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खेती और पशुपालन एक साथ होने से ही बढ़ सकती है किसान की आमदनी : गिरिराज सिंह

गाँव कनेक्शन | Jan 19, 2018, 15:01 IST
animal husbandry
नई दिल्ली। “किसानों की आमदनी तब तक नहीं बढ़ सकती, जब तक खेती और पशुधन एक साथ न हों। अगर आजादी के बाद इस पर काम किया जाता तो किसान और देश की ये हालत न होती।” केंद्रीय लघु एंव सूक्ष्म उद्योग मंत्री गिरिराज सिंह ने पशुपालन को आदमनी का जरिया बताते हुए कहा।

केंद्रीय मंत्री नई दिल्ली में पशु स्वास्थ्य और दीर्घकालीन खेती को लेकर काम करने वाली वाली डाबर ग्रुप की कंपनी आयुर्वेट के 25 वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे। अपने खुद के अनुभव साझा करते हुए गिरिराज सिंह ने कहा, "हमने 60 के दशक में ग्रीन रेव्युलूशन (हरित क्रांति) की चर्चा तो की और ऐसा ग्रीन रेव्युलूशन आया जो आज मुझे अस्पतालों में ले जा करके रख दिया है, जिसमें पंजाब सबसे आगे रहा। देश उस वक्त तरक्की कर रहा था, लेकिन उस वक्त एक भूल हो गई, हम पशुओं को भूल गए।“ आगे कहा, “अगर उस वक्त खेती के साथ पशुधन को जोड़ा जाता तो शायद ये दुर्दशा नहीं होती। किसान और ग्रामीण पशुओं को भूल गए इसलिए गाँव छोड़ते और खुदकुशी करते चले गए।"

देश उस वक्त तरक्की कर रहा था, लेकिन उस वक्त एक भूल हो गई, हम पशुओं को भूल गए। अगर उस वक्त खेती के साथ पशुधन को जोड़ा जाता तो शायद ये दुर्दशा नहीं होती। किसान और ग्रामीण पशुओं को भूल गए इसलिए गाँव छोड़ते और खुदकुशी करते चले गए।
गिरिराज सिंह, केंद्रीय लघु एंव सूक्ष्म उद्योग मंत्री

संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने पशुधन पर दिया जोर

बैल को खेत से हटा दिया गया

आजादी के समय पशुओं की संख्या ज्यादा थी और आज हमारी आबादी सवा अरब हो गई है, लेकिन पशुओं की संख्या घटकर एक चौथाई रह गई। मंत्री सिंह ने अपने खुद के अनुभव साझा करते हुए कहा, “कृषि के विज्ञान के रूप में हम आगे बढ़े, लेकिन हम पशुओं को छोड़कर चले। मैं मशीनीकरण का विरोधी नहीं हूं। दुनिया आज मुट्ठी में है, ग्लोबलाइजेशन का जमाना है। उस वक्त हालात के मुताबिक बैल को खेत से हटा दिया, खेती से पशुओं को हटा दिया। अगर उस समय को तकनीकि को अपने अनुसार ढाले होते तो ये हालात नहीं होते। हमें यहां भी अपने अनुभव से सीखऩे की जरुरत थी।“

जो ट्रैक्टर चलता है, वो खाता क्या है ?

गिरिराज सिंह ने कहा हैं, "अभी जो ट्रैक्टर चलता है, वो खाता क्या है। वो डीजल खाता है, जो डॉलर में आता है और छोड़ता है कार्बनडाइ ऑक्साइड। एक तरफ मेरा पैसा खा रहा है, दूसरी तरफ वातावरण को प्रदूषित करता है। जबकि हमारी पुरानी रीतियों में था मेरे बैल, मेरी गाय। पशु खेत में काम करते थे, उनका गोबर खाद का काम करता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ इसलिए पलायन बढ़ा।



महिलाओं को गाँव में ही मिलता था रोजगार



केंद्रीय लघु एंव सूक्ष्म उद्योग मंत्री गिरिराज सिंह। "पहले 33 प्रतिशत महिलाओं को रोजगार खेत से मिलता था, आज यह आंकड़ा 25 प्रतिशत है। गाँव की वृद्धि 12 प्रतिशत पर आ गई। ये दुष्परिणाम हुआ अव्यवस्थित टेक्नोलॉजी का।" गिरिराज सिंह ने कहा। संबोधन के आखिर में उन्होंने कहा, "देश उठेगा तब जब किसान उठेगा और किसान उठेगा तब जब खेत उठेगा और खेत उठेगा तब जब लागत लगेगी और लागत लगेगी तब जब उपज का मूल्य ऊपर जाएगा और लागत का मूल्य नीचे जाएगा। खेत से पैदा होगा कच्चा माल, कच्चे माल से लगेंगे उघोग धंधे। उधोग धंधे से मिलेगा रोजगार। रोजगार से बढ़ेगी मांग। मांग से मिलेगा उचित दाम। दाम से होगा पूंजी का निर्माण। और पैसा जाएगा फिर खेत की ओर। यही भारत की असली अर्थनीति होगी।" इस दौरान गिरिराज सिंह ने पशुधन के क्षेत्र में काम करने के लिए आयुर्वेट के काम की सराहना की।



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