एरोमा मिशन से किसानों का होगा मुनाफा 

एरोमा मिशन के तहत किसानों को सगंध और औषधीय गुण वाले पौधों की खेती के लिए बीज, तकनीकि और बाजार मुहैया कराया जा रहा है।

Divendra SinghDivendra Singh   30 Aug 2018 5:41 AM GMT

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एरोमा मिशन से किसानों का होगा मुनाफा 

लखनऊ। देश में औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए एरोमा मिशन की शूरूआत हो चुकी है। इस प्रोजेक्ट की अगुवाई सीमैप कर रहा है। मिशन के तहत किसानों को सगंध और औषधीय गुण वाले पौधों की खेती के लिए बीज, तकनीकि और बाजार मुहैया कराया जा रहा है।

सुगंध उद्योग को और सुगम बनाने के लिए सीएसआईआर ने एरोमा मिशन की एक वेबसाइट भी लॉन्च की। जहां किसान, व्यापारी बड़ी आसानी से अपना पंजीकरण तो कर लेंगे साथ ही मिशन की गतिविधियों की जानकारी भी उन्हें मिलती रहेगी।

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यूपी के बुंदेलखंड, महाराष्ट्र के विदर्भ, गुजरात के कच्छ और तमिलनाडु के सुनामी प्रभावित क्षेत्र में किसानों का जीवन स्तर सुधारने के लिए उन्हें गुलाब, गेंदा समेत फूल और लेमनग्रास, पामरोजा, खस आदि की खेती सिखाई जाएगी। करीब 72 करोड़ रुपये से तीन साल में देश में 5000-6000 हेक्टेयर में किसानों को फायदा देने वाली खेती होगी।

उत्तर प्रदेश में मिंट (मेंथा) की बदौलत करीब तीन लाख किसानों की आमदनी बढ़ाने का दावा करनी वाली सीमैप संस्था इस दिशा में लगातार शोध कर नई किस्में विकसित भी करती है। सीमैप के वैज्ञानिकों की द्वारा तैयार की गई हल्दी की उन्नत किस्म ( सिम पितांबर) और खस (सिम समृर्धी) की नई वैरायटी को 27 सितंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संस्थान के सिल्वर जुबली कार्यक्रम में लांच किया था।


केंद्रीय औषधीय एवं सगंध संस्थान (सीमैप) के निदेशक प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी बताते हैं, "ये दोनों काफी उन्नत है, हल्दी सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली किस्म भी प्रति हेक्टेयर 30 टन का उत्पादन करती थी, लेकिन ये कम से कम 60-65 टन का उत्पादन होगा इसमें कुरकुमा की मात्रा भी करीब 12 फीसदी है। इससे किसानों की आय लगभग दोगुनी हो जाएगी। तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में प्रयोग चालू है, आऩे वाले कुछ वर्षों में किसानों को भी उपलब्ध होंगी। इसी तरह खस तमिलनाडु के सुनामी प्रभावित इलाकों में उगाई जा रही है।"

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लाभदायक साबित हो रही फूल और जड़ी-बूटी की खेती प्रचार-प्रसार और बढ़ते रकबे पर प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि हम नहीं चाहते ऐसी खेती का पारंपरिक खेती से कोई मुकाबला हो इसलिए हम सूखा, बाढ़, खारा पानी, बंजर आदि इलाकों में इन खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। इसलिए कई संस्थाओं से करार भी कर रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार भी हो। सीमैप ग्रामीण विकास के माता अमृतानंद आश्रम से एमओयू कर 100 गांवों में काम करेगी तो श्रीश्री रविशंकर की संस्था की भी मदद ली जाएगी। प्रभावित इलाकों में बड़ा काम

बुंदेलखंड में लेमनग्रास

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में पानी की कमी और छुट्टा पशुओं की समस्या को देखते हुए 50-60 एकड़ लेमन ग्रास लगाई गई, आऩे वाले दिनों में इसका रबका और बढ़ेगा। इसे पशु नहीं खाते और कम पानी की जरुरत होती है।

महाराष्ट्र का विदर्भ

सूखे से जूझ रहे महाराष्ट्र में विदर्भ के किसानों को लेमनग्रास और खस की खेती कराई गई। लखनऊ से वैज्ञानिक आसवन यूनिट भेजकर उत्पादन करवाया गया। यहां 100 एकड़ से रकबा इस बार कई गुना बढ़ सकता है।

कच्छ के खारे पानी में भी होगी फूल और औषधीय खेती

गुजरात के कच्छ में खारा पानी है। इसलिए वहां ऐरोमैटिक पौधो की खेती को करवाई जा रही है। वहां के किसान और कारोबारी चाहते हैं कि यूपी की मिंट की तरह वहां लेमनग्रास और पामरोजा की खेती क्रांतिकारी रुप में हो। इसी तरह उड़ीसा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी गांव-गांव जाकर लोगों को ऐसे खेती के फायदे गिनाए जा रहे हैं।

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वेब पोर्टल पर मिलेगी सारी जानकारी

आईआईटीआर के पूर्व निदेशक डॉ पी के सेठ ने सुगंध उद्योग के व्यापारी, किसान व वैज्ञानिकों की उपस्थिति में एरोमा मिशन का वेब पोर्टल (http://aromamission.cimap.res.in) भी लॉन्च किया। इस वेबसाइट के द्वारा विभिन्न हितधारकों को एरोमा मिशन की विभिन्न गतिविधियों से जोड़ा जा सकेगा। सीमैप में आईसीटी के हेड, ई. मनोज सेमवाल ने बताया कि यह वेब पोर्टल एक निरंतर अपडेटड वेबसाइट है जो एरोमा मिशन की विभिन्न गतिविधियों और प्रगति को आम लोगों तक पहुंचाने का कार्य करेगा। इसके द्वारा एरोमा मिशन के तहत लाभार्थियों, खरीदारों और फैब्रिकेटरों का पंजीकरण भी किया जा सकेगा। इस पोर्टल में मिशन निदेशक के साथ-साथ अन्य सहभागी प्रयोगशालाओं के निदेशकों के साथ भी संपर्क किया जा सकेगा। वेब पोर्टल में पंजीकृत लोगों को ई-मेल तथा एसएमएस से अपने आप सूचना दी जाएगी।

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