इस बीज को खरीदने के लिए यूपी आते हैं अन्य प्रदेशों के किसान
Ishtyak Khan | Jun 02, 2017, 12:28 IST
स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
औरैया। जिले की 441 ग्राम पंचायतों में एक ऐसी भी ग्राम पंचायत साजनपुर है जहां गाँव के सभी किसान बरसीम की खेती करते हैं। धान की कटाई के बाद बरसीम और सरसों की एक साथ बुवाई करते हैं। इससे सरसों भी हो जाती है, हरा चारा पशु पालक खरीद लेते हैं इसके बाद बरसीम बीज तैयार किया जाता है। दोनों फसलों को एक साथ कर किसान तीन गुनी कमाई कर रहे है।
जिला मुख्यालय से 36 किलोमीटर दूर गाँव साजनपुर में लगभग 800 की आबादी है, जहां 250 किसान रहते हैं। इस गाँव में लगातार 30 साल से बरसीम की खेती हो रही है। गाँव का प्रत्येक किसान बरसीम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहा है। एक किसान कम से कम पांच बीघे में बरसीम की खेती करता है। कई किसान तो ऐसे हैं जो सिर्फ बरसीम की ही 40 से 50 बीघा में खेती करते हैं। बरसीम की बुवाई धान की कटाई के बाद की जाती है। इसमें किसान सरसों भी डाल देते है। इससे दो फसलें मिल जाती है।
सरसो के बीच खड़ी बरसीम को किसान पशु पालकों को बेच देते है। एक हजार से लेकर 1500 रुपए बीघा बरसीम का चारा बिकता है। एक बीघा में सरसों एक कुंतल निकलती है। सरसों कटने के बाद किसान बरसीम के बीज की तैयारी शुरू कर देते हैं। मई माह में बरसीम की कटाई होने लगती है। साजनपुर में प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों से भी व्यापारी बरसीम का बीज खरीदने आते हैं।
मई माह में बरसीम की कटाई थ्रेसर से होती है। एक बीघा खेत में एक कुंतल बीज निकल आता है। इस साल बरसीम का बीज 100 रूपए से लेकर 150 रुपए किलो बिक रहा है। जबकि पिछले साल 200 रुपए किलो बीज की बिक्री हुई थी।
साजनपुर गाँव में यूपी के अलावा दूसरे प्रदेशों के किसान बीज खरीदने आते है। ग्वालियर, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब जैसे प्रदेशों से व्यापारी बीज खरीदने आते है। बीज खरीदने के बाद व्यापारी पैकिंग करा के बेचते हैं। साजनपुर गाँव के निवासी विश्राम सिंह (55वर्ष) बताते हैं,“ उनके पास इस साल 40 बीघे में बरसीम की खेती है। हर साल वह इतने में ही बरसीम की खेती करते है।
ये फसल कम खर्चे पर पैदा होती है इसलिए किसान अधिक रूचि रखते हैं।” साजनपुर निवासी बुद्ध सिंह (50वर्ष) का कहना है,“ बरसीम की फसल में दो फसलें मिल जाती है। पशुओं को हरे चारे का संकट भी नहीं रहता है। सरसों घर के लिए हो जाती है बरसीम के बीज की बिक्री से परिवार का खर्चा आराम से चलता है।”
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औरैया। जिले की 441 ग्राम पंचायतों में एक ऐसी भी ग्राम पंचायत साजनपुर है जहां गाँव के सभी किसान बरसीम की खेती करते हैं। धान की कटाई के बाद बरसीम और सरसों की एक साथ बुवाई करते हैं। इससे सरसों भी हो जाती है, हरा चारा पशु पालक खरीद लेते हैं इसके बाद बरसीम बीज तैयार किया जाता है। दोनों फसलों को एक साथ कर किसान तीन गुनी कमाई कर रहे है।
जिला मुख्यालय से 36 किलोमीटर दूर गाँव साजनपुर में लगभग 800 की आबादी है, जहां 250 किसान रहते हैं। इस गाँव में लगातार 30 साल से बरसीम की खेती हो रही है। गाँव का प्रत्येक किसान बरसीम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहा है। एक किसान कम से कम पांच बीघे में बरसीम की खेती करता है। कई किसान तो ऐसे हैं जो सिर्फ बरसीम की ही 40 से 50 बीघा में खेती करते हैं। बरसीम की बुवाई धान की कटाई के बाद की जाती है। इसमें किसान सरसों भी डाल देते है। इससे दो फसलें मिल जाती है।
सरसो के बीच खड़ी बरसीम को किसान पशु पालकों को बेच देते है। एक हजार से लेकर 1500 रुपए बीघा बरसीम का चारा बिकता है। एक बीघा में सरसों एक कुंतल निकलती है। सरसों कटने के बाद किसान बरसीम के बीज की तैयारी शुरू कर देते हैं। मई माह में बरसीम की कटाई होने लगती है। साजनपुर में प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों से भी व्यापारी बरसीम का बीज खरीदने आते हैं।
एक बीघे में निकलता है एक कुंतल बीज
इन प्रदेशों से बीज लेने आते हैं व्यापारी
ये फसल कम खर्चे पर पैदा होती है इसलिए किसान अधिक रूचि रखते हैं।” साजनपुर निवासी बुद्ध सिंह (50वर्ष) का कहना है,“ बरसीम की फसल में दो फसलें मिल जाती है। पशुओं को हरे चारे का संकट भी नहीं रहता है। सरसों घर के लिए हो जाती है बरसीम के बीज की बिक्री से परिवार का खर्चा आराम से चलता है।”
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