‘गन्ने की उन्नत प्रजातियों का चुनाव करके किसान प्राप्त कर सकते हैं अधिक उत्पादन’

गाँव कनेक्शन | Jan 19, 2018, 18:43 IST
Sugarcane
नई गन्ना किस्म विकास के तकनीकी कार्यक्रम तय करने के लिए भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजना के अंतर्गत क्षेत्रीय गन्ना प्रजनकों (Breeders) की बैठक आज आयोजित की गई। इस बैठक में विभिन्न शोध संस्थानों/कृषि विश्वविध्यालयों के विभिन्न केन्द्रों में कार्यरत वैज्ञानिकों व राज्य गन्ना विकास विभाग के अधिकारियों सहित 100 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

संजय आर. भूसरेड्डी, प्रमुख सचिव, गन्ना विकास व चीनी उधयोग व गन्ना व चीनी आयुक्त, उत्तर प्रदेश ने प्रदेश के गन्ना विभाग द्वारा गन्ना किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए आठ सूत्रीय रणनीति के बारे में जानकारी दी। उन्होने गन्ने की उत्पादकता में वृद्धि करने के लिए गन्ना बीज उपचार, गन्ना बीज बदलाव, शरदकालीन गन्ने क्षेत्र में वृद्धि करने व पेड़ी प्रबंधन तथा किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार उर्वरकों के प्रयोग, टपक सिंचाई प्रणाली/फर्टिगेशन, प्रत्येक गन्ना समिति में खेती मशीन बैंक बनाने व गन्ने के साथ सह फसलों की खेती पर ज़ोर दिया।

उन्होंने गन्ना किसानों को गन्ने में हो रहे शोध एवं विकास के लाभ पहुंचाने के लिए भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास विभाग व चीनी मिलों में आपसी समन्वय बढ़ाने का अनुरोध किया। भूसरेड्डी ने संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न गन्ना खेती यंत्रों का प्रत्यक्ष प्रदर्शन भी देखा। इस मौके पर संस्थान के प्रसार एवं प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. एके साह ने किसानों के खेतों पर किए जा रहे प्रसार गति विधियों पर जानकारी दी।

डॉ. आरके सिंह, सहायक महानिदेशक (वाणिज्यिक फसलें), भाकृअनुप, नई दिल्ली ने बताया कि 1950-51 से अब तक व्यावसायिक खेती के लिए गन्ने की 116 क़िस्मों की संस्तुति की जा चुकी है। किसान केवल उन्नत प्रजाति का चयन करके ही गन्ने की 10-15% अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं।

उन्होने जलवायु परिवर्तन के परिद्रशय में जैवप्रोध्योगिकी के हस्तक्षेप से सूखे व जल भराव जैसे अजैविक बाधकों के प्रति सहिष्णु क़िस्मों के विकास पर बल दिया। डॉ.एडी पाठक, निदेशक, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने गन्ने की उत्पादकता, चीनी परता व किसानों की आय बढ़ाने के लिए संस्थान द्वारा किए जा रहे शोध एवं विकास के गतिविधियों की जानकारी दी। डॉ. पाठक ने बताया कि संस्थान द्वारा विकसित कोलख 94184 किस्म आज उत्तर प्रदेश व बिहार राज्यों में 2.5 लाख से अधिक हेक्टेयर क्षेत्र में बोई जा रही है। उन्होने संस्थान द्वारा डीएससीएल शुगर समूह के साथ उत्तर प्रदेश के आठ गाँवों में किसानों की आय दोगुना करने के लिए चलाए जा रहे साझा कार्यक्रम पर जानकारी दी।

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