किसान आंदोलन: ठंड, बुखार, आग और सड़क दुर्घटना से अब तक दर्जन भर से अधिक किसानों की हो चुकी है मौत
दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के लगभग 20 दिन हो चुके हैं। किसान और किसान संगठनों ने आंदोलन में भाग ले रहे हजारों किसानों के खाने, ठहरने और ठंड से बचने का प्रबंध तो किया है, लेकिन ठंड, बीमारी व अन्य कारणों की वजह से अब तक दर्जन भर किसानों की जान जा चुकी है।
गाँव कनेक्शन 14 Dec 2020 2:06 PM GMT

- राहुल यादव, शिवांगी सक्सेना
देश की राजधानी दिल्ली को अन्य पड़ोसी राज्यों से जोड़ने वाले बॉर्डर और हाइवे पर पिछले एक पखवाड़े से किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं। दिल्ली की दिसंबर के ठंड के बीच किसानों के लिए वहां दिन और रात गुजारना बहुत मुश्किल हो रहा है। इस दौरान लगभग 20 से अधिक किसानों की विभिन्न कारणों से मृत्यु हो चुकी है।
भले ही किसानों का जत्था 26 नवंबर को दिल्ली की तरफ कूच किया लेकिन पंजाब और हरियाणा के विभिन्न हिस्सों में किसानों का यह आंदोलन सितंबर महीने से ही चल रहा है। अब तक 20 से अधिक किसान इस पूरे आंदोलन में अपनी जान गवा चुके है। किसानों की मौत के अलग - अलग कारण रहे है मगर किसान यूनियनों का कहना है कि इन मौतों के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है, क्योंकि सरकार के ही 'काले कानूनों' के खिलाफ ही किसान जबरदस्त ठंड व कोरोना के प्रकोप के बीच आंदोलन करने को मजबूर हैं।
पंजाब राज्य किसान विंग के अध्यक्ष और कोटकपुरा के विधायक कुलतार सिंह संधवान ने कहा, "ठंड के कारण किसानों का कीमती जीवन ख़त्म हो गया, लेकिन घमंडी मोदी सरकार का अहंकार कम नहीं हो रहा है। सरकार किसानों का हाथ पकड़ने के लिए तैयार नहीं है।"
इस आंदोलन में किसानों की मौत का सिलसिला 18 सितंबर से ही शुरू हो गया था, जब मनसा जिले के 55 वर्षीय किसान प्रीतम सिंह ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के घर के बाहर कथित काले कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कीटनाशक पीकर अपनी जान दे दी थी। इसके बाद कई और किसानों की मौत ठंड, दिल का दौरा, सड़क दुर्घटना और अन्य मेडिकल कारणों से हुई।
कई किसानों की मौत पंजाब और हरियाणा से दिल्ली आने के दौरान स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण हुई। लखबीर सिंह (57 वर्ष) और मेवा सिंह (48 वर्ष) 26 नवंबर को पंजाब से टिकरी बॉर्डर पहुंचे थे। इन दोनों की मौत दिल का दौरा पड़ने के कारण हुई। लखबीर सिंह, अन्य किसानों के साथ, 26 नवंबर को विरोध स्थल पर पहुंचे थे और सितंबर के महीने में बादल गांव में हुए विरोध प्रदर्शन में भी शामिल थे।
खातरा गाँव, लुधियाना से आये गज्जन सिंह (55 ) ने 29 दिसंबर को टिकरी बॉर्डर पर अपना दम तोड़ दिया। हरदीप सिंह गियासपुरा, ब्लॉक अध्यक्ष बीकेयू (सिधुपुर ) का आरोप है कि हरियाणा सरकार द्वारा रास्ते में वाटर कैनन का उपयोग करने के दौरान बार-बार कपडे गीले होने से गज्जन सिंह बीमार पड़ गए थे। रविवार को गज्जन सिंह टॉयलेट में गिर पड़े जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। किसान नेताओं ने उनके शव का अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया व हरियाणा सरकार के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की।
#FarmerProtest दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर डेरा डाले किसान गंजन सिंह की बीती रात मौत हो गई। वो पंजाब के समराला के रहने वाले थे, किसानों के मुताबिक सर्दी लगने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ी और मौत हो गई। #Update #FarmersBill2020 #Punjab pic.twitter.com/z2N1T8LznP
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जनक राज (55 ) धनौला गांव, जिला बरनाला से टिकरी पहुंचे थे। गाडी में आग लगने के कारण वो अब इस दुनिया में नहीं रहे। सरदार गुर्जन सिंह की ही तरह जनक राज भी मैकेनिक थे और बॉर्डर पर ट्रैक्टर की मरम्मत किया करते थे।
27 नवंबर को दिल्ली के रास्ते भिवानी में सड़क दुर्घटना में धन्ना सिंह (45) चल बसे। उन्होंने इस आंदोलन में 40 से अधिक गांवों के किसानों को एकत्र किया था। हादसे में उनके साथ मौजूद दो अन्य किसान घायल हुआ।
मानसा जिले के खियाली चेहलान वली गांव के निवासी धन्ना सिंह (45) की उस समय मौत हो गई, जब वह एक ट्रैक्टर-ट्रॉली में सवार थे, तभी भिवानी ज़िले में एक ट्रक ने पीछे से उनकी ट्रॉली को टक्कर मारी। मौत की पुष्टि होने के बाद किसानों ने धरना प्रदर्शन भी किया, साथ ही सरकार से बीस लाख मुआवज़े की मांग की।
57 वर्षीय जनक राज कार में आग लगने से ज़िंदा जल गए। जनक राज किसानों के छः ट्रैक्टरों की मरम्मत के लिए दिल्ली-हरियाणा सीमा पर गए थे। काम ख़त्म होने के बाद वे गाडी में सो गए जिसने आग पकड़ ली। जनक राज पेशे से मेकेनिक थे और किसान आंदोलन में अपना समर्थन देने के लिए किसानों के ट्रैक्टरों की मरम्मत कर रहे थे। किसान यूनियन के नेता कृष्ण सिंह चानना ने कहा कि सरकार को जनक राज की मौत की भरपाई उसके परिजनों को 20 लाख रुपये और उसके बेटे को सरकारी नौकरी से करनी होगी। बलजिंदर सिंह की उम्र केवल 32 साल थी। प्रदर्शन स्थल से वापस लौटते समय कुरुक्षेत्र के पास कार हादसे में उनकी मृत्यु हो गयी। उन्ही की उम्र के अजय मोर ने ठंड के चलते टिकरी बॉर्डर पर दम तोड़ दिया।
दिल्ली हरियाणा के बहादुरगढ़ बॉर्डर पर कार में आग लगने से पंजाब के धनौला के रहने वाले किसान की मौत हो गई।
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इनपुट - राहुल यादव @Raahul_rewari हरियाणा #FarmersDilliChalo #Farmers #Haryana pic.twitter.com/qKIU0TQjUf
हाल मे हुए 'भारत बंद 'के आह्वान पर विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के दौरान काला झार टोल प्लाजा पर दिल का दौरा पड़ने से संगरूर जिले की 70 वर्षीय, गुरमेल कौर का निधन हो गया।
युवा भी सरकार के खिलाफ इस आंदोलन में भाग लेने से पीछे नहीं हटे। हरियाणा के सोनीपत के अजय मोरे सिंघू (32) सीमा पर 10 दिनों से साथी ग्रामीणों के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सोनीपत का कहना है कि अजय की मृत्यु हाइपोथर्मिया के चलते हुई है। शहीद बलजिंदर सिंह (32 ) और गुरप्रीत सिंह (32 ) ने जवान उम्र में अपनी जान की परवाह किये बिना आंदोलन का हिस्से बने।
मनसा जिले के गांव बछौना के रहने वाले गुरजंत सिंह (60) का दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन के दौरान निधन हो गया। वहीँ मोगा जिले के गांव भिंदर खुर्द के निवासी गुरबचन सिंह (80) का निधन दिल के दौरे से हुआ। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने दोनों किसानों की मौत पर दुख व्यक्त किया और दोनों किसानों के परिवारों को पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस (जर्मनी) ने भारत के उन किसानों के लिए 1 करोड़ रुपये का मुआवज़ा देने का एलान किया है जो अब तक देश में चल रहे किसान संघर्ष में जान गंवा रहे हैं। बीकेयू (एकता उगरहां ) के महासचिव सुखदेव सिंह ने प्रशासन से मृतकों के परिवार को मुआवजा देने की मांग की है।
दिल्ली हरियाणा के बहादुरगढ़ बॉर्डर पर कार में आग लगने से पंजाब के धनौला के रहने वाले किसान की मौत हो गई।
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हरियाणा में, स्वतंत्र विधायक बलराज कुंडू ने आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिवारों के लिए प्रत्येक को दो लाख की वित्तीय मदद की घोषणा की। वहीं बरोडा के विधायक इंदुराज नरवाल ने भी किसानों के लिए मुआवजे की घोषणा की है। उन्होंने सरकार से आंदोलन के दौरान अब तक शहीद हुए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे के रूप में 50 लाख रूपए और सरकारी नौकरी की मांग की है। हालांकि भारत सरकार की तरफ से मुआवज़े का कोई औपचारिक एलान नहीं किया गया है।
दिल का दौरा पड़ने से हुई किसानों की मौत-
गुरजंत सिंह (60), बिछौना, मानसा
गुरबचन सिंह (80), भिंदर खुर्द, पंजाब
लखबीर सिंह (57 ), पंजाब
मेवा सिंह (48 ), खोटे गाँव , पंजाब
जगराज सिंह (57 ), कादयान, पंजाब
मेघराज बावा (70 ), गोबिंदपुरा,संगरूर
लभ सिंह (65 ), संगरूर
कप्तान दिलबर हुसैन (69 ), रोपड़
हरबान सिंह (62 ), पटियाला
जोगिन्दर सिंह (54 ), तरन तारण
गुरमेल कौर (70), संगरूर
ठंड से मरने वाले किसान-
गज्जन सिंह (55 ), खातरा गाँव लुधियाना
गुरजंत सिंह, मानसा
अजय मोरे (32 ), सोनीपत
सड़क दुर्घटना में जान गवाने वाले किसान -
गुरप्रीत सिंह (32 ), गोपालपुर, लुधियाना
मुख्तियार सिंह (62 ), किशनगढ़, मानसा
वज़ीर सिंह (70 ), किशनगढ़, मानसा
धन्ना सिंह (45 ), मानसा
जनक राज (57 ), धनौला, बरनाला
बलजिंदर सिंह (32 ), झम्मात, लुधियाना
मृतक किसानों की याद में सिंघु बॉर्डर पर किया गया नाटक और दी गई श्रद्धांजलि (फोटो- शिवांगी सक्सेना)
बीते दिनों समराला (लुधियाना) से आई नाटक मंडली, अक्स रंगमंच ने सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन के दौरान इन किसानों को श्रद्धांजलि दी। मंडली के सभी सदस्यों ने किसानों को समर्पित नाटक, 'अन्नदाता' भी प्रस्तुत किया। इस नाटक में दिखाया गया कि कैसे एक किसान पूरे देश का पेट भरता है, हर मौसम में वो अपनी फसल का अपने बच्चों जैसा ध्यान रखता है लेकिन सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों ने किसान के हाथ काट दिए हैं और आज वो अपनी जान की बाज़ी लगाते हुए अपने हकों के लिए सड़क पर उतरने को मजबूर है। नाटक मंडली के अध्यक्ष राजविंदर समराला ने कहा कि उनका यह नाटक, 'अन्नदाता' किसानों के जज़्बे और संघर्ष को श्रद्धांजलि भेंट करता है।
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