पिछले तीन वर्षों के दौरान भारत में दुग्‍ध उत्‍पादन में प्रति वर्ष 6.3 प्रतिशत की वृद्धि

vineet bajpaivineet bajpai   14 Feb 2018 2:07 PM GMT

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पिछले तीन वर्षों के दौरान भारत में दुग्‍ध उत्‍पादन में प्रति वर्ष 6.3 प्रतिशत की वृद्धिदूध उत्पादन।

भारत दूध का प्रमुख उत्‍पादक है और वह पिछले दो दशकों से वैश्विक स्‍तर पर दूध उत्‍पादन में पहले स्‍थान पर है। भारत एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गया है कि वह अब अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी उद्यमियों को बड़ी संख्‍या में अवसर प्रदान करने लगा है। यह बात केन्‍द्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री राधामोहन सिंह ने मंगलवार को मोतिहारी में पूर्वी चंपारण जिले के पहले डेयरी संयंत्र की आधारशिला रखने के मौके पर कही।

''सरकार द्वारा की गई विभिन्‍न पहलों से ही डेयरी क्षेत्र में उल्‍लेखनीय विकास संभव हो पाया है। सरकार ने दुधारू पशुओं की उत्‍पादकता बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं,'' राधा मोहन सिंह ने कहा, ''दूध उत्‍पादन साठ के दशक के लगभग 17-22 मिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2016-17 में 165.4 मिलियन टन के अत्‍यंत उच्‍च स्‍तर पर पहुंच गया है। वर्ष 2013-14 के मुकाबले वर्ष 2016-17 में दूध उत्‍पादन में 20.12 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।''

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उन्होंने आगे कहा कि 2016-17 के दौरान प्रति व्‍यक्ति दुग्‍ध उपलब्‍धता में 15.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2013-14 में प्रति व्‍यक्ति दुग्‍ध उपलब्‍धता 307 ग्राम थी, जो 2016-17 में बढ़कर 355 ग्राम हो गई है। इसी तरह 2014-17 के दौरान डेयरी उद्योग से जुड़े किसानों की आय में 2011-14 की तुलना में 23.77 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले 3 वर्षों के दौरान भारत में दुग्‍ध उत्‍पादन में 6.3 प्रतिशत प्रति वर्ष की वृद्धि दर्ज की गई है। यह वैश्विक वृद्धि दर 2.1 प्रतिशत से अधिक है।

कृषि मंत्री ने कहा कि विशेषकर भूमिहीन और सीमांत किसानों के लिए डेयरी उद्योग आजीविका के साधन और खाद्य सुरक्षा के रूप में विकसित हुआ है। लगभग 8 करोड़ किसान डेयरी व्‍यापार से जुड़े हुए हैं और ये कुल दुधारू पशुओं के 80 प्रतिशत का पालन-पोषण करते हैं।

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डेयरी किसानों की आय दोगुनी करने के दो तरीके

डेयरी उद्योग से जुड़े किसानों की आय दोगुनी करने के लिए दो तरीके अपनाये जा सकते हैं- पहला, उत्‍पादकता बढ़ाकर दुग्‍ध उत्‍पादन में वृद्धि और दूसरा, दूध की प्रति किलोग्राम कीमत बढ़ाकर।

राधा मोहन सिंह ने कहा कि दुधारू पशुओं की देसी नस्‍लों के संरक्षण और विकास के लिए दिसंबर 2014 में पहली बार देश में राष्‍ट्रीय गोकुल मिशन शुरू किया गया। इस योजना के तहत 28 राज्‍यों से प्राप्‍त प्रस्‍तावों के लिए 1350 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इसमें से 503 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि गोकुल ग्राम की स्‍थापना राष्‍ट्रीय गोकुल मिशन का एक प्रमुख हिस्‍सा है। उन्‍होंने कहा कि गोकुल ग्राम दुधारू पशुओं की देसी नस्‍लों के विकास में मुख्‍य भूमिका निभाएंगे।

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अब तक स्थापित किये जा चुके हैं 18 गोकुल ग्राम

इन केन्‍द्रों में विकसित किए गए देसी नस्‍ल के पशु किसानों को पशु प्रजनन के लिए उपलब्‍ध कराए जाएंगे। देश में इस समय 12 अलग-अलग राज्‍यों में 18 गोकुल ग्राम स्‍थापित किए जा रहे हैं। इसके अलावा सरकार ने आंध्र प्रदेश में नेल्‍लौर के चिंतालादेवी में तथा मध्‍य प्रदेश में होशंगाबाद के इटासी में देसी नस्‍ल के दुधारू पशुओं के संरक्षण और विकास के लिए दो प्रजनन केन्‍द्र बना रही है। इसमें से चिंतालादेवी केन्‍द्र का काम पूरा हो चुका है। इन केन्‍द्रों को राष्‍ट्रीय कामधेनु प्रजनन केन्‍द्र का नाम दिया गया है। नई योजना के तहत गायों की 41 और भैंसो की 13 प्रजातियों को संरक्षित किया जाएगा।

केन्‍द्रीय मंत्री ने कहा कि दुधारू पशुओं की प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए नवम्‍बर 2016 में 825 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ राष्‍ट्रीय गोकुल मिशन के तहत राष्‍ट्रीय पशु उत्‍पादकता मिशन की शुरूआत की गई। इसका उद्देश्‍य देश में दुग्‍ध उत्‍पादन में बढ़ोतरी के साथ इस व्‍यवसाय को ज्‍यादा लाभकारी बनाना है। इस बीच, पशु संजीवन के तहत देश में विशिष्‍ट पहचान पत्र के जरिए 9 करोड़ दुधारू पशुओं की पहचान की जा रही है। सरकार ने इस योजना के लिए धन आवंटित कर दिया है। इस योजना के तहत सभी पशुओं को नकुल स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड जारी करने की भी व्‍यवस्‍था की गई है।

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