जीरो टिलेज सीड ड्रिल से गेहूं की बुवाई, जुताई के महंगे खर्च में आएगी कमी, मिलेगा ज्यादा उत्पादन

अगर किन्हीं कारणों से आपका गेहूं का खेत तैयार नहीं हो पाया है तो बिना जुताई के भी गेहूं बुवाई करा सकते हैं। जीरो टिलेज सीड ड्रिल मशीन के कई फायदे हैं।

Divendra SinghDivendra Singh   11 Nov 2021 1:30 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
जीरो टिलेज सीड ड्रिल से गेहूं की बुवाई, जुताई के महंगे खर्च में आएगी कमी, मिलेगा ज्यादा उत्पादन

इस समय गेहूं की बुवाई का समय चल रहा है, बुवाई के लिए किसान कई बार खेत की जुताई करते है, जिससे खेती की लागत बढ़ जाती है। ऐसे में किसान खेत की महंगी जुताई में होने वाले खर्च को बचा सकते हैं और इसके साथ ही उत्पादन भी ज्यादा होगा।


किसानों को अब तेज बारिश और तूफान आने पर परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्यों कि अब उनकी फ़सल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और वो गिरेंगी नहीं। साथ ही किसान खेत की मंहगी जुताई में होने वाले खर्च को बचा सकते हैं और इसके साथ ही उत्पादन भी ज्यादा होगा।

ये भी पढ़ें : इस विधि से गेहूं की बुवाई करने से, कम लागत में मिलेगा अधिक उत्पादन

मध्य प्रदेश के मुरैना जि़ले के कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. यादवेन्द्र प्रताप सिंह नई तकनीक से गेहूं कि फ़सल बुवाई को लेकर किसानों को प्रेरित कर रहे हैं। इससे गेहूं कि फ़सल तेज़ आंधी तूफान में भी नहीं गिरती है। उन्होंने फसल बोने के लिए जीरो टिलेज सीड ड्रिल तकनीक का प्रयोग रबी की फसल में किया है।

अभी तक धान कि खेती में इस तकनीक का प्रयोग होता है। इसमें जीरो टिलेज सीड मशीन के जरिए बिना जुताई के खेत में सीधे फसल के बीज और खाद एक साथ बो सकते हैं। लेकिन अब इस तकनीक से गेहूं की बुवाई भी कर सकते हैं।

मुरैना कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. यादवेन्द्र प्रताप सिंह इस तकनीक के बारे में बताते हैं, ''आमतौर पर किसान कल्टीवेटर से जुताई करता है, क्योंकि शुरू से यही चला आ रहा है। पहले लोग खरपतवार खत्म करने के लिए गहरी जुताई करते थे। साथ ही पहले सिंचाई के साधन भी सीमित थे, इसलिए खेत में नमी बरकरार रखने के लिए किसान खेत की जुताई करते हैं। अब किसानों के पास खरपतवार हटाने के लिए दवाएं आ गयी हैं साथ ही सिंचाई के भी उचित संसाधन है।''

ये भी पढ़ें : गेहूं की खेती: इस तारीख से पहले न करें बुवाई, 40 किलो एकड़ से ज्यादा न डालें बीज, वैज्ञानिकों ने किसानों को दिए ज्यादा पैदावार के टिप्स


वो आगे बताते हैं, ''अगर खेत में खरपतवार नहीं है तो जीरो टिलेज सीड मशीन से सीधी बुवाई कर सकते हैं। इसमें फसल काटने के बाद सीधे बुवाई कर सकते हैं। मशीन में खाद और बीज साथ में डालना होता है, वो उतनी जगह में खोदती है, जितनी जगह में बीज बोना होता है, क्योकि जुताई से खेत की ऊपरी सतह की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है, जिससे फसल तेज हवा और पानी से गिर जाती है। वहीं इस तकनीक से बोई गयी फसल कम गिरती है।''


फसल काटने के बाद सीधे मशीन से बुवाई कर सकते हैं। इस बारे में डॉ. यादवेन्द्र प्रताप सिंह कहते हैं, ''खेत जुताई में ही किसान के हजारों रुपये खर्च हो जाते हैं, लेकिन इस विधि से किसान खर्च बचा सकता है।''

ये भी पढ़ें : असिंचित क्षेत्र में भी बेहतर उत्पादन देती है ये फसल, छुट्टा जानवर व नीलगाय भी नहीं पहुंचाते हैं नुकसान

जीरो टिलेज सीड मशीन में कम चौड़े हल लगे होते हैं। मशीन के एक भाग में बीज और दूसरे भाग में खाद होती है, जो नीचे हल तक पहुंचते हैं। करीब दो से तीन इंच की चौड़ाई में मशीन जमीन को खोदती है और उसमें बीज बो दिया जाता है। मशीन से बिना जुताई किए बुवाई होती है। यह मशीन कृषि यंत्र विक्रय केन्द्रों पर मिल जाती है। मशीन को किराए पर भी लिया जा सकता है।

जीरो टिलेज सीड मशीन से बुवाई से होने वाले फायदे

सामान्य खेती में गेहूं और बाजरे में सामान्य खेती करते समय किसानों को कम से कम चार से छह जुताई करनी होती हैं। प्रति हेक्टेयर इसका खर्चा चार से पांच हजार रुपए आता है। प्रयोग में जीरो टिलेज सीड ड्रिल मशीन से प्रति हेक्टेयर करीब एक से डेढ़ हजार में जुताई हो जाती है। सामान्य खेती में गेहूं की फसल में पूरे सीजन में करीब 35 सेमी पानी दिया जाता है। जबकि इस प्रयोग के बाद खेत में सामान्य खेती की तुलना में तीन से चार सेमी कम पानी ही दिया गया। खेती में औसतन एक हेक्टेयर में 50 कुंतल तक गेहूं का उत्पादन होता है। इसमें गेहूं का उत्पादन करीब दस प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इस प्रायोगिक खेती में फसल के डंठल, जड़ आदि खेत में ही सड़कर उर्वरक बन जाते हैं, जिससे उत्पादन क्षमता बढ़ती है।

ये भी पढ़ें : गेहूं चना और सरसों की एक साथ बुवाई का ये है सही समय, किसान कम लागत में ले सकते हैं अच्छी उपज

खेती में जुताई के बाद मिट्टी भुरभुरी हो जाती है, जिससे हवा चलने पर गेहूं खेत में बिछ जाता है। प्रयोग के मुताबिक बुवाई मशीन से करने पर मिट्टी की पकड़ कमजोर नहीं होती और पानी भरने के बाद हवा चलने पर पौधा उतनी जल्दी नहीं गिरता।

ये भी देखिए : देखिए गेहूं बुवाई से पहले कैसे करें बीजोपचार, होगी ज्यादा पैदावार, कम लगेंगे रोग



#wheat sowing #गेहूं की बुवाई #wheat crop #story 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.