इस गाँव की महिला लोगों के लिये बन रहीं है प्रेरणा
Pankaj Tripathi | Jun 09, 2017, 15:47 IST
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
गाजियाबाद। जनपद ब्लाक भोजपुर के शाहपुर बम्हेटा कि शीला(30वर्ष) की इन दिनों पूरे क्षेत्र में चर्चा है। महिला किसान किराए पर खेत लेकर उसमें सब्जी की खेती कर अपने साथ-साथ पूरे परिवार की जिम्मेदारियों का भली- भांति निर्वहन कर रही है। महिला किसान गाँव के अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनती जा रही हैं।
मूलत: मैनपुरी की रहने वाली शीला कुछ वर्ष पहले काम के तलाश में दिल्ली आ गईं। कुछ दिन मेहनत मजदूरी का काम किया उसके बाद गाजियाबाद चली गईं। पहले कुछ दिन गाजियाबाद में भी मजदूरी का काम किया इसके बाद शीला ने अपना काम करने की ठानी और गांव के किसान से जमीन किराए पर लेकर सब्जियों की खेती करने लगी।
शीला बताती हैं,“ शुरुआत में काम नया होने के कारण कुछ कठिनाई आई, लेकिन कुछ समय बाद सब्जियों की खेती करने लगी। सब्जी की खेती कैसे की जाए इन तमाम चीजों की जानकारी इक्ट्ठा की। अब मैं लौकी, मूली, अरबी, तरोई, कददू ,भिन्डी,टमाटर इन सभी सब्जियों को अपने खेतों में उगाती हूं।”
शीला ने बताया, “मजदूरी करके बचाए हुए पैसों से मैंने सबसे पहले एक बीघा खेत किराए पर लिया। एक बीघा खेत के लिए छह हजार रुपए देने पड़ते हैं। पहली बार उगाई सब्जी को मैंने गाजियाबाद मंडी ले जाकर बेचा था। मेरी कुल लागत पंद्रह हजार रुपए आए थे और मुझे दस हजार रुपए का मुनाफा मिला था। अब मैं तेरह बीघा खेत किराए पर लेकर खेती कर रही हूं।”
शीला पढ़ी लिखी नहीं है उसके बाद भी पढ़ाई की कीमत जानती हैं। शीला अपने दोनों बच्चों को कान्वेंट स्कूल भेजती हैं। शीला का कहना है,“ मै चाहती हूं कि मेरे बच्चे सरकारी अफसर बने। उसके लिए मुझे जो भी करना होगा मैं करूंगी।”
इसी गाँव के किसान सुधीर (40वर्ष) ने बताया,“ शीला की मेहनत और इनके काम करने की क्षमता का कोई मुकाबला नहीं कर सकता। दिन में कम से कम 13 घंटे ये अपने खेतों में काम करती हैं। आस-पास की सभी महिलाएं शीला के काम की तारीफ करती हैं। शीला को सब्जियां बेचने के लिए कही जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती, खेतों से ही इनकी सब्जियां बिक जाती हैं। कुछ समय में ही शीला की तरक्की और काम के प्रति सर्मपण की भावना बाकि गॉव के महिलाओं के लिए प्रेरणा का काम कर रही हैं।”
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गाजियाबाद। जनपद ब्लाक भोजपुर के शाहपुर बम्हेटा कि शीला(30वर्ष) की इन दिनों पूरे क्षेत्र में चर्चा है। महिला किसान किराए पर खेत लेकर उसमें सब्जी की खेती कर अपने साथ-साथ पूरे परिवार की जिम्मेदारियों का भली- भांति निर्वहन कर रही है। महिला किसान गाँव के अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनती जा रही हैं।
मूलत: मैनपुरी की रहने वाली शीला कुछ वर्ष पहले काम के तलाश में दिल्ली आ गईं। कुछ दिन मेहनत मजदूरी का काम किया उसके बाद गाजियाबाद चली गईं। पहले कुछ दिन गाजियाबाद में भी मजदूरी का काम किया इसके बाद शीला ने अपना काम करने की ठानी और गांव के किसान से जमीन किराए पर लेकर सब्जियों की खेती करने लगी।
ये भी पढ़ें- सब्जियों के इस गांव में महिला किसान मजदूरी नहीं, करती हैं खेती और निकालती हैं सालभर का घरखर्च
शीला ने बताया, “मजदूरी करके बचाए हुए पैसों से मैंने सबसे पहले एक बीघा खेत किराए पर लिया। एक बीघा खेत के लिए छह हजार रुपए देने पड़ते हैं। पहली बार उगाई सब्जी को मैंने गाजियाबाद मंडी ले जाकर बेचा था। मेरी कुल लागत पंद्रह हजार रुपए आए थे और मुझे दस हजार रुपए का मुनाफा मिला था। अब मैं तेरह बीघा खेत किराए पर लेकर खेती कर रही हूं।”
शीला पढ़ी लिखी नहीं है उसके बाद भी पढ़ाई की कीमत जानती हैं। शीला अपने दोनों बच्चों को कान्वेंट स्कूल भेजती हैं। शीला का कहना है,“ मै चाहती हूं कि मेरे बच्चे सरकारी अफसर बने। उसके लिए मुझे जो भी करना होगा मैं करूंगी।”
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