कम पानी में धान की ज्यादा उपज के लिए करें धान की सीधी बुवाई

Divendra Singh | May 07, 2018, 13:16 IST

धान की सीधी बुवाई उचित नमी और खेत की कम जुताई करके या फिर खेत की जुताई किए बिना ही आवश्यतानुसार खरपतवारनाशी का प्रयोग कर जीरो टिलेज मशीन से की जाती है।

धान की खेती में नर्सरी से लेकर रोपाई में समय भी ज्यादा लगता है और खर्च भी। ऐसे में किसान जीरो टिलेज मशीन से धान की सीधी बुवाई कर सकते हैं। इस तकनीक से रोपाई और जुताई की लागत में बचत में होती है व फसल भी समय से तैयार हो जाती है, जिससे अगली फसल की बुवाई सही समय में हो जाती है।

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के डॉ. विनोद कुमार श्रीवास्तव जीरो टिलेज से सीधी बुवाई के बारे में बताते हैं, "सीधी बुवाई मानसून आने से पहले कर लेनी चाहिए ताकि बाद में अधिक नमी या जल भराव से पौधे प्रभावित नहीं होते हैं। इस तकनीक से रोपाई और सिंचाई की लागत की बचत हो जाती है और फसल भी समय से तैयार हो जाती है।"

धान की सीधी बुवाई उचित नमी और खेत की कम जुताई करके या फिर खेत की जुताई किए बिना ही आवश्यतानुसार खरपतवारनाशी का प्रयोग कर जीरो टिलेज मशीन से की जाती है।

बुवाई से पहले धान के खेत को समतल कर लेना चाहिए। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी उपलब्ध होनी चाहिए। जुताई हल्की और डिस्क हैरो से करनी चाहिए। सामान्यतः सीधी बुवाई वाली धान में प्रति हेक्टेयर 80-100 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फास्फोरस और 20 किलो पोटाश की जरूरत होती है। नाइट्रोजन की एक तिहाई और फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय प्रयोग करना चाहिए।

जीरो टिलेज मशीन से कर सकते हैं सीधी बुवाई

सीधी बुवाई विधि में जीरो टिलेज मशीन के द्वारा मोटे आकार के दानो वाले धान की किस्मों के लिए बीज की मात्रा 30-35 किलोग्राम, मध्यम धान की 25 से 30 किलोग्राम और छोटे महीन दाने वाले धान की 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है। बुवाई से पूर्व धान के बीजों का उपचार अति आवश्यक है। सबसे पहले बीज को 8-10 घंटे पानी में भीगोकर उसमें से खराब बीज को निकाल देते हैं। इसके बाद एक किलोग्राम बीज की मात्रा के लिए ट्राइकोडर्मा मिलाकर बीज को दो घंटे छाया में सुखाकर मशीन के द्वारा सीधी बुवाई करनी चाहिए।

बुवाई करते समय ध्यान रखें ये बाते

धान की बुवाई करने से पहले जीरो टिल मशीन का संशोधन कर लेना चाहिए, जिससे बीज और उर्वरक निर्धारित मात्रा और गहराई में पड़े। ज्यादा गहराई होने पर अंकुरण और कल्लों की संख्या कम होगी, जिससे धान की पैदावार पर प्रभाव पड़ेगा। बुवाई के समय, ड्रिल की नली पर विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इससे रुकने पर बुवाई ठीक प्रकार नहीं हो पाती है, जिससे कम पोधे उगेंगे और उपज कम हो जाएगी।

यूरिया और म्यूरेट आफ पोटाश उर्वरकों का प्रयोग मशीन के खाद बक्से में नहीं रखना चाहिए। इन उर्वरकों का प्रयोग टाप ड्रेसिंग के रूप में धान पोधों के स्थापित होने के बाद सिंचाई के बाद करना चाहिए। बुवाई करते समय पाटा लगाने की जरूरत नहीं होती, इसलिए मशीन के पीछे पाटा नहीं बांधना चाहिए।

खरपतवार हटाने के लिए करें ये उपाय

सीधी बुवाई जीरो टिलेज धान की खरपतवार की समस्या के रूप में आते हैं, क्योंकि लेव न होने से इनका अंकुरण सामान्य की आपेक्षा ज्यादा होता है। बुवाई के बाद लगभग 48 घंटे के अंदर पेन्डीमीथिलिन की एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 800 लीटर पानी में छिड़काव करना चाहिए।

छिड़काव करते समय मिट्टी में पर्याप्त नमीं होनी चाहिए और समान्य रूप से सारे खेत में छिड़काव करना चाहिए। ये दवाएं खरपतवार के जमने से पहले ही उन्हें मार देती हैं। बाद में चोड़ी पत्ती की घास आए तो उन्हें, 2, 4-डी 80 प्रतिशत सोडियम साल्ट 625 ग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करना चाहिए।

Tags:
  • Kharif Crop
  • Diseases in paddy crop
  • Paddy production state
  • Rice Production
  • Paddy Field
  • Kharif Crops
  • kharif 2018