‘हर दो गांवों पर किसानों की मदद को बने केन्द्र’
Manish Mishra | Apr 28, 2018, 19:25 IST
नई दिल्ली। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उनके बीच पहुंच कर हर जानकारी देने के लिए उनके बीच रहना होगा। इसके लिए हर न्याय पंचायत में किसान सेंटर्स बनाए जा सकते हैं।
किसानों के हित के लिए पिछले 28 वर्षों से काम करने वाली सहकारी संस्था कृषक भारती सहकारिता (कृभको) के एक बड़े अधिकारी श्रवण कुमार ने गाँव कनेक्शन से कहा, “सरकारी योजनाओं की जानकारी किसानों तक अच्छे से पहुंचे और किसान उनका लाभ उठा पाएं, इसके लिए किसानों के बीच रहना होगा। एक बार बता कर दूर हो जाने पर नहीं होगा।”
इसके लिए सुझाव देते हुए श्रवण कुमार कहते हैं, “हर दो गांव पर एक सेंटर हो, जहां पर किसान को हर सुविधा मिले, इसे ‘फार्मर सेल’कह सकते हैं। इस पर योजनाओं की जानकारी के साथ-साथ उन्नत खेती के गुर सिखाने वाला भी कोई हो। इसके लिए एनजीओ या बेरोजगार युवाओं को जोड़ा जा सकता है।”
ज्यादातर बड़े किसानों तक एक आम किसान की पहुंच नहीं होती, और उनके सेंटर्स खस्ताहाल पड़े रहते हैं। इस तरह गाँव के पढ़े-लिखे बेरोजगारों की सेवाएं ली जा सकती हैं, जहां खसरा-खतौनी निकालने, खेती के गुर व मौसम की जानकारी आसानी से मिल सकेगी। यही नहीं, उन्हें जानकारी देने वाला भी कोई परिचित ही होगा।
साथी ही श्रवण कुमार यह भी कहते हैं, “किसानों को परंपरागत खेती की ओर मोड़ना होगा। सरकार किसानों के उत्पाद खरीदने के लिए लक्ष्य क्यों निर्धारित करती है। पूरा का पूरा उत्पाद खरीद क्यूं नहीं करती? और आगे अपने हिसाब से बेचे। किसानों को नुकसान नहीं होगा और उत्पाद का एक तय भाव मिल जाएगा।”
किसानों के बीच में जाकर काम करते हुए अपने अनुभवों को बताते हुए श्रवण कुमार ने कहा, “युवा आज खेती न करके पलायन कर रहा है, बुजुर्ग किसान या तो खुद खेती करते हैं या ठेके पर दे देते हैं। हमें युवाओं को खेती की ओर मोड़ना होगा।”
छत पर फल, सब्जियों और औषधीय पौधों की खेती
किसानों के हित के लिए पिछले 28 वर्षों से काम करने वाली सहकारी संस्था कृषक भारती सहकारिता (कृभको) के एक बड़े अधिकारी श्रवण कुमार ने गाँव कनेक्शन से कहा, “सरकारी योजनाओं की जानकारी किसानों तक अच्छे से पहुंचे और किसान उनका लाभ उठा पाएं, इसके लिए किसानों के बीच रहना होगा। एक बार बता कर दूर हो जाने पर नहीं होगा।”
इसके लिए सुझाव देते हुए श्रवण कुमार कहते हैं, “हर दो गांव पर एक सेंटर हो, जहां पर किसान को हर सुविधा मिले, इसे ‘फार्मर सेल’कह सकते हैं। इस पर योजनाओं की जानकारी के साथ-साथ उन्नत खेती के गुर सिखाने वाला भी कोई हो। इसके लिए एनजीओ या बेरोजगार युवाओं को जोड़ा जा सकता है।”
श्रवण कुमार, कृभको
जानकारी देना वाला कोई परिचित ही होगा
तब किसानों को नुकसान नहीं होगा
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युवाओं को खेती की ओर मोड़ना होगा
नौ वर्षों से नहीं खरीदी बाजार से सब्जी, छत पर उगा रहे सब्जियां
छत पर फल, सब्जियों और औषधीय पौधों की खेती