51 फीसदी लोगों के मुताबिक कोरोना चीन की साजिश, 18 फीसदी ने बताया सरकार की नाकामी: गांव कनेक्शन सर्वे

भारत समेत लगभग पूरी दुनिया पिछले 10 महीनों से कोरोना महामारी की चपेट में है। राहत की खबर इतनी है भारत में नए साल में वैक्सीन लगनी शुरु हो जाएगी, ऐसा सरकार दावा कर रही है। वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में कई संशय और सवाल भी हैं। पहले वैक्सीन किसे मिले? देसी वैक्सीन अच्छी है या विदेशी? वैक्सीन कितने रुपए की होनी चाहिए? देश के सबसे बड़े ग्रामीण मीडिया हाउस गांव कनेक्शन ने ग्रामीण भारत में सर्वे कर ऐसे तमाम सवालों को जानने की कोशिश की है।

Arvind ShuklaArvind Shukla   22 Dec 2020 8:14 AM GMT

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ग्रामीण भारत के आधे से अधिक लोगों (51फीसदी) के मुताबिक कोरोना चीन की साजिश है, तो 18 फीसदी लोग इसे सरकार की नाकामी बताते हैं। करीब 63 फीसदी लोगों के मुताबिक कोरोना बीमारी अभी आसपास है, 11 फीसदी लोगों के मुताबिक कोरोना को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया तो 9 फीसदी लोग इसे शहरों और 8 फीसदी लोग अमीरों की बीमारी मानते हैं। ये आंकड़े कोरोना वैक्सीन को लेकर ग्रामीण भारत में कराए गए गांव कनेक्शन के सर्वे में निकल कर सामने आए हैं।

देश के 16 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में 6000 से ज्यादा लोगों के बीच कराए गए सर्वे में सवाल किया गया कि कोरोना को लेकर वे क्या सोचते हैं? इसके जवाब में 51 फीसदी ने चीन की साजिश, 20 फीसदी ने एक्ट ऑफ गॉड (कुदरती कहर), 18 फीसदी ने इसे सरकार की नाकामी तो 22 फीसदी ने कहा कि ये आम नागरिकों की लापरवाही का नतीजा है, वहीं 16 फीसदी लोगों ने कहा कि वह कुछ कह नहीं सकते हैं। (नोट- इस सवाल के जवाब में लोगों ने एक से अधिक उत्तर भी चुने हैं।)

कोविड महामारी और कोरोना वैक्सीन को लेकर अपने तरह का यह अनूठा सर्वे देश से सबसे बड़े ग्रामीण मीडिया हाउस गांव कनेक्शन की सर्वे विंग "गांव कनेक्शन इनसाइट्स" के द्वारा 16 राज्यों और एक केंद्र शाषित प्रदेश के 60 जिलों के 6040 लोगों के बीच फेस टू फेस किया गया। एक दिसंबर से 10 दिसंबर के बीच हुए इस सर्वे में क्षेत्रों का चुनाव केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के द्वारा कोविड-19 के असर के आधार पर किया गया। सर्वे में मार्जिन ऑफ एरर की संभावना 5 फीसदी है। सर्वे में शामिल 41 फीसदी लोगों की मासिक आय 5 हजार से कम थी तो 37 फीसदी लोग 5000 से 10,000 के बीच कमाई करने वाले लोग थे। वहीं एक लाख से ज्यादा प्रति माह कमाई करने वालों का प्रतिशत .1 फीसदी (दशमलव एक फीसदी) था।

सर्वे में लोगों से कोरोना वैक्सीन की जररुत, उस पर भरोसा, कोरोना की गंभीरता, उनके आसपास के कोविड मरीज निकलने, उनके इलाज, खानपान, कोरोना से बचने के लिए आजमाए गए उनके उपायों पर सवाल किए है। इस सर्वे के सभी नतीजों को आप "द रूरल रिपोर्ट 3 : कोविड-19 वैक्सीन एंड रूरल इंडिया" नाम से जारी किया है, जिसे आप www.ruraldata.in पर पढ़ सकते हैं।

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21 दिसंबर, 2020 तक दुनियाभर में कोरोना के चलते कम से कम 1.7 मिलियन लोगों की मौत हुई है। भारत में इस दौरान एक लाख 46 हजार लोगों की मौत हुई है तो 9.98 मिलियन केस सामने आए हैं। कोरोना के चलते बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान हुआ है, पलायन हुआ है, लोगों की नौकरियां गई हैं, कई ऐसे सेक्टर हैं जो लॉकडाउन खुलने के कई महीने बाद अब तक उबर नहीं पाए हैं। बाजवूद इसके कोरोना को लेकर लोगों के मन में कई सवाल और भ्रातियां देखने को मिली हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक नॉवेल कोरोना वायरस (Covid-19) का पहला केस चीन में 8 दिसंबर 2019 को वुहान शहर में मिला था। हुबेई प्रांत के इस शहर से ही दुनियाभर में कोरोना वायरस फैला और 21 दिसंबर 2020 तक पूरी दुनिया में 1.7 मिलियन लोगों की मौत की वजह बना। जिनमें से 4634 लोग चीन से हैं जबकि भारत में एक लाख 46 हजार लोगों की अब तक मौत हो चुकी है।

साल 2020 की जनवरी-फरवरी से ही लोग कोरोना वायरस के प्रसार और उसके मरीजों की संख्या छिपाने तक के आरोप चीन परलगते रहे। सोशल मीडिया पर भारत ही नहीं कई देशों में इसे चीन की साजिश तक कहा गयाथा। हालांकि बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका केसेंटर्स फ़ॉर डीज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेन्शन (सीडीसी) के वैज्ञानिकों के मुताबिकये कोविड-19 बीमारी फैलाने वाले Sarc-CoV2 वायरस चीन से फैलना शुरु नहीं हुआ था।

सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि उन्हें क्या लगती है कोरोना वास्तविक बीमारी है या फिर अफवाह? तो 64 फीसदी ने इसे बीमारी बताया, 9 फीसदी ने अफवाह, 11 फीसदी के मुताबिक समस्या को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया, 8 फीसदी मानते हैं कि अमीर लोगों की बीमारी है जबकि 9 फीसदी के मुताबिक कोरोना शहर की बीमारी है। 19 फीसदी के मुताबिक यह एक घातक बीमारी है, जबकि 8.5 फीसदी लोग आज भी इसे मामूली सर्दी जुखाम मानते है। वहीं सर्वे के दौरान 4 फीसदी ऐसे लोग भी मिले, जिन्होंने कहा कि उन्हें को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।

सर्वे में लोगों से सवाल किया गया कि क्या उन्हें लगता है कि कोरोना वायरस अभी आसपास है? जवाब में सर्वे में शामिल 21 फीसदी ने कहा नहीं, जबकि 63 फीसदी ने कहा हां, 15 फीसदी ने कहा उन्हें पता नहीं जबकि 1.3 फीसदी ने इसे महज अफवाह बताया। सर्वे के मुताबिक ग्रामीण भारत के लगभग हर चौथे घर (25.9%) से किसी न किसी व्यक्ति का कोरोना टेस्ट किया गया। हालांकि ये प्रतिशत सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों ( सर्वे में शामिल राज्यों- महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश और अरुणाचंल प्रदेश) में लगभग हर तीसरे घर से 34.6% से किसी न किसी का टेस्ट हुआ तो कोरोना के मध्यम प्रभाव वाले राज्यों (असम, हरियाणा, पंजाब, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल) में 28.4 फीसदी घरों में किसी न किसी का कोरोना टेस्ट हुआ जबकि जिन राज्यों में कोरोना का प्रभाव कम था, जैसे बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात में महज 16.6 फीसदी घरों में कोरोना टेस्ट हुआ।

ये भी पढ़ें- गांव कनेक्शन सर्वे: हर चौथे ग्रामीण परिवार में हुआ किसी न किसी का कोविड-टेस्ट, 15 फीसदी मिले कोरोना पॉजिटिव


सर्वे में शामिल जिन घरों में किसी की कोरोना जांच हुई, (कुल 6044 के मुकाबले 1567) उनमें से 58.6 फीसदी लोगों ने कहा कि वो कोविड-19 पॉजिटिव हुए। यहां भी सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में 78.4 फीसदी घरों में कोई न कोई पॉजिटव था तो सबसे कम प्रभावित इलाकों में ये आंकड़ा घटकर 38.6 रह गया था। प्रभावित लोगों में से हर चार में से तीन यानि 72.2 फीसदी लोगों पूरी तरह स्वस्थ हो गए, 15.8 फीसदी कुछ हद तक ठीक हुए हैं, 8.1 फीसदी अभी उबरने की कोशिश में जबकि इनमें से 3.5 फीसदी लोगों की मौत हो गई।


कोरोना महामारी के दौरान लोगों ने सरकारी अस्पतालों और सिस्टम पर ज्यादा भरोसा किया। सर्वे के दौरान कोविड पॉजिटिव वाले घरों (919) के लोगों के मुताबिक पॉजिटिव पाए गए 73 % लोग सरकार के क्वारंटीन सेंटर गए जबकि 27 फीसदी ने घर पर आइसोलेशन (अलग-थलग) में रहे। जिन लोगों ने घर में रहकर खुद से अपना इलाज उनमें से 48 फीसदी ने एलोपैथिक दवाएं लीं, जबकि 29 फीसदी ने इम्युनिटी बूस्टर (च्वनप्राश, गिलोय, शहद आदि) का इस्तेमाल किया। 13 फीसदी ने घरेलू नुस्खों का उपयोग किया।


ग्रामीण भारत के लगभग आधे (46.5 फीसदी) लोगों ने कहा कि जो राजनैतिक पार्टी उन्हें फ्री में कोरोना वैक्सीन देगी वो उसे वोट करेंगे। 50 फीसदी लोगों को भारतीय कंपनियों की वैक्सीन पर ज्यादा भरोसा है तो 44 फीसदी लोग पैसे देकर (1000 रुपए में दो डोज) कोरोना वैक्सीन लगवाने को राजी हैं। आधे से ज्यादा (51.3 फीसदी) ग्रामीण मानते हैं कि कोरोना चीन की साजिश है। विस्तृत रिपोर्ट www.ruraldata.in पर पढ़ें।

     

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