उत्तर प्रदेश: सरकारी धान क्रय केंद्रों पर सन्नाटा, प्रति कुंतल 300 से 400 रुपए का घाटा उठा रहे किसान

Mithilesh Dhar | Nov 16, 2018, 09:51 IST

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के किसानों को धान बेचने के लिए नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं। किसान को गेहूं समेत अगली फसल बोने के लिए पैसे चाहिए और सरकारी खरीद केंद्रों पर धान की खरीद नहीं हो पा रही है। सरकारी खरीद की जटिल प्रक्रिया और मिल, कर्मचारियों की हड़ताल के चलते किसान 300-400 रुपए प्रति कुंतल पर घाटा उठाकर निजी व्यापारियों को धान बेच रहे हैं।

धान का सरकारी रेट 1750 रुपए है। सरकार ने 638 खरीद केंद्रों के माध्यम से 50 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य भी रखा, लेकिन एक अक्टूबर से शुरू हुई उत्तर प्रदेश में सरकारी खरीद लक्ष्य के अनुरूप काफी कम है। किसानों का कहना है सरकारी केंद्र पर धान बेचना टेढ़ी खीर है। हालात इतने बद्तर है कि राजधानी लखनऊ में एक नवंबर से खरीद शुरू होने के बाद 13 दिन तक तो बोहनी तक नहीं हुई।

लखनऊ के ब्लॉक बख्शी तालाब के गांव देवरई के रहने वाले किसान जय सिंह ने गांव कनेक्शन से कहा "मेरे पास तो लगभग 40 कुंतल धान है लेकिन मैं इसे सरकारी क्रय केंद्र पर नहीं बेचूंगा। वहां बहुत परपंच है। रजिस्ट्रेशन केंद्रों पर होता नहीं, कंप्यूटर मेरे पास है नहीं ऐसे में मैं ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कैसे कराउंगा। इसके बाद भी निश्चित नहीं है कि धान बिक ही जाएगा। नमी के बाद भी न जाने क्या-क्या जांच की जाती है। हमारे लिए इससे तो सही रहता है कि बाहरी आढ़तियों को बेच दें।"

13 नवंबर तक खाद्य व रसद विभाग में हड़ताल के चलते धान क्रय केद्रों पर ताले लटके रहे। विभिन्न मांगों को लेकर पूरे प्रदेश में मार्केटिंग इंस्पेक्टर (खाद्य विपणन विभाग) कर्मचारी हड़ताल पर रहे। जिसके चलते धान की खरीद पूरी तरह ठप्प रही। लगभग दो सप्ताह तक सहकारी समितियों पर ताले लगे रहे, ऐसे में 14 को केंद्र तो खुले लेकिन किसान नदारद रहे। लखनऊ गल्ला मंडी में धान क्रय केंद्र के मार्केटिंग इंस्पेक्टर आदित्य सिंह बताते हैं "हमारी हड़ताल तो खत्म हो चुकी है, लेकिन अभी हमारे यहां बोहनी नहीं हुई है। किसान आ ही नहीं रहे। हालांकि मिलर्स की हड़ताल अभी जारी है।" धान बेचने के लिए किसानों के विभागीय वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराने की अंतिम तिथि 15 नवंबर निर्धारित है।

लखनऊ के बख्शी तालाब के पास मंडी में आढ़तियों के यहां रखा धान

धान क्रय नीति के तहत सीतापुर, लखीमपुर, बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़ और झांसी में एक अक्टूबर से 31 जनवरी 2019 तक और लखनऊ, रायबरेली, उन्नाव व हरदोई, चित्रकूट, कानपुर, फैजाबाद, देवीपाटन, बस्ती, गोरखपुर, आजमगढ़, वाराणसी, मिर्जापुर और इलाहाबाद मण्डलों में एक नवंबर, 2018 से 28 फरवरी, 2019 तक धान की खरीद की जाएगी। लेकिन प्रदेश के लगभग सभी जिलों में धान की खरीदी अपेक्षा अनुसार नहीं हो पा रही है। लखनऊ में 14 धान क्रय केंद्र बनाए गए हैं जहां एक नवंबर से खरीद शुरू होनी थी, लेकिन आंकड़ों के अनुसार 15 नवंबर तक राजधानी के किसी भी केंद्र पर धान की आवक नहीं हुई।

जय सिंह आगे कहते हैं "खरीद केंद्रों पर हमारे धान की जांच ऐसी होती है जैसे हम अफीम बेच रहे हैं। नमी चेक होता है, धूल चेक होता फिर देखा जाता है कि हरे या कच्चे धानों का मात्रा कितनी है। इतनी दूर ढोकर ले जाने के बाद भी जब धान को सही गुणवत्ताविहीन बताकर नहीं खरीदा जाता तो दुख होता है। इसलिए मैं तो बाहरी खरीदादारों को ही बेच देता हूं।"

वहीं जिला मेरठ, मवाना के किसान मोनू नागर कहते हैं "ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हम करा ही नहीं पाते। प्रक्रिया बहुत मुश्किल है। एसडीएम ऑनलाइन सत्यापान भी जल्दी नहीं करते। इसके बाद भी गारंटी नहीं होती कि धान की खरीदा ही जाएगा। ऐसे में हम सरकार की तय की हुई रेट का लाभ उठा ही नहीं पाते।" हालांकि प्रदेश सरकार फौरी तौर पर राहत देते हुए ऑनलाइन/ ऑफलाइन सत्यापन से राहत दी है बावजूद इसके किसानों की राहों में मुश्किलें कई हैं।

बाराबंकी के बाजपुर गांव निवासी किसान शिव नारायण यादव बताते हैं "हमारे यहां मोहम्मदपुर उपाध्याय क्रय केंद्र पर धान खरीद न होने से किसान परेशान हैं। रबी फसलों की बुआई प्रभावित हो रही है। खाद-बीज का इंतजाम धान बेचकर ही करना होता है। ऐसे में हम 1300 से 1500 रुपए में धान बेच रहे हैं जो सरकारी रेट से काफी कम है।"

मिलर्स ने बढ़ाई परेशानी

उत्तर प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश चंद्र मिश्रा गांव कनेक्शन से फोन पर कहते हैं "हमारी हड़ताल अभी तक जारी है। हमने इस सत्र में कहीं भी धान नहीं कूटा है, हमारी हड़ताल मांगें पूरी न होने तक जारी रहेंगी।"

उमेश आगे कहते हैं "सरकारी क्रय केंद्रों से लेकर कुटाई तक की प्रक्रिया बहुत ही कठिन और पेंचिदा है। भारतीय खाद्य निगम के मानक के अनुसार धान की रिकवरी करीब 52-55 प्रतिशत तक आती है। खंडा आदि लेकर यह करीब 58 से 60 फीसदी पहुंच जाती है। बावजूद इसके प्रदेश सरकार मिलरों से 67 प्रतिशत धान की रिकवरी करती है। इस हिसाब से मिलर को हर साल 12 प्रतिशत का नुकसान हो रहा है।"

कठिन नियम और शर्तों के कारण एमएसपी का लाभ नहीं उठा पा रहे किसान

उमेश कहते हैं कि अब जब सरकार रिकवरी का प्रतिशत घटाएगी तभी हम धान खरीद और कुटाई में सहयोग कर पाएंगे। कुटाई की कीमत बीस वर्ष से दस रुपए प्रति कुंतल ही है। इसमें इस बार बीस रुपए प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि भी सरकार ने जोड़ी है, मगर कुटाई की यह कीमत फिर भी कम है, यह कम से कम 150 रुपए होना चाहिए। जब तक हमारी यह मांगे नहीं मानी जाएंगी, हमारा विरोध जारी रहेगा और 20 तारीख को हम लखनऊ में हड़ताल भी करेंगे।"

आढ़तियों को बेचना मजबूरी

जिला बहराइच के विकासखंड शिवपुर के किसान रमाकांत वर्मा कहते हैं "हमारे यहां अभी तक कोई कांटा नहीं लगा हुआ है ना आज तक किसी भी किसान का धान खरीदा गया है। मैं तो एक नवंबर से ही क्रय केंदों के खुलने का इंतजार कर रहा था लेकिन खुला ही नहीं। ऐसे में अगली फसल के लिए पैसों की जरूरत थी, इसलिए मैंने आढ़तियों को धान बेच दिया।"

लखनऊ के बख्शी तालाब गल्ला मंडी के बिचौलिया रामनरेश यादव कहते हैं "हम 1400 रुपए प्रति कुंतल से ज्यादा धान खरीदते ही नहीं। किसान हमारे पास इसलिए आते हैं क्योंकि हम धान बस एक बार देख लेते हैं जबकि सरकारी केंद्रों पर कई बाद जांच के बाद उसे खरीदने से इनकार कर दिया जाता है।" इस बार विभिन्न श्रेणी के धान के समर्थन मूल्य के तहत कॉमन धान 1750 रुपए प्रति कुंतल तथा ग्रेड-ए के धान का मूल्य 1770 रुपए प्रति कुंतल निर्धारित किया गया है।

खरीद एजेंसी पीसीएफ के मंडल प्रबंधक वैभव कुमार कहते हैं "20 नवंबर के बाद ही क्रय केंद्रों पर धान की आवक शुरू होती है। कुछ किसानों ने फोन कर धान खरीद न होने की शिकायत की है। शासन स्तर पर हड़ताल पर गए कर्मचारियों की यूनियनों के प्रतिनिधियों से वार्ता चल रही है। उम्मीद है कि जल्द ही खरीद की प्रक्रिया सामान्य हो जाएगी।"



13 नवंबर तक यह रही स्थिति

13 नवंबर तक के मिले सरकार आंकड़ों के अनुसार अमेठी में मात्र एक क्रय केंद्र पर 50 कुंतल, बहराइच में 300 कुंतल, लखीमपुर खीरी में 21 हजार मीट्रिक टन धान की खरीद हुई। बलरामपुर में लक्ष्य के हिसाब से 2.91 फीसदी खरीद हुई तो वहीं श्रावस्ती में एक केंद्र पर ही धान खरीद हुई। वहीं लखनऊ, गोंडा, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, बाराबंकी, सुल्तानपुर, रायबरेली और हरदोई में खाता ही नहीं खुला।

प्रदेश में बनाए गए 638 क्रय केंद्र

लखीमपुर

97

लखनऊ

14

सीतापुर

65

रायबरेली

63

अमेठी

41

फैजाबाद

32

अंबेडकरनगर

55

सुल्तानपुर

28

बाराबंकी

42

गोंडा

52


बलरामपुर

15

बहराइच

63

श्रावस्ती

26



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