एक कुंतल लहसुन का किसानों को मिल रहा 500 रुपए, मतलब प्रति बीघा 2500 का नुकसान
Ajay Mishra | Sep 10, 2018, 13:27 IST
कन्नौज। लहसुन की कीमतों को लेकर किसान हताश हैं। करीब ढाई हजार रुपए प्रति बीघा नुकसान हो रहा है। इससे नाराज किसान सोमवार को लहसुन लेकर किसान एसडीएम के पास जा पहुंचे और प्रदेश सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा।
किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव उदयराज राजपूत ने बताया कि लहसुन का रेट 500 रुपए प्रति कुंतल किसानों को मिल रहा है। कहीं-कहीं तो बिक भी नहीं रहा। ऐसे में चाहिए कि सरकार लहसुन का न्यूनतम मूल्य निर्धारित कर 50 फीसदी लाभ जोड़कर किसानों को दे। उन्होंने आगे बताया कि अन्ना पशुओं की वजह से किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं। अन्ना जानवरों की संख्या इतनी ज्यादा होती है कि कई बार फसल उनके पैरों से ही कुचलकर खराब हो जाती है।
किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष कौशलेंद्र शाक्य बताते हैं कि फसल का उचित मूल्य सरकार पर निर्भर करता है। एक बीघा में चार कुंतल लहुसन की पैदावार होती है। वर्तमान कीमत के तहत दो हजार रुपए चार कुंतल के मिलते हैं। जबकि लागत 4500 आती है। 2500 प्रति बीघा घाटे में तो किसान आत्महत्या कर लेंगे। वे आगे कहते हैं कि किसान उग्रवादी, आतंकवादी नहीं हैं। हम लोगों की उत्पत्ति खेत-खलिहान में ही हुई है। सरकार अनदेखी न करे। यूपी सरकार केंद्र सरकार से किसानों के हित में रिकमेंडेशन करे जिससे लाभ मिले।
उदय आगे कहते हैं कि कच्चे मकान गिरने पर प्रशासन की ओर से तीन हजार से साढे तीन हजार रुपए दिया जा रहा है। इतने में कुछ नहीं होता। पीड़ित को 50 हजार की तत्काल मदद दी जाए, जिससे वह रहने के लिए घर बना सके। तीन हजार में तो बिरपाल भी नहीं आती। राष्ट्रीय महासचिव ने आगे बताया कि कर्जमाफी में इतने फिल्टर लगा दिए गये कि बेइमानों को लाभ मिला। जिन्होंने कुछ जमा किया वह लाभ से वंचित हो गए।
किसानों ने तहसील पहुंचकर एसडीएम रामदास को ज्ञापन दिया। अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी भी की। मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को 11 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। इसमें 100 दिन की बजाय 365 दिन की मजदूरी, मजदूरी 175 से बढ़ाकर 500 रुपए, किसान आयोग का गठन और स्वामीनाथन की रिपोर्ट को तत्काल लागू करने की बात कही गयी है। किसानों ने किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड का लोन सर्किल रेट पर दिए जाने की मांग भी रखी।
किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव उदयराज राजपूत ने बताया कि लहसुन का रेट 500 रुपए प्रति कुंतल किसानों को मिल रहा है। कहीं-कहीं तो बिक भी नहीं रहा। ऐसे में चाहिए कि सरकार लहसुन का न्यूनतम मूल्य निर्धारित कर 50 फीसदी लाभ जोड़कर किसानों को दे। उन्होंने आगे बताया कि अन्ना पशुओं की वजह से किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं। अन्ना जानवरों की संख्या इतनी ज्यादा होती है कि कई बार फसल उनके पैरों से ही कुचलकर खराब हो जाती है।
किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष कौशलेंद्र शाक्य बताते हैं कि फसल का उचित मूल्य सरकार पर निर्भर करता है। एक बीघा में चार कुंतल लहुसन की पैदावार होती है। वर्तमान कीमत के तहत दो हजार रुपए चार कुंतल के मिलते हैं। जबकि लागत 4500 आती है। 2500 प्रति बीघा घाटे में तो किसान आत्महत्या कर लेंगे। वे आगे कहते हैं कि किसान उग्रवादी, आतंकवादी नहीं हैं। हम लोगों की उत्पत्ति खेत-खलिहान में ही हुई है। सरकार अनदेखी न करे। यूपी सरकार केंद्र सरकार से किसानों के हित में रिकमेंडेशन करे जिससे लाभ मिले।
उदय आगे कहते हैं कि कच्चे मकान गिरने पर प्रशासन की ओर से तीन हजार से साढे तीन हजार रुपए दिया जा रहा है। इतने में कुछ नहीं होता। पीड़ित को 50 हजार की तत्काल मदद दी जाए, जिससे वह रहने के लिए घर बना सके। तीन हजार में तो बिरपाल भी नहीं आती। राष्ट्रीय महासचिव ने आगे बताया कि कर्जमाफी में इतने फिल्टर लगा दिए गये कि बेइमानों को लाभ मिला। जिन्होंने कुछ जमा किया वह लाभ से वंचित हो गए।
किसानों ने तहसील पहुंचकर एसडीएम रामदास को ज्ञापन दिया। अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी भी की। मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को 11 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। इसमें 100 दिन की बजाय 365 दिन की मजदूरी, मजदूरी 175 से बढ़ाकर 500 रुपए, किसान आयोग का गठन और स्वामीनाथन की रिपोर्ट को तत्काल लागू करने की बात कही गयी है। किसानों ने किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड का लोन सर्किल रेट पर दिए जाने की मांग भी रखी।