कृषि मृदा स्वास्थ्य कार्ड की मदद से रासायनिक उर्वरकों की खपत घटी, उत्पादन बढ़ा : राधा मोहन सिंह

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
कृषि मृदा स्वास्थ्य कार्ड की मदद से रासायनिक उर्वरकों की खपत घटी, उत्पादन बढ़ा : राधा मोहन सिंहकृषि मंत्री राधा मोहन सिंह

नई दिल्ली (भाषा)। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि कृषि के विकास के साथ किसानों के आर्थिक उन्नयन के लिये मोदी सरकार जमीन पर तेजी से काम कर रही है और इस दिशा में मृदा स्वास्थ्य कार्ड एक महत्वपूर्ण पहल है जिसकी मदद से रसायनिक उर्वरकों की खपत में 8 से 10 प्रतिशत की कमी आई और उत्पादन में 10 से 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड (सॉयल हेल्थ कार्ड) का एक समान प्रारुप अपनाया गया है। सॉयल हेल्थ कार्ड में मृदा जांच आधारित फसलवार उर्वरक छिड़काव के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। पहले दो वर्षीय चक्र (2015-17) तक 253 लाख मिट्टी के नमूनों के लक्ष्य की तुलना में सभी 253 लाख मिट्टी के नमूने एकत्रित किए जा चुके हैं और 248 लाख नमूनों (98ञ्) का परीक्षण किया जा चुका है। 12 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लक्ष्य की तुलना में अब तक 9 करोड़ कार्ड अर्थात 75 प्रतिशत किसानों को वितरित किए जा चुके हैं।

ये भी पढ़ें : किसानों के लिए खुशखबरी: ट्रैक्टर के कल-पुर्जों, कपड़े के जॉब वर्क पर जीएसटी में भारी कमी

कृषि मंत्री ने बताया कि इस योजना के माध्यम से न सिर्फ किसानों के लागत मूल्य में कमी आ रही है वरन सही पोषक तत्वों की पहचान एवं उपयोगिता भी बढ़ी है। वर्ष 2014-17 के दौरान इस योजना के अन्तर्गत 253.82 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। वर्ष 2015-16 की तुलना में वर्ष 2016-17 के दौरान रसायनिक उर्वरकों की खपत में 8 से 10 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं उत्पादन में 10 से 12 प्रतिशत की समग्र वृद्धि हुई है।

सिंह ने कहा कहा कि कुछ राज्यों ने इसमें अच्छी प्रगति की है और 16 राज्यों ने पूर्ण लक्ष्य प्राप्त कर लिया है और 9 राज्य जुलाई 2017 के अंत तक पूर्ण लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे। लेकिन अभी भी 7 राज्यों में प्रगति धीमी चल रही है, ये राज्य हैं उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, पंजाब, असम, जम्मू-कश्मी्र एवं मणिपुर। उन्होंने समिति के सदस्यों से अनुरोध किया कि वे अतिशीघ्र अपने राज्य में पूर्ण लक्ष्य प्राप्त करने का प्रयत्न करें।

ये भी पढ़ें : टमाटर के बाद अब महंगा होगा प्याज, कीमतें 30 रुपए तक पहुंचीं, महंगाई के ये हैं 2 कारण

राधा मोहन सिंह ने कहा कि कृषि के विकास के बारे में विचार काफी समय से होता आ रहा है परन्तु आजादी के बाद से यह पहली सरकार है जो कृषि के विकास के साथ-साथ कृषकों के आथर्कि उन्नयन के बारे में भी धरातल पर बहुत तेजी के साथ कार्वाई भी कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमन्त्री का सपना है कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाए और वे विकास की मुख्य धारा में अपनी भागीदारी को सहज भाव से महसूस करें।

सिंह ने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तीन स्तंभों पर कार्वाई करनी होगी। प्रथम स्तंभ के अंतर्गत हमें अपनी उत्पादन लागत को कम करना होगा तथा उत्पादकता को बढ़ाना होगा दूसरे स्तंभ के रुप में किसानों को जरुरत है कि कृषि के साथ-साथ इसे विविधीकृत करें और कृषि आधारित अन्य लाभकारी क्रियाकलापों यथा पशुपालन, मुर्गीपालन, बकरी पालन, मतस्य पालन मधुमक्खी पालन, मेड़ों पर इमारती लकड़ी के पेड़ लगाने को भी अपनाएँ। तीसरा एवं सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ ये है की किसानों को उनकी उपज बेचने के लिए नजदीक में बाजार उपलब्ध हों तथा उनके उपज का उनको लाभकारी मूल्य मिल सके।

ये भी पढ़ें : इंजीनियरिंग छोड़ बने किसान, कर रहे हैं नींबू और केले की बागवानी

उन्होंने कहा कि उत्पादन लागत कम करने तथा उत्पादकता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने देश के सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना चलायी है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड में मृदा स्वास्थ्य सुधार और उसकी उर्वरता बढाने के लिए उपयोग किए जाने वाले पोषक तत्वों की उचित मात्रा की जानकारी के साथ खेतों की पोषण स्थिति पर किसानों को सूचना दी जाती है।

सिंह ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य स्थिति को नियमित रुप से प्रत्येक 2 वर्ष में आंकलित किया जाएगा ताकि पोषक तत्वों में कमी का पता लगाया जा सके और उसके अनुसार सुधार किया जा सके। उन्होंने कहा कि सॉयल नमूनों के संग्रहण और प्रयोग शालाओं में परीक्षण पर एकीकृत दृष्टिकोण, देश में सभी भू-जोतो का एक रुप कवरेज, प्रत्येक दो वर्षों के पश्चात सॉयल हेल्थ कार्ड जारी करना सॉयल हेल्थ कार्ड योजना की मुख्य विशेषताएँ हैं।

उन्होंने कहा कि पहली बार एक एकीकृत सॉयल नमूना मापदंड अपनाया गया है। सिंचित क्षेत्र में 2.5 हैक्टेयर और गैर सिंचित क्षेत्र में 10 हैक्टेयर के ग्रिड में नमूनों को एकत्र किया जा रहा है। जीपीएस आधारित मिटृी के नमूने एकत्र करने को अनिवार्य कर दिया गया है ताकि सुव्यवस्थित डाटाबेस तैयार किया जा सके और पिछले वर्षों में मृदा की स्थिति में परिवर्तन को मॉनिटर किया जा सके।

ये भी पढ़ें : जाने विटामिन्स की कमी हो सकतें हैं कौन - कौन से रोग?

         

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.