यूपी: लॉकडाउन में तंगी झेल रहे परिवारों पर बढ़ा एक और आर्थिक बोझ, 40 आईटीआई कॉलेजों की फीस 50 गुना तक बढ़ी

निजीकरण होने के बाद आईटीआई कॉलेजों की वार्षिक फीस 480 रुपये से बढ़कर 18000 रुपये से अधिक हो जाएगी, जिसका भार सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों पर पड़ेगा, जो लॉकडाउन की वजह से पहले ही आर्थिक तंगी के हालात में हैं।

shivangi saxenashivangi saxena   20 Aug 2020 9:18 AM GMT

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यूपी: लॉकडाउन में तंगी झेल रहे परिवारों पर बढ़ा एक और आर्थिक बोझ, 40 आईटीआई कॉलेजों की फीस 50 गुना तक बढ़ीप्रतीकात्मक तस्वीर

- शिवांगी सक्सेना

उत्तर प्रदेश में अब 40 राजकीय औद्योगिक संस्थान (आईटीआई) निजीकरण की भेंट चढ़ गए हैं। यह निजीकरण दो चरणों में होगा। पहले चरण में 16 और दूसरे में 24 आईटीआई निजीकरण के हवाले किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश में निजी आईटीआई संस्थानों की संख्या सरकारी संस्थानों से 10 गुना अधिक है। इस फैसले के बाद यह संख्या और भी अधिक हो जाएगी।

इसी के साथ नए सत्र 2020 -21 में दाखिला लेने वाले छात्रों को 50 गुना तक ज़्यादा फीस देनी होगी। आईटीआई की मासिक फीस 40 रूपए है जो कि सालाना 480 रूपए पड़ती है। लेकिन निजीकरण के बाद छात्रों को सालाना 18 हज़ार रूपए जमा कराने पड़ेंगे। जबकि सरकारी पॉलीटेक्निक कॉलेज से साल भर का डिप्लोमा लेने के लिए भी सिर्फ 11 हजार रुपए फीस देनी पड़ती है। इस तरह से अब उत्तर प्रदेश में आईटीआई करना पॉलिटेक्निक कोर्स से भी महंगा हो जाएगा, जबकि तकनीकी स्तर पर आईटीआई एक स्तर नीचे का कोर्स है।

निजीकरण के बाद फीस बढ़ोतरी की मार सबसे आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग से आने वाले छात्रों पड़ पड़ेगी। गौरतलब है कि दसवीं और बारहवीं के बाद आईटीआई तकनीक शिक्षा ग्रहण करने का सबसे सस्ता कोर्स है। लॉकडाउन की मार झेल रहे गरीब और निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों को इससे झटका लगा है।

इस साल बारहवीं की परीक्षा पास करने वाले सिद्धार्थनगर जिले के बांसी निवासी अनुपम निषाद कहते हैं कि उन्होंने पड़ोसी जिले गोरखपुर में स्थित राजकीय आईटीआई कॉलेज से इलेक्ट्रिक ट्रेड में डिप्लोमा करने का सोचा था, लेकिन वह कॉलेज अब प्राइवेट हो रहा है, जिसकी फीस उनके पिता नहीं भर पाएंगे।

अनुपम ने बताया कि उनके पिता सूरत में रहकर मजदूरी करते थे लेकिन लॉकडाउन के दौरान वह घर चले आए। फिलहाल वह अपना पारिवारिक काम यानी मछली मारकर बाजार में बेचने का काम कर रहे हैं, जिससे किसी तरह घर का गुजारा चल रहा है। सावन और कोरोना महामारी के चलते लोग अभी मीट-मछली खाने से परहेज कर रहे हैं, इसलिए घर चलाने में दिक्कत और भी बढ़ गई है।

अनुपम की तरह ऐसे ही हजारों छात्र प्रदेश भर में हैं, जिन्हें सरकार के इस फैसले से नुकसान उठाना पड़ सकता है और वह अपनी पसंद का तकनीकी कोर्स नहीं कर सकते हैं।


'अत्याधुनिक मशीनों के जरिए नई तकनीक सीखने का मौका'

फीस बढ़ाने के तर्क पर जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि निजीकरण के बाद छात्रों को अत्याधुनिक मशीनों के जरिए नई तकनीक सीखने का मौका मिलेगा। आईटीआई के डिप्टी डायरेक्टर- ट्रेनिंग सुनील श्रीवास्तव ने कहा कि निजीकरण का फैसला प्रशिक्षण की गुणवत्ता को सुधारेगा। सभी संस्थाओं की सूची फाइनल हो गई है। अगले सत्र से प्रवेश शुरू होने की पूरी उम्मीद है।

देश में सबसे ज़्यादा आईटीआई यूपी में, पर निजी कॉलेजों की संख्या अधिक

उत्तरप्रदेश में सबसे अधिक 3302 आईटीआई हैं। इनमे से 307 राजकीय, 12 महिला व 2931 निजी आईटीआई हैं। प्रशिक्षण सत्र 2020 में प्रवेश हेतु 1,20,575 सीटें उपलब्ध हैं। वहीं निजी आईटीआई में 3,71,732 सीटें उपलब्ध हैं।

सरकार के 40 आईटीआई के निजीकरण के बाद निजी संस्थानों में सीटें बढ़ और राजकीय संस्थानों में कम हो जाएंगी। पहले चरण में- ताखा(इटावा), पैलानी (बांदा), पाली(ललितपुर), पटियाली(कासगंज), राजातालाब(वाराणसी), इकौना(श्रावस्ती), कसया(कुशीनगर), लालगंज(प्रतापगढ़), रानीगंज(प्रतापगढ़), कांठ(मुरादाबाद), लोनी(गाजियाबाद), जयसिंहपुर(सुलतानपुर), बांसडीह(बलिया), भटहट(गोरखपुर), जंगल कौड़िया(गोरखपुर), सौरांव(प्रयागराज) का निजीकरण किया जाएगा जबकि दूसरे चरण में शिवराजपुर (कानपुर), सदर (औरैया),बांगरमऊ (उन्नाव),सौरिख (कन्नौज), थानाभवन-2 (शामली), चीलवनियां (बस्ती), घोसी (मऊ), मिल्कीपुर (अयोध्या), मडियाहूं (जौनपुर), सादाबाद (हाथरस), मार्टिनगंज (आजमगढ़), सिरसागंज (फिरोजाबाद),तिलहर (शाहजहांपुर), इटवा-2 (सिद्धार्थनगर), सहजनवां (गोरखपुर), कोरांव (प्रयागराज), डालीगंज, फैजुल्लागंज (लखनऊ), बांकेगंज (लखीमपुर खीरी), शाहाबाद (हरदोई), किठौर (मेरठ), अफजलगढ़ (बिजनौर), सरौलीकदीम (सहारनपुर), तिलहर (शाहजहांपुर), रिछा (बरेली ) का निजीकरण किया जाना तय है।


"भारत में निजी आईटीआई बदतर स्थिति में "

वर्ष 2018 में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सचिव के.पी. कृष्णन ने कहा था कि भारत में निजी कौशल प्रशिक्षण केंद्र (private skill training centres) "बदतर" स्थिति में थे। उन्होंने कहा था, "भारत में लगभग 14,000 नेशनल काउंसिल ऑन वोकेशनल ट्रेनिंग (NCVT) एफिलिएटेड इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स (ITI) हैं, जिनमें से 84 फीसदी प्राइवेट सेक्टर के हैं। सरकारी संस्थानों की तुलना में भारत में निजी आईटीआई बदतर हैं, क्योंकि उनके पास गुणवत्ता वाले प्रयोगशालाओं और उपकरणों की कमी है।" उन्होंने सरकार से गंभीर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था क्योंकि इन प्रशिक्षण केंद्रों में सुधार के प्रयास बहुत सफल नहीं हुए हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार राजकीय औद्यौगिक प्रशिक्षण संस्थानों में गुणवत्ता सुधारने और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के बजाए इन आईटीआई के निजीकरण पर ज़ोर दे रही है। बता दें राजकीय व निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आइटीआई) में नए शैक्षिक सत्र में मेरिट के आधार पर दाखिला होगा। अलग-अलग ट्रेड में प्रवेश के लिए छात्र 23 अगस्त तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए सामान्य और पिछड़ा वर्ग को 250 रुपये और एससी, एसटी को 150 रुपये जमा का शुल्क जमा करना होगा।

(शिवांगी सक्सेना गांव कनेक्शन के साथ इंटर्नशिप कर रही हैं)

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