गाँवों की सड़कें बनाने में तेज़ी, लेकिन लक्ष्य दूर

गाँव कनेक्शन | Jun 04, 2017, 09:11 IST
Swayam Project
स्वयं प्रोजेक्ट टीम

लखनऊ। हाल में केंद्र सरकार ने यह दावा किया कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत गाँवों की सड़क निर्माण की गति में तेजी आई है। मगर आंकड़ों पर गौर करें तो सरकार को सड़क निर्माण में लक्ष्य का आधे से भी कम सफलता हाथ लगी है।

पहले दो वर्षों में मोदी सरकार के अपने दो साल के प्रदर्शन के मुकाबले में ग्रामीण सड़क निर्माण की गति में कमी आई है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि जनवरी 2017 तक पीएमजीएसवाई -1 के तहत लक्ष्य का आधे से भी कम (46 फीसदी ) सफलता मिली।

इस बारे में इलाहाबाद के महेवा गाँव के ग्राम प्रधान कल्याण भारतीय कहते हैं, “मेरे गाँव में सड़क की बहुत जरूरत है पर काम अभी शुरू भी नही हो सका है। हम लोगों ने कई बार उच्च अधिकारियों से सम्पर्क किया मगर अब तक कोई फायदा नहीं हुआ।” वहीं, रायबरेली के जलालपुर ग्राम प्रधान कृष्ण पाल वर्मा कहते हैं, “ सड़क योजना के तहत कहीं-कहीं ही काम शुरू हुआ है। कई जगह काम चालू नहीं हुआ है।” वहीं, भाजपा ने हाल में ट्वीट के माध्यम से दावा किया कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत ग्रामीण सड़क निर्माण की गति में वृद्धि हुई है। यह 2016-17 तक, पिछले तीन वर्षों में प्रतिदिन 133 किमी हुआ है, जबकि 2013-14 में प्रतिदिन 69.35 किमी का आंकड़ा था।

रायबरेली जिले के गूढा ग्रामसभा के पूर्व प्रधान अवधेश कहते हैं, “सड़क बनाने का काम शुरू तो हो गया है, पर लगता नहीं की समय से जिले की सारी सड़क सही हो पाएगी क्योंकि सड़कों की हालत बहुत खराब है और इतनी जल्दी हो नहीं पाएगा।“

वहीं, जलालपुर गाँव के चन्द्र किशोर आजाद कहते हैं, “अगर जल्दबाजी में काम हुआ तो लापरवाही होगी और 15 जून तक काम पूरा होना असंभव लगता है।” लखनऊ जनपद के ग्राम दुघरा के प्रधान केशन कहते हैं, “ग्राम दुघरा से जमखनवा के बीच का संपर्क मार्ग लगभग खत्म हो गया है। यहाँ पर तो सड़क योजना के तहत अभी किसी तरह का कोई काम दिख नहीं रहा।“

हाल में भाजपा ने अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे किए हैं। अपने घोषणापत्र में, भाजपा ने सड़कों को लेकर तीन प्रमुख वादे किए थे। पहला यह कि सभी मौसमों के लिए उपयुक्त सड़कों के साथ सभी आदिवासियों के गाँवों को जोड़ा जाएगा। दूसरा यह कि देश में गाँव स्तर पर सड़कों के ढांचे में सुधार किया जाएगा और तीसरा यह कि समुद्री तट के इलाकों को सड़कों के माध्यम से बंदरगाहों के साथ जोड़ा जाएगा। लेकिन आज की तारीख में आदिवासी बस्तियों को जोड़ने वाली सड़कों पर संपूर्ण डाटा उपलब्ध नहीं हैं। बंदरगाहों को किनारे से जोड़ने वाले सड़कों की संख्या केवल 2013 तक उपलब्ध है।

वहीं, जनवरी 2017 तक उपलब्ध आंकड़ों पर विश्लेषण के अनुसार, सरकार के लक्ष्य के हिस्से के रूप में बनाए गए सड़कों की लंबाई भी वर्ष 2014-15 में 167 फीसदी से गिरा है और वर्ष 2015-16 में 108 फीसदी से 2016-17 में 73 फीसदी हुआ है।

पीएमजीएसवाई- I का लक्ष्य है कि मैदानी इलाकों में कम से कम 500 की आबादी वाले गाँवों और पहाड़ियों या आदिवासी जैसे ‘विशेष’क्षेत्रों में कम से कम 250 की आबादी वाले ऐसे गाँव जो, कम से कम 500 मीटर की दूरी (सड़क रास्ते की दूरी कम से कम 1.5 किमी) पर हैं, के लिए सभी मौसम सड़कों का निर्माण करना है।

राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण धीमा

वर्ष 2016-17 में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की गति में 44 फीसदी की गिरावट हुई है। यह इस सरकार के तीन साल के शासन में सबसे कम है। अप्रैल 2017 में राज्यसभा को दी गई जानकारी के मुताबिक, इस साल रोजाना राजमार्ग निर्माण की औसत दर 22 किलोमीटर देखी गई है।

सरकार ने शुरू में प्रतिदिन 40 किमी निर्माण करने का लक्ष्य रखा था। सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 21 मई, 2017 को आज तक एडीटर्स राउन्ड टेबल में दावा किया था कि अच्छे नतीजे तक जल्दी पहुंचने के लिए जान-बूझकर लक्ष्य को अधिक रखा गया था।

यूपी सरकार का दावा, 91% सड़कें हुईं गड‍्ढामुक्त

लखनऊ। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने शनिवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री सड़क ग्राम योजना के तहत 91 प्रतिशत सड़कें गड्ढामुक्त हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि 15 जून तक सड़कें गड्ढामुक्त करने का अभियान युद्ध स्तर पर चल रहा है। विभिन्न विभागों की गड्ढ़ामुक्त सड़कों की चर्चा करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक राष्ट्रीय राजमार्ग ने लक्ष्य के सापेक्ष 56 प्रतिशत, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने 91.56 प्रतिशत, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 76 प्रतिशत, पंचायती राज विभाग ने 4.32, प्रतिशत मण्डी परीषद ने 0.36 सड़कों को लक्ष्य के सापेक्ष गड्ढामुक्त किया है।

मौर्य ने बताया कि अब कार्य तीव्र गति से चल रहा है और लोक निर्माण विभाग द्वारा अब तक 49,200 किमी अर्थात 57.22 प्रतिशत सड़कें गड्ढ़ामुक्त की जा चुकी है। कार्य में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि हम 15 जून तक अपना लक्ष्य पूर्ण करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि अब तक निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष आगरा क्षेत्र में 50 प्रतिशत, इलाहाबाद तथा बरेली में 60 प्रतिशत, आजमगढ़ में 54 प्रतिशत, फैजाबाद में 58 प्रतिशत, गोरखपुर तथा मेरठ क्षेत्र में 55 प्रतिशत, झांसी में 43 प्रतिशत, कानपुर क्षेत्र में 66 प्रतिशत, लखनऊ क्षेत्र में 69 प्रतिशत, मुरादाबाद क्षेत्र में 65 प्रतिशत तथा वाराणसी क्षेत्र में 57 प्रतिशत सड़के गड्ढ़ामुक्त की जा चुकी है।

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