अच्छी पहल : यहां नागपंचमी पर गुड़िया पीटी नहीं झुलाई जाती है

Basant Kumar | Jul 28, 2017, 21:20 IST
सीतापुर
सीतापुर। उत्तर प्रदेश में एक नई शुरुआत हुई है। ऋषि मुनियों की धरती नैमिष में नागपंचमी के अवसर पर गुड़ियों को झूला झुलाया जाता है। वर्षों से यूपी समेत कई राज्यों में इस त्योहार पर गुड़िया पीटने की परंपरा थी लेकिन ये शुरुआत बेटियों को सम्मान देने के मकसद से की गई।

सीतापुर जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर धार्मिक स्थल नैमिष में नागपंचमी के मौके पर एक बड़ा मेला लगता है जहां पर मिश्रिख और नैमिष के सैकड़ों लोग एकत्रित होकर गुड़िया को पीटते थे लेकिन अब वहां गुड़िया बनाकर उन्हें झूला झुलाया जा रहा है। इसमें शुक्रवार को महिला व बाल कल्याण मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी और महिला एवं बाल विकास की निदेशक डॉ. रेणुका कुमार ने भी हिस्सा लिया।

मिश्रिख के विधायक बालकृष्ण ने कहा, 'बचपन से मैं इस त्योहार के रिवाज को देखता रहा हूं, आज मुझे खुशी होती है कि यह बदलाव देखने को मिल रहा है, यह बदलाव महिला समाख्या के कारण आ पाया।'

महिला कल्याण, परिवार कल्याण, मातृत्व और बाल कल्याण मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने कहा, 'आज के दिन गुड़िया पिटते देखकर बहुत तकलीफ होती थी, मुझे खुशी है कि महिला समाख्या के सहयोग से यहां गुड़िया पिटती नहीं झुलाई जा रही है, बहुत जल्द हम पूरे प्रदेश में ऐसा माहौल बनाएंगे कि गुड़िया को झुलाया जाए।'

रीता बहुगुणा ने स्थानीय पुरुषों को धन्यवाद देते हुए कहा, 'आप लोग बधाई के पात्र है, आप लोगों के सहयोग के कारण यह बदलाव मुमकिन हो पाया है, समय बदल रहा है, लड़कियां हर क्षेत्र में बेहतर कर रही हैं, उनको मौका दीजिए, उन्हें रोकिए मत।'

जब 1996 में महिला समाख्या कार्यक्रम की शुरुआत हुई तो यहां की कार्यकर्ताओं ने इस प्रथा के पीछे का कारण जानना चाहा। ग्रामीणों ने अलग-अलग तरह के कारण बताए और ये निकल कर आया कि ये महिलाओं के प्रति हो रही हिंसा जिसे लोग त्यौहार के तौर पर मनाते हैं।

महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए महिला समाख्या कार्यक्रम प्रदेश 16 जिलों में चलाया जा रहा है। इसमें सीतापुर, गोरखपुर, प्रतापगढ़ के जिन ब्लॉक में ये महिलाएं काम करती हैं। अब उन ब्लॉक और गाँवों में नांगपंचमी पर गुड़िया को पीटा नहीं बल्कि झुलाया जाता है।

महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए मनाया गया त्योहार

महिला समाख्या की जीआरपी सुधा मिश्रा (44 वर्ष) कहती हैं, 'बचपन से हम देखते थे कि लड़कियां गुड़िया बनाकर ले जाती थी और उनके भाई गुड़िया को मारते थे, बहुत बुरा लगता था, लेकिन तब हमें कोई सुनने वाला नहीं था, महिला समाख्या से जुड़ने के बाद बदलाव के लिए काम करना शुरू किया, आज यहां कोई भी गुड़िया को नहीं पीटता है।'

सीतापुर जिला की महिला समाख्या की जिला समन्यवक अनुपम लता गुड़िया पीटने की परंपरा के बारे में बताती है, 'वर्ष 1996 में जिले में कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी, महिलाओं के साथ हो रही हिंसा को रोकना हमारा मकसद था, जब गुड़िया पीटने के बारे में पता चला तो इसी प्रथा को सबसे पहले रोकने की शुरुआत की, 1997 में मिश्रिख ब्लॉक के सात स्कूल के बच्चों ने सबसे पहले गुड़िया झुलाने की शुरुआत की थी। साल 1998 में धार्मिक स्थल नैमिष में गुड़िया झुलाना शुरू किया गया।'

Tags:
  • सीतापुर
  • Uttar Pradesh Government
  • महिला समाख्या
  • महिला एवं बाल विकास विभाग
  • Mahila Samakhya
  • नागपंचमी
  • नैमिष
  • मिश्रिख
  • डॉ. रीता बहुगुणा जोशी
  • बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ
  • Nagpanchmi
  • Beti Padhao Beti bachao

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.