डिजिटल एग्रीकल्चर : तकनीक से आसान हो रही किसानों की ज़िंदगी

Anusha Mishra | Jan 15, 2018, 16:35 IST
Agriculture techniques
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण समुदाय के सशक्तीकरण के लिए व गाँवों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए 1 जुलाई 2015 को डिजिटल इंडिया का शुभारंभ किया था, उनके इस प्रयास ने पूरे देश में सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी को सक्षम किया और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दिया।

देश की 68 प्रतिशत आबादी गाँवों में रहती है और कृषि जनसंख्या का 58 फीसदी आजीविका का मुख्य स्रोत है, इसलिए भारत में डिजिटल कृषि की भूमिका पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है। सुरक्षित, पौष्टिक और किफायती भोजन उपलब्ध कराने के साथ ही खेती को सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से लाभदायक और टिकाऊ बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी यानि आईटी का इस्तेमाल करना ही डिजिटल कृषि कहलाता है।

फिलहाल पूरे विश्व के सामने एक बड़ी समस्या है और वह है खाद्य सुरक्षा यानि दुनिया के हर व्यक्ति को आहार मुहैया कराना। कुछ साल पहले तक किसान पुराने पारंपरिक तरीकों से खेती करते रहते थे। उनके पास इतने साधन और सुविधाएं नहीं थीं कि वे खेती में नए प्रयोग कर पाएं या खेती में होने वाली समस्याओं से निपट पाएं लेकिन पिछले कुछ समय में जिस तरह किसान डिजिटली सक्षम हुए हैं उससे कृषि क्षेत्र का काफी विकास हुआ है। हाल ही में एक नया टर्म डिजिटल एग्रीकल्चर चलन में आया है।

डिजिटल एग्रीकल्चर यानि फसलों की पैदावार बढ़ाने और खेती को सक्षम व लाभदायक बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों और सेवाओं का इस्तेमाल करना। किसान अब खेती से जुड़ी अपनी समस्याओं से निपटने, नई कृषि विधियां सीखने और दुनिया भर में हो रहे कृषि प्रयोगों के बारे में जानने के लिए फेसबुक, व्हॉट्सऐप, यूट्यूब, सीडी जैसे साधनों से जुड़ रहे हैं। खेती को बेहतर बनाने में सूचना प्रोद्योगिकी से जुड़े ये प्लेटफॉर्म काफी काम आ रहे हैं। भारत में आज भी ज़्यादातर खेती मौसम के हालत पर टिकी है, जिसमें ज्यादा जोखिम है, लेकिन किसान घर बैठे कृषि वैज्ञानिकों के बताए तरीकों से इन समस्यायों से निपट रहे हैं।

खेती में आईटी के क्या हैं फायदे

  • फसलों को रोपने और बीजाई करने के बारे में नयी तकनीकों के बारे में जानकारी मुहैया कराना।
  • एग्रो-क्लाइमेटिक यानी खेती के लिए अनुकूल मौसम आधारित अध्ययन के जरिए जरूरी सूचना देना।
  • सभी फसलों के बारे में अलग-अलग तौर पर उनकी मांग और आपूर्ति की जानकारी देना, ताकि ज़्यादा मांग और कम आपूर्ति वाली फसलों के उत्पादन पर वे ज्यादा ज़ोर दे सकें।
  • फसल से जुड़े, रोपण, बीज शोधन, कटाई आदि के बारे में जानकारी देना।
  • किस मूल्य पर किस बाजार में फसलों को बेचा जाए, इस बारे में समुचित सूचना मिलती है।
  • जिन किसानों को ठीक से पढ़ना नहीं आता वे भी वीडियो को देखकर और सुनकर खेती के बारे में जानकारी ले लेते हैं।
  • किसानों के लिए कई ऐप्स हैं जिनसे खेती से जुड़ी हर जानकारी चुटकियों में मिल जाती है।
  • समय व पैसों की बचत।

सोशल मीडिया का इस्तेमाल

पहले खेत में किसी फसल पर कोई रोग लग जाए तो बिना कृषि विशेषज्ञ को दिखाए उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाती थी और जब तक कृषि सलाहकार खेतों का मुआयना करने पहुंचते थे तब तक तक उस फसल का समय ही बीत चुका होता था। कई बार तो छोटी सी बीमारी भी जानकारी के अभाव में पूरी फसल के बर्बाद होने का कारण बन जाती थी लेकिन अब किसानों की कोई भी समस्या हो चुटकियों में हल हो जाती है।

सोशल मीडिया ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। किसानों को खेती से जुड़ी कोई भी समस्या हो वे व्हाट्सऐप या फेसबुक पर बने ग्रुप में समस्या को बताकर उसका निदान पूछते हैं और फटाफट उसके जवाब मिलना शुरू हो जाते हैं। इन ग्रुप में कृषि वैज्ञानिक, कृषि सलाहकार आदि जुड़े रहते हैं। किसान ज़्यादातर जैविक खेती, फसल में लगने वाले रोग, जानवरों से फसलों को बचाने के तरीके, खेती में उत्पादन, प्रोसेसिंग, सरकार की योजनाएं, अनुदान जैसे मुद्दों पर चर्चा करते हैं।

सरकार ने आईटी के ज़रिए शुरू की कई योजनाएं

सरकार ने किसान कॉल सेंटर, ई-चौपाल, किसान चौपाल, ग्रामीण ज्ञान केंद्र, ई-कृषि, किसान क्रेडिट कार्ड जैसी कई योजनाओं की आईटी के ज़रिए शुरुआत की है।

किसान कॉल सेंन्टर

सरकार ने किसान कॉल सेंटर की शुरुआत ऐसे किसानों को ध्यान में रखकर की जो सूदूरवर्ती गाँव में रहते है और वहीं बैठे खेती से संबंधित जानकारी चाहते हैं - जैसे- कृषि उत्पादकता कैसे बढ़े, उन्नत खेती के तरीके और उससे लाभ कैसे मिले। किसान कॉल सेन्टर के माध्यम से मुफ्त फोन सेवा (18001801551) व मैसेज से जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। जैसे किसानों की समस्याएं, मौसम से संबधित जानकारी स्थानीय भाषा में नियमित रूप से दी जाती है।

ई चौपाल

ई चौपाल को किसानों को दलालों और विचैलियों से बचाने के लिए शुरू किया गया। इसमें कृषि संयत्र, मौसम, फसल, कृषि उत्पादों की खरीद ब्रिकी, इंटरनेंट के ज़रिए किसानों को सीधे जोड़ा जाता है और उससे संबंधित सूचना दी जाती है। ई चैपाल से किसान अपनी उपज ऑनलाइन मंडी के द्वारा उच्च लागत से बेचते है जिससे उनको शुद्ध मुनाफा मिलता है ICT द्वारा किसानों को उनके उत्पादों की गुणवता में सुधार करने में मदद करता है। ई0 चैपाल सेवा शुरू होने के बाद से किसानों के उत्पादन की गुणवता तथा पैदावार में वृद्धि सुधार की वजह से उनके आय के स्तर में वृद्धि, और लेन देन में गिरावट आयी है।

किसान चौपाल

किसान चौपाल को कृषि विज्ञान केन्द्र (KVK) चलाता है। कृषि वैज्ञानिक किसानों की जरूरत को आंकलन के आधार पर किसान चौपाल गाँव में आयोजित की जाती है। किसान चैपाल में किसानों के खेती, फसल उत्पादन, पशुपालन एवं इससे संबधित समस्याओं को सुना जाता है और वीडियो, पावर प्वाइंट प्रजंटेशन, ऑडियो के ज़रिए उन्हें सुलझाया जाता है।

ग्रामीण ज्ञान केन्द्र

ग्रामीण ज्ञान केन्द्र, कृषि क्षेत्र में उपलब्ध जानकारी को किसान तक पहुंचाने, फसल उत्पादन से विपणन के लिए शुरू कर सूचना के प्रसार केन्द्र के रूप में कार्य करता है। जिसके माध्यम से कृषि, बागवानी, मत्स्य, पशुधन, जल संसाधन, टेली स्वास्थ, जागरूकता कार्यक्रम, महिला सशक्तिकरण, कंप्यूटर शिक्षा तथा आजीविका सहायता के लिए कौशल विकास / व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है।

किसान क्रेडिट कार्ड

यह योजना भारत सरकार, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने शुरू की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को समय पर ऋण उपलब्ध कराना है। वैसे किसान जिन्हें बार-बार कर्ज़ के लिए बैंकों के पास जाना पड़ता था, और बार- बार बैंकिग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था जिससे किसानों को जरूरत के समय कर्ज़ नहीं मिल पाता था। किसान क्रेडिट कार्ड से ऋण किसानों को समय से मिल जाता है और खेती में नुकसान होने पर रकम अदायगी के लिए अवधि में असानी से बदला जा सकता है, जिससे किसानों को अधिक परेशानी भी नहीं होती है और अतिरिक्त बोझ भी नही पड़ता है।



Tags:
  • Agriculture techniques

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.