.