देश में दूध उत्पादन ज्यादा, लेकिन किसान परेशान

Diti Bajpai | Jun 01, 2018, 06:27 IST
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लखनऊ। पिछले 15 वर्षों से भारत विश्व का सर्वाधिक दूध उत्पादन करने वाला देश बना हुआ है। लेकिन इस व्यवसाय से जुड़े किसानों के लिए प्रोसेसिंग संयंत्रों की कमी, दूध के सही दाम न मिल पाना और पशुचिकित्सकों की कमी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।

"पिछले पांच वर्षों से दूध के रेट नहीं बढ़े। एक पशु पर रोजाना 250 रूपए तक का खर्चा आता है लेकिन इसका आधा भी रेट नहीं मिलता है। जो किसान प्रोसेसिंग नहीं कर पा रहे है वो रेट के लिए भटकते रहते है।" ऐसा बताते हैं डेयरी संचालक सुधीर कुमार। बाराबंकी जिले के सतरिख ब्लॅाक के कमपुर गाँव में पिछले चार वर्षों से सुधीर कुमार डेयरी चला रहे है। इनकी डेयरी में 94 गाय हैं, जिनसे रोजाना 460 लीटर दूध का उत्पादन होता है। सुधीर ने डेयरी में प्रोसेसिंग यूनिट लगा रखी है, जिससे प्रोसेसिंग करके 55 रूपए में दूध बेचते है।

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एक कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा, "विगत 3 वर्षों मे दुग्ध उत्पादन 137.7 मिलियन टन से बढ़कर 165.4 मिलियन टन हो गया है। वर्ष 2014 से 2017 के बीच वृद्धि 20 % से भी अधिक रही है।" पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग, कृषि मंत्रालय के जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता में 15.6% की बढ़त हुई, जिससे ये दर 2013-14 में 307 ग्राम से बढ़ कर 2016-17 में 355 ग्राम हो गयी।

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"सरकार आकंड़ों पर दिखाती है कि कितना दूध उत्पादन हो रहा है लेकिन इसमें कितना मिलावटी दूध है इस बात की चर्चा नहीं करती है। बाजार में दिनों-दिन मिलावटी दूध बढ़ रहा है। जो स्वास्थ्य पर तो असर डालते ही है साथ ही इससे हम किसानों का भी नुकसान होता है। सरकार को भारतीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम सख्ती के साथ लागू करके मिलावटी दूध को बंद करना चाहिए।" अंशुल सिंह ने बताया। शाहजहांपुर जिले कांट ब्लॉक में अंशुल की डेयरी हैं, जिसमें करीब 50 पशु (गाय-भैंस) है। अंशुल आगे बताते हैं, "सभी जगहों पर दूध के दामों से किसान परेशान है। जो किसान खुद से प्रोसेसिंग करके बेच रहा है उसी को सही रेट मिल रहे है।"

भारत में अभी सालाना 16 करोड़ (वर्ष 2015-16) लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। इसमें 51 प्रतिशत उत्पादन भैंसों से 20 प्रतिशत देशी प्रजाति की गायों से और 25 प्रतिशत विदेशी प्रजाति की गायों से आता है। देश के इस डेयरी व्यवसाय से छह करोड़ किसान अपनी जीविका कमाते हैं।

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बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के निदेशक डॉ राजकुमार सिंह ने बताया, "दूध के क्षेत्र मे प्रोसेसिंग संयंत्रों की बहुत कमी है। दूध को सही सलामत रखने के लिये ठंडा तापमान एवं प्रोसेसिंग आवश्यक होता है। गाँव में छोटे-छोटे प्रोससिंग प्लांट लगने चाहिए और कलेक्शन सेंटर होने चाहिए, जिससे किसानों को भी दूध के अच्छे दाम मिल सकेंगे।"

"अभी गुजरात में कॉपरेटिव अच्छे तरह से काम कर रही है, जिससे किसानों को लाभ भी मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में अभी इस क्षेत्र में बहुत ज्यादा काम करने की जरूरत है। हमारे संस्थान द्वारा उपकरण और तकनीक इजात की जा रही है, जिससे किसानों को लाभ मिल सके।" डॉ सिंह ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया, "सही समय पर पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान न होने से किसानों को बहुत नुकसान होता है इसके लिए क्रिसस्टोप यंत्र तैयार किया है, जिससे सही समय पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान किया जा सकेगा।"

भारत मे उपलब्ध दुधारू पशुओं का औसत दूध उत्पादन बेहद कम है। पशुपालन योजनाओं का लाभ सीधे किसानों के घर तक पहुँचे, इसके लिए सरकार द्वारा एक नई योजना ''नेशनल मिशन आन बोवाइन प्रोडक्टीविटी'' अर्थात् ''गौपशु उत्पादकता राष्ट्रीय मिशन'' को शुरू किया गया है। इस योजना में ब्रीडिंग इन्पुट के द्वारा मवेशियों और भैंसों की संख्या बढ़ाने हेतु आनुवांशिक अपग्रेडेशन के लिए सरकार द्वारा 825 करोड़ रूपये खर्च किए जा रहे हैं।

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