इस विधि को अपनाने से आम के पुराने पेड़ों से भी होगा आम का अधिक उत्पादन

Divendra Singh | Mar 21, 2018, 17:58 IST
आम की खेती
आम के पेड़ आमतौर 40-50 वर्षों तक फल देते हैं, लेकिन ज्यादा पुराने होने पर उनका उत्पादन कम हो जाता है। ऐसे में किसान पुराने पेड़ों को काटकर नए पौधे लगा देते हैं। किसान उन्हीं पेड़ों का जीर्णोद्धार कर आने वाले 25-30 वर्षों तक उत्पादन ले सकते हैं।

लखनऊ से 30 किमी पश्चिम दिशा में माल ब्लॉक के नबीपनाह गाँव के किसान अहमद हुसैन (45 वर्ष) की 30 बीघा आम की बाग हैं। हुसैन बताते हैं, ''हमारे बाग में कुछ पेड़ बहुत पुराने हो गए हैं जिनमें आम कम लगते हैं। ऐसे में किसान पुराने पेड़ों को काट कर नए पेड़ लगाता है।''

केन्द्रीय बागवानी और उपोष्ण संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ के वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार शुक्ला जीर्णोद्धार तकनीक के बारे में बताते हैं, ''लखनऊ के मलिहाबाद से लेकर दूसरे क्षेत्रों में आम के बाग बहुत पुराने हो गए हैं, जो अब फल भी नहीं देते हैं। ऐसे में इस तकनीकि से किसान लाभ पा सकते हैं।''

वो आगे कहते हैं, ''इस तकनीक में पेड़ों की कुछ शाखाएं काट दी जाती हैं, जो सबसे ज्यादा ऊंचाई पर हो। ऐसा करने पर कुछ समय में वहां पर नयी शाखाएं निकल आती हैं, लेकिन पेड़ की शाखा को काटते समय ये ध्यान देना चााहिए कि पेड़ की छाल न कटे, इसलिए मशीन से चलने वाली आरी को प्रयोग करना चाहिए।''

इस तकनीक में पेड़ों की कुछ शाखाएं काट दी जाती हैं, जो सबसे ज्यादा ऊंचाई पर हो। ऐसा करने पर कुछ समय में वहां पर नयी शाखाएं निकल आती हैं,
डॉ. सुशील कुमार शुक्ला, वैज्ञानिक, केन्द्रीय बागवानी और उपोष्ण संस्थान, लखनऊ

ऐसे करें पुराने पेड़ों का जीर्णेाद्धार

जीर्णोद्धार करने के लिए पेड़ों की चुनी हुई शाखाओं पर जमीन से 4-5 मीटर की ऊंचाई पर चाक या सफेद पेन्ट से निशान लगा देते हैं। शाखाओं को चुनते समय यह ध्यान रखें की चारों दिशाओं में बाहर की तरफ की शाखा हो। पौधों के बीच में स्थित शाखा, रोगग्रस्त व आड़ी-तिरछी शाखाओं को उनके निकलने की स्थान से ही काट दें। शाखाओं को तेज धार वाली आरी या मशीन चालित आरी से काटते हैं। ऐसा करने से डालियों के आस-पास की छाल नहीं फटती है।

कटाई के तुरंत बाद कटे भाग पर फफूंदनाशक दवा (कॉपर आक्सीक्लोराइड) को करंज या अरंडी के तेल में मिलाकर लगा देते हैं। कटे भाग पर गाय के ताजे गोबर में चिकनी मिट्टी मिलाकर भी लेप कर सकते हैं। इससे कटे भाग को किसी फफूंदयुक्त बीमारी के संक्रमण से बचाया जा सकता है । कटाई के बाद पौधों के तनों में चूने से पुताई कर देते हैं। ऐसा करने से गोंद निकलने और छाल फटने की समस्या कम हो जाती है।

डॉ. सुशील कुमार शुक्ला बताते हैं, ''कटाई के बाद पौधों में थाला बना कर गुड़ाई करके फरवरी से मार्च के महीने में सिंचाई करनी चाहिए। 50 किग्रा सड़ी हुई गोबर की खाद को अच्छी तरह मिलाकर नाली विधि से दें। इस विधि में खाद देने के लिए पौधों के तनों से 1.5 मी की दूरी पर गोलाई में 60 सेमी चौड़ी तथा 30-45 सेमी गहरी नाली बनाएं।

इस नाली को खाद के मिश्रण से भरकर इसके बाहर की तरफ गोलाई में मेड़ बना दें। एक किग्रा यूरिया को अक्टूबर माह में थाले में डालकर अच्छी तरह मिला दें। अंतिम बरसात के बाद अक्टूबर माह में थालों में धान के पुआल बिछा दें, जिससे लम्बे समय तक नमी संरक्षित रह सके।''

पेड़ों में 70-80 दिनों मेें कल्ले निकलने लगते हैं। आवश्यकतानुसार प्रत्येक डाली में 8-10 स्वस्थ और ऊपर की ओर बढऩे वाले कल्लों को छोड़कर बाकी सभी कल्लों को काट दें। इस प्रक्रिया को बिरलीकरण कहते हैं। नए कल्लों के बिरलीकरण के बाद दो मिग्रा धनकोप (कॉपर आक्सीक्लोराइड) एक लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करना चाहिए।

जीर्णोद्धार किए गए आम के पौधों में तीसरे वर्ष से बौर लगने लगते हैं। सभी पौधों में बौर सुनिश्चित करने के लिए दूसरे वर्ष के सितम्बर महीने में पौधों को 12 मिली कल्तार (पैक्लोब्यूट्राजाल) प्रति पौधे के हिसाब से एक लीटर पानी में मिलाकर मुख्य तने के पास उपचारित करें। यह भी प्रक्रिया तीसरे-चौथे वर्ष दोहराते रहना चाहिए।

कर सकते हैं सब्जियों की खेती

जीर्णोद्धार के बाद बगीचे की काफी जमीन खाली हो जाती है, इसमें दूसरी फसलें जैसे, लौकी, खीरा व अन्य सब्जियों की खेती भी कर सकते हैं।

ये भी देखिए:



Tags:
  • आम की खेती
  • mango farming
  • ‬Lucknow
  • आम की बागवानी
  • cish
  • Central Institute for Subtropical Horticulture
  • केन्द्रीय उपोष्ण एवं बागवानी संस्थान

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.