पारा चढ़ते ही कन्नौज के लजीज तरबूज की बढ़ी मांग, एमपी और दिल्ली तक खपत

Ajay MishraAjay Mishra   5 May 2018 2:31 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
पारा चढ़ते ही कन्नौज के लजीज तरबूज की बढ़ी मांग, एमपी और दिल्ली तक खपतकन्नौज में बड़े पैमाने पर होती है तरबूज की खेती। 

इस समय भीषण गर्मी पड़ने लगी है। जून में और पारा चढ़ने की संभावना है। गर्मी के कारण गर्मी के सीजनल फल तरबूज की काफी मांग है। तरबूज खाने से गर्मी का अहसास नहीं होता है। इत्रनगरी के तरबूज की मांग अन्य जिलों समेत कई प्रदेशों में भी है। गर्मी को देखते हुए इसकी मांग बढ़ गई है। बाजार में बड़ी संख्या में लोगों को तरबूज खरीदते देखा जा रहा है।

सुबह से ही सज जाती है तरबूज की मंडी।

कन्नौज की कृषि मंडी समिति के पास इन दिनों आढ़तों पर तरबूज की तराबट देखने को मिल रही है। यूपी के ही जनपदों से ही नहीं अन्य प्रदेशों से भी आकर व्यापारी यहां से तरबूज ले जाते हैं। कन्नौज जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर नेरा ज्योराखनपुर्वा निवासी (45वर्ष) का कहना है, ‘‘ मैं पांच-छह सालों से तरबूज की बिक्री कर रहा हूं। इस साल आठ हजार से 13 हजार तक में ट्रैक्टर-ट्राली भरकर तरबूज बिक रहा है। लखनऊ कानपुर, बनारस तक के व्यापारी आते हैं।’’

ये भी पढ़ें- जानिए किसान अच्छी पैदावार के लिए किस महीने में करें किस सब्ज़ी की खेती

ठठिया थाना क्षेत्र के महावलीपुर्वा निवासी किसान कुलदीप (35वर्ष) बताते हैं, ‘‘कम समय में अच्छी पैदावार होती है। मेहनत भी कम लगती है। बिकता तो अच्छे दामों में, कभी बिकता भी नहीं है। गांव वाले भी तरबूज खा जाते हैं।’’

मंडी के ठेकेदार कल्लू (35 वर्ष) बताते हैं, ‘‘लोकल का ही तरबूज आता है। कन्नौज के अलावा शाहजहांपुर, औरैया और कानपुर जिलों से थोक में खरीदने के लिए लोग यहां आते हैं। किसान सभी में संतुष्ट हैं।’’

यूपी के बांदा निवासी व्यापारी मोहम्मद निसार बताते हैं, ‘‘तरबूज के लिए कन्नौज आते हैं। हमारे यहां फुटकर बिक्री होती है। एक-एक फल बिकता है। यहां सस्ता मिलता है। माल और वैरायटी ज्यादा मिलती है। 240 किमी का सफर तय करके यहां आते हैं।”

ये भी पढ़ें- नए जमाने की खेती- छत पर ली जा रही हैं फसलें 

निसार आगे बताते हैं, “चैंसठ, माधुरी 64, 97 और आस्था काफी वैरायटी और तादाद में फल यहां हैं। माल की तंगी नहीं है। माल खूब मिलता है और रेट भी कम रहते हैं। आस-पास जिलों के रेट से यहां कम रेट में फल मिलते हैं। हम फुटकर में तौलकर बेचते हैं। एक हजार रुपए क्विंटल बिकता है। हम लोग जब आते हैं तो किसानों को रेट भी अच्छा मिल जाता है। लगभग साढे़ पांच सौ रुपए क्विंटल मिल रहा है। पहले 800-900 तक में था।’’

ये भी पढ़ें- पचास रुपए दिन की मजदूरी करने वाला झारखंड का ये किसान अब साल में कमाता है 50 लाख रुपए 

बोली लगाकर होती है तरबूज की खरीददारी।

बहादुरपुर मतौली निवासी किसान राजेंद्र सिंह (60वर्ष) ने बताया, ‘‘तीन वर्ष से तरबूज की खेती कर रहा हूं। इस बार पांच बीघा में बेाया हूं। एक बीघा में करीब चार हजार रुपए की लागत आती है। तीन-चार पानी से ही काम चल जाता है। कम लागत की वजह से तरबूज किया है कम मेहनत भी होती है। नगद पैसा मिल जाता है। एक ट्रैक्टर ट्राली में 300-400 फल आते हैं।’’

‘कन्नौज में करीब एक हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में तरबूज की पैदावार होती है। इस बार फसल अच्छी हुई है। किसानों को रेट भी बहुत मिल रहा है। फुटकर में एक फल 50-70 रुपए में बिक रहा है।
मनोज कुमार चतुर्वेदी, जिला उद्यान अधिकारी, कन्नौज

ऐसे बोली लगाकर होती है नीलामी

किसान आसाराम बताते हैं,“ मंडी के ठेकेदार एक-एक ट्राली पर पहुंचकर किसान से रेट पूछते हैं। इसके बाद बोली लगने लगती है। इस दौरान कई व्यापारी खडे़ रहते हैं जो रेट पर अपनी सहमति बोली लगाकर व्यक्त करते हैं। जो ट्राली पहले आती है उसकी बोली पहले लगती है। सुबह पांच बजे से करीब 10 बजे तक यह काम चलता है। किसानों को नकद भुगतान किया जाता है।

ये भी पढ़ें- अब तरबूज के लिए गर्मियों के सीजन का नहीं करना पड़ेगा इंतजार 

ये भी पढ़ें- मल्चिंग व ड्रिप तकनीक से तरबूज की खेती

       

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.