प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कई बड़े बदलाव, जानिए आपके लिए क्या है खास
गाँव कनेक्शन | Sep 19, 2018, 06:37 IST
एक अक्टूबर से रबी सीजन शुरू हो रहा है। ऐसे में सरकार ने पीएमएफबीवाई के तहत आने वाले दावों का जल्द भुगतान कराने के लिए अपने दिशा-निर्देशों को और सख्त बनाने का फैसला लिया है।
लखनऊ। रबी सीजन को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) में कई बदलावों को मंजूरी दी है। नये बदलाव के बाद अब बीमा दावों का जल्द भुगतान नहीं होगा तो बीमा कंपनियों के साथ-साथ राज्यों पर भी कार्रवाई होगी।
एक अक्टूबर से रबी सीजन शुरू हो रहा है। ऐसे में सरकार ने पीएमएफबीवाई के तहत आने वाले दावों का जल्द भुगतान कराने के लिए अपने दिशा-निर्देशों को और सख्त बनाने का फैसला लिया है। नये नियम के तहत बीमा दावों को का भुगतान अगर समय नहीं हुआ तो इसके लिए बीमा कंपनियों और राज्यों को दोषी माना जाएगा। निर्धारित अंतिम तिथि से अगर दो महीने के अंदर मामले का निपटान नहीं हुआ तो बीमा कंपनियों को किसानों को 12 फीसदी ब्याज देना होगा। बीमा कंपनियों की ओर से राज्यों को अपनी मांग दी जाएगी, ऐसे में निर्धारित तारीख के तीन महीने के अंदर अगर सब्सिडी में राज्य अपना हिस्सा जारी नहीं करता तो राज्य सरकारें 12 फीसदी ब्याज देंगी।
पुराने नियमों के मुताबिक, क्लेम की रिपोर्ट होने के बाद 2 महीने में किसान को भुगतान होना चाहिए, लेकिन किसानों को इसके लिए छह महीने से लेकर एक साल तक का इंतजार करना पड़ता है।
नये दिशा-निर्देशों को देखेंगे तो सरकार ने कुछ नये प्रयोग भी किए है। अब बारहमासी फसलें भी पीएमएफबीवाई के दायरे में होंगी। इसके अलावा जंगली जानवरों के हमले के कारण फसल नुकसान होने की स्थिति में भी बीमा कवर देने को इस योजना में जोड़ा गया है। इसे प्रायोगिक आधार पर क्रियान्वित किया जाएगा। लाभार्थियों द्वारा फिर से लाभ उठाने की स्थिति से बचने के लिए 'आधार' नंबर को इसमें अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाएगा।
पीएमएफबीवाई को और विस्तार देने के लिए गैर कर्जदार किसानों का बीमा सुनिश्चित करने के लिए देशभर में जागरुकता अभियान भी चलाए जाएंगे। बीमा कपंनियों को गैर कर्जदार किसानों को पिछले सीजन की तुलना में 10 फीसदी ज्यादा नामांकित करने का लक्ष्य दिया गया है, इसके लिए बीमा कपंनियों को हर हाल में प्रीमियम का 0.5 फीसदी करना ही होगा।
आईआईएम अहमदाबाद के सेंटर ऑफ मैनेजमेंट इन एग्रीकल्चर (सीएमए) की रिपोर्ट 'प्रधानमंत्री मंत्री फसल बीमा योजना का प्रदर्शन और मूल्यांकन' के अनुसार वर्ष 2017-18 में कुल 5.01 करोड़ किसानों ने नामांकन कराया था, ये संख्या 2016-17 के मुकाबले 10 फीसदी कम थी। सबसे ज्यादा गिरावट, गोवा, केरल, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से हुई। दूसरी ओर, वर्ष 2017-18 में 4.89 करोड़ हेक्टेयर को बीमा के क्षेत्र में लाया गया, ये क्षेत्र 2016-17 के मुकाबले 13.27 फीसदी कम था।
केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने ट्वीट कर बताया कि प्रीमियम जारी करने की प्रक्रिया को और तर्कसंगत बनाने को मांग को भी नए दिशा-निर्देशों में शामिल किया गया है। इसके अनुसार बीमा कंपनियों के लिए यह जरूरी नहीं है कि वे आगामी सब्सिडी के लिए कोई अनुमान व्यक्त करें।
एकमुश्त प्रीमियम सब्सिडी को सीजन की शुरूआत में ही जारी कर दिया जाएगा जो भारत सरकार/राज्य की सब्सिडी के रूप में पिछले वर्ष के संबंधित सीजन की सब्सिडी में कुल हिस्सेदारी के 50 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत तक पर आधारित होगी। बाकी प्रीमियम का भुगतान दूसरी किस्त के रूप में किया जाएगा जो दावों के भुगतान के लिए पोर्टल पर उपलब्ध स्वीकृत आंकड़ों पर आधारित होगी इससे किसानों के दावों के निपटान में पहले के मुकाबले कम देरी होगी।
एक अक्टूबर से रबी सीजन शुरू हो रहा है। ऐसे में सरकार ने पीएमएफबीवाई के तहत आने वाले दावों का जल्द भुगतान कराने के लिए अपने दिशा-निर्देशों को और सख्त बनाने का फैसला लिया है। नये नियम के तहत बीमा दावों को का भुगतान अगर समय नहीं हुआ तो इसके लिए बीमा कंपनियों और राज्यों को दोषी माना जाएगा। निर्धारित अंतिम तिथि से अगर दो महीने के अंदर मामले का निपटान नहीं हुआ तो बीमा कंपनियों को किसानों को 12 फीसदी ब्याज देना होगा। बीमा कंपनियों की ओर से राज्यों को अपनी मांग दी जाएगी, ऐसे में निर्धारित तारीख के तीन महीने के अंदर अगर सब्सिडी में राज्य अपना हिस्सा जारी नहीं करता तो राज्य सरकारें 12 फीसदी ब्याज देंगी।
पुराने नियमों के मुताबिक, क्लेम की रिपोर्ट होने के बाद 2 महीने में किसान को भुगतान होना चाहिए, लेकिन किसानों को इसके लिए छह महीने से लेकर एक साल तक का इंतजार करना पड़ता है।
नये दिशा-निर्देशों को देखेंगे तो सरकार ने कुछ नये प्रयोग भी किए है। अब बारहमासी फसलें भी पीएमएफबीवाई के दायरे में होंगी। इसके अलावा जंगली जानवरों के हमले के कारण फसल नुकसान होने की स्थिति में भी बीमा कवर देने को इस योजना में जोड़ा गया है। इसे प्रायोगिक आधार पर क्रियान्वित किया जाएगा। लाभार्थियों द्वारा फिर से लाभ उठाने की स्थिति से बचने के लिए 'आधार' नंबर को इसमें अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाएगा।
पीएमएफबीवाई को और विस्तार देने के लिए गैर कर्जदार किसानों का बीमा सुनिश्चित करने के लिए देशभर में जागरुकता अभियान भी चलाए जाएंगे। बीमा कपंनियों को गैर कर्जदार किसानों को पिछले सीजन की तुलना में 10 फीसदी ज्यादा नामांकित करने का लक्ष्य दिया गया है, इसके लिए बीमा कपंनियों को हर हाल में प्रीमियम का 0.5 फीसदी करना ही होगा।
किसान कल्याण के प्रति अपनी वचनबद्धता को दोहराते हुए, @narendramodi सरकार ने
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए संशोधित परिचालन दिशानिर्देश जारी किए हैं। इससे जिम्मेदारी में वृद्धि होगी और किसानों के फसल बीमा दावों का समय पर निपटान सुनिश्चित होगा। #doublingfarmersincome pic.twitter.com/3R9by2WLvx
— Radha Mohan Singh (@RadhamohanBJP) September 18, 2018
केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने ट्वीट कर बताया कि प्रीमियम जारी करने की प्रक्रिया को और तर्कसंगत बनाने को मांग को भी नए दिशा-निर्देशों में शामिल किया गया है। इसके अनुसार बीमा कंपनियों के लिए यह जरूरी नहीं है कि वे आगामी सब्सिडी के लिए कोई अनुमान व्यक्त करें।
एकमुश्त प्रीमियम सब्सिडी को सीजन की शुरूआत में ही जारी कर दिया जाएगा जो भारत सरकार/राज्य की सब्सिडी के रूप में पिछले वर्ष के संबंधित सीजन की सब्सिडी में कुल हिस्सेदारी के 50 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत तक पर आधारित होगी। बाकी प्रीमियम का भुगतान दूसरी किस्त के रूप में किया जाएगा जो दावों के भुगतान के लिए पोर्टल पर उपलब्ध स्वीकृत आंकड़ों पर आधारित होगी इससे किसानों के दावों के निपटान में पहले के मुकाबले कम देरी होगी।