पुरवइया हवा चलने पर फसलों में बढ़ जाता है सुंडी का प्रकोप, ऐसे करें बचाव
Divendra Singh 12 April 2018 3:51 PM GMT

सुंडी कीट खासतौर पर अरहर, मेंथा, मूंगफली जैसी फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। मूंगफली की पूरी पत्तियां खा जाता है और टमाटर के फलों में छेदकर देता है। ये एक ऐसा कीट है जो पत्ती, तना और फल को नुकसान पहुंचाता है।
इस समय पुरवइया हवा चल रही है, जिससे किसानों को सचेत होने की जरूरत है, क्योंकि पुरवाई हवा चलने से इस समय कई फसलों में सुंडी कीट लगने का खतरा बढ़ जाता है।
सीतापुर ज़िले के कसमंडा ब्लॉक के बस्तीपुर गाँव के किसान कमलेश कुमार वर्मा ने दो बीघा में टमाटर की फसल लगाई है, लेकिन जब से पुरवाई हवा चलनी शुरू हुई, सुंडी कीट का प्रकोप तेजी से बढ़ गया है, जिससे उनकी तीस-चालीस फीसदी फसल बर्बाद हो गई।
कृषि विज्ञान केन्द्र, कटिया के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव बताते हैं, "पुरवइया हवा इस कीट की वृद्धि के लिए सही होती है, इसके चलने से सुंडी तेजी से वृद्धि करते हैं। ये कीट खासतौर पर अरहर, मेंथा, मूंगफली जैसी फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। मूंगफली की पूरी पत्तियां खा जाता है और टमाटर के फलों में छेदकर देता है। ये एक ऐसा कीट है जो पत्ती, तना और फल को नुकसान पहुंचाता है।"
देश में 169.478 मिलियन मीट्रिक टन सब्जी का उत्पादन करता है, जिसमें से 30 प्रतिशत कीट और सूक्ष्मजीवी रोगों के कारण नष्ट हो जाती है। वाह्य रोगजनकों की रोकथाम के लिये संगरोध उपायों का कड़ाई से अनुसरण किया जाना चाहिए।
इससे बचाव के लिए कई उपचार हैं, डॉ. दया इसके बारे में बताते हैं, "सबसे पहले किसान को अपने खेत की निगरानी करनी चाहिए, सुबह-शाम कम से कम दस मिनट तक खेत का निरीक्षण करें, ये पत्तियों के रंग के ही होते हैं अगर हरी पत्ती है तो हरी सुंडी होगी, अगर काले रंग की होगी तो सुंडी भी उसी रंग की होगी।"
अगर खेत में प्रति स्क्वायर मीटर दो से अधिक सुंडी दिखायी दे तो समझिए की ज्यादा प्रकोप है। किसान को चाहिए कि खेत में टहलकर किसी डलिया में इनको इकट्ठा करते चले और फिर इन्हें खेत से बाहर किसी गड्ढे में दबा दे।
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लगा सकते हैं फेरोमॉन ट्रैप
किसान फेरोमॉन ट्रैप भी लगा सकते हैं, जिससे कीट उसमें फंस कर मर जाएंगे। फिर भी कम न हों जैविक उपचार में नीम का तेल एक मिली. प्रति लीटर पानी में मिलकार छिड़काव करें, अगर ज्यादा प्रकोप दिखे तब इन्डोक्साकार्ब का एक मिली. एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। छिड़काव करते समय ये ध्यान रखना चाहिए कि हवा न चल रही हो इसलिए सुबह या फिर शाम को पांच बजे से सात बजे के बीच में छिड़काव करें। छिड़काव करते समय मुंह पर मास्क जरूर लगा लें।
डॉ. दया आगे बताते हैं, “फसल में जब कीटों की सघनता बढ़ जाए तभी कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए। किसानों को चाहिए कि खेत के आसपास खरपतवार न उगने दें और एक ही फसल बार-बार नहीं लगानी चाहिए।” स्टिकी ट्रैप कई तरह की रंगीन शीट होती हैं जो फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए खेत में लगाई जाती है। इससे फसलों पर आक्रमणकारी कीटों से रक्षा हो जाती है और खेत में किस प्रकार के कीटों का प्रकोप चल रहा है इसका सर्वे भी हो जाता है।
किसान इससे बचाव के लिए अपने खेत में टी आकार के लकड़ी के एंटीना भी लगा सकते हैं, जिसपर बैठने वाले कीट इन सुंडियों को खाकर फसल को नुकसान से बचाते हैं।
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