मध्य प्रदेश: छात्रों ने स्कूल की लैब में फिटकरी से बनाई गणेश प्रतिमा, कहा- अशुद्ध नहीं होगा पानी

Sachin Tulsa tripathi | Sep 20, 2021, 03:09 IST
अब तक आपने मिट्टी और पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) से बनी भगवान गणेश और मां दुर्गा की प्रतिमाएं देखी होंगी लेकिन सतना के सरकारी स्कूल के छात्रों ने विद्यालय की प्रयोगशाला में फिटकरी से गणेश प्रतिमा बनाई है। जिसकी चर्चा भी हो रही है।
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सतना (मध्य प्रदेश)। गणपति समेत तमाम देवी-देवताओं की मूर्ति विसर्जन को लेकर हमेशा से पर्यावरण प्रेमियों की चिंता रही है। क्योंकि पीओपी आदि से बनी मूर्तियां में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक रंग समेत कई चीजें पानी को दूषित करती हैं। पिछले कुछ वर्षों में इको फ्रेंडली प्रतिमाओं का चलन बढ़ा है। लेकिन एमपी के एक स्कूल में छात्रों फिटकरी से गणेश प्रतिमा बनाई है जो पानी दूषित नहीं बल्कि शुद्धता बढ़ाने में ही मदद करेगी।

भोपाल से तकरीबन 440 किलोमीटर दूर स्थित सतना जिला मुख्यालय में संचालित शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय वेंकट क्रमांक एक में पढ़ने वाले कक्षा बारहवीं के विद्यार्थियों ने रसायन शास्त्र (केमेस्ट्री) की प्रयोगशाला (लैब) में फिटकरी से भगवान गणेश की प्रतिमा तैयार की है। फिटकरी से बनी यह प्रतिमा पानी में आसानी से घुल सकती है और पानी को शुध्द रखने में सक्षम है।

गणेश प्रतिमा बनाने वाली टीम के हिस्सा रौशन जैन (17 वर्ष) 'गाँव कनेक्शन' को बताते हैं, "फिटकरी से गणेश भगवान की प्रतिमा बनाने का विचार कुछ दिनों पहले आया था। एक दिन केमेस्ट्री की क्लास में हमारे शिक्षक डॉक्टर रामानुज पाठक फिटकरी के बारे में पढ़ा रहे थे। फायदे जानने के बाद प्रश्न उठा कि क्या फिटकरी से गणेश प्रतिमा बना सकते हैं? इस पर पाठक सर ने प्रयोगशाला में प्रतिमा बनाने का कांसेप्ट बताया। जिसका परिणाम आपके सामने है।"

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फिटकरी से गणेश प्रतिमा बनाने वाली टीम। फोटो- सचिन तुलसा त्रिपाठी फिटकरी से पानी की सेहत भी न होगी खराब

गणेश प्रतिमा फिटकरी से ही क्यों बनाई जाय? यह प्रश्न भी उठा। इसका जवाब देते हुए इनोवेशन ग्रुप की छात्रा नयनश्री मिश्रा (17 वर्ष) कहती हैं, "मिट्टी की मूर्तियों को नदी या तालाब के पानी में विसर्जित करना उतना हानिकारक नहीं है जितना कि पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) से नुकसान होता है। पीओपी पानी में वर्षों तक नहीं घुलता जिससे पानी के तत्व भी नष्ट होते लगते हैं। खास कर पानी में पाए जाने वाले जीवों को ज्यादा नुकसान होता है। यही कारण था कि फिटकरी से गणेश प्रतिमा बनाने का विचार आया। फिटकरी पानी में आसानी से घुल जाती है और कोई नुकसान भी नहीं करती।"

ऐसे फिटकरी से बनेगी मूर्ति

फिटकरी से गणेश प्रतिमा बनाने की विधि में पहले तो मूर्ति जिस आकर की बनानी है उस तरह का साँचा बनाया गया। इस सांचे पर पिघली और गर्म फिटकरी डाली गई। इस तरह से साँचा तैयार किया।

12 वीं विज्ञान के विद्यार्थी आर्यन कुशवाहा (17 वर्ष) बताते हैं, "गणेश प्रतिमा बनाने के लिए जरूरी है कि उसका आकार कैसा रहेगा। इसके लिए बाजार में प्लास्टिक की मूर्ति उपलब्ध हैं और मिट्टी भी उपलब्ध है। आटे से भी साँचा तैयार किया जा सकता है। मिट्टी खेतों से लाई गई इसमें देखा गया कि कंकड़ और पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े न हों इसके बाद कड़े तरीके से गूंथ कर बाजार से लाई गई प्लास्टिक के प्रतिमा में बराबर चिपका देते हैं। कुछ देर में इसकी छाप मिट्टी में उभर आती है। फिर इसमें पिघली हुई फिटकरी डाल देते है। इस तरह से प्रतिमा तैयार हो जाती है। ऐसा ही आटे का साँचा बनाने में किया जाता है।"

बनाने के लिए सावधानियां भी जरूरी

फिटकरी एक रासायनिक पदार्थ है। इसलिए कुछ सावधानियां भी जरूरी हैं। जैसे की कितने तापमान पर गर्म किया जाय? साँचे में ढालने के बाद कितने समय में ठण्डा किया जाय? इस पर विद्यार्थी राकेश रैकवार बताते हैं, "फिटकरी को न कम गर्म किया जा सकता और न ही ज्यादा। ज्यादा गर्म कर देंगे तो वह जल जाएगी और मूर्ति जल्द ही खराब हो जाएगी। पाठक सर ने हमारी टीम को बताया था कि फिटकरी को 92 डिग्री सेंटिग्रेट पर ही गर्म करना है।"

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लैब से लैंड के लिए चाहिए सरकार का सहयोग-शिक्षक

रसायन शास्त्र के शिक्षक डॉक्टर रामानुज पाठक ने बताया, "एक दिन क्लास में फिटकरी के बारे में पढ़ रहा था तो विद्यार्थियों की जिज्ञासा हुई की फिटकरी से गणेश मूर्ति बनाते हैं। इसके बाद ही यह काम हुआ। फिटकरी की प्रकृति से ही जल शोधक है। इसलिए पानी की अशुद्धियां दूर करने में सहायक है। हम चाहते हैं कि शासन और प्रशासन सहयोग करे तो यह लैब से लैंड (जमीन पर) तक भी पहुंच सकता है।"

पर्यावरण को लेकर भारत में पिछले कुछ वर्षों में लोगों का नजरिया बदला है। लेकिन आज भी बड़े पैमाने पर जाने-अनजाने प्रकृति और खासकर पानी से खिलवाड़ हो रहा है। देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को शहरों में नदियों के बजाए मिट्टी में विर्सजित की परंपरा बढ़ रहा है।

सतना में प्रदूषण विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी केपी सोनी ने गांव कनेक्शन को टेलीफोन पर बताया, "पीओपी से बन रही देवी देवताओं की प्रतिमा के विसर्जन से जल प्रदूषित हो जाता है। इसलिए विभागीय सलाह देता है कि गड्ढा बनाकर विसर्जित करें। विसर्जन के बाद जब पानी के नमूने लिए जाते हैं तो इसमें हैवी मेटल (भारी तत्व) मिले हैं। ऐसा हर बार होता है। इस बार भी अपील है कि गड्ढा बनाकर ही प्रतिमा विसर्जित की जायं।"

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