'उन अंकल की आज भी याद आती है तो सहम जाती हूं'

Shrinkhala Pandey | Mar 08, 2018, 16:56 IST
बस में बैठने की जगह नहीं थी इसलिए चाचा ने मुझे एक अंकल की गोद में बैठा दिया उन्होंने मुझे कई बार गलत तरीके से छुआ मैं डर के मारे चुपचाप बैठी रही। मैंने ये बात किसी को घर में नहीं बताई लेकिन बहुत दिन तक बार-बार वो सब याद आता रहा।"
India
लखनऊ। कविता (17 वर्ष) के साथ जब पहली बार छेड़खानी हुई तो उसे पता ही नहीं चला क्योंकि तब वो मात्र नौ वर्ष की थी। हां, सामने वाले के छूने का तरीका उसे गंदा जरूर लगा था लेकिन संकोच और शर्म के कारण किसी से बता नहीं पाई।

कविता बताती है, "मैं उस वक्त काफी छोटी थी, अपने चाचा के साथ गाँव जा रही थी। बस में बैठने की जगह नहीं थी इसलिए चाचा ने मुझे एक अंकल की गोद में बैठा दिया उन्होंने मुझे कई बार गलत तरीके से छुआ मैं डर के मारे चुपचाप बैठी रही। मैंने ये बात किसी को घर में नहीं बताई लेकिन बहुत दिन तक बार-बार वो सब याद आता रहा।"

कविता की तरह न जाने कितनी किशोरियां हैं, जो बचपन में ही इस छेड़खानी का शिकार हो चुकी होती हैं लेकिन उस समय कम समझ और शर्म के मारे वो इन बातों को सबसे छुपा लेती हैं।

यूनिसेफ की रिपोर्ट हिडेन इन प्लेन साइट के मुताबिक बच्चों के खिलाफ हिंसा को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है और इसे सामान्य बात मानकर स्वीकार लिया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया कि 15 साल से 19 साल तक की उम्र वाली 77 फीसदी लड़कियां कम से कम एक बार किसी न किसी तरह की यौन क्रिया में जबरदस्ती का शिकार हुई हैं।

अगर शुरुआत से बच्चे को इसके बारे में बताया जाए तो उसे ये समझ आएगा कि अगर उसके साथ ऐसा कुछ हो रहा है तो क्या करना चाहिए। चाइल्ड लाइन के संयोजक अजीत कुशवाहा इस बारे में बताते हैं, "हमारे पास अभी हाल ही में ऐसे मामले आए हैं, जिनमें आठ से दस साल की लड़कियों के साथ उनके ही किसी रिश्तेदार ने ऐसा करने की कोशिश की है। हम अप्रैल महीने में बेसिक शिक्षा अधिकारी के सहयोग से पूरे लखनऊ के सरकारी स्कूलों और बस्तियों में जाकर बच्चों को समझाते हैं।"

इंटरमीडिएट की छात्रा ज्योति सिंह (18 वर्ष) इस बारे में बताती हैं, "ये तो हर दूसरी लड़की के साथ होता है। ज्यादातर जब हम स्कूल या कॉलेज बस या ऑटो से जा रहे हो या फिर बाजार, मेले यहां तक कि मंदिर में लोग बगल से गलत तरीके से छू कर निकल जाते हैं और हम चुप रह जाते हैं। "

बाल यौन उत्पीडन के मामले में बढ़ोत्तरी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक देश में बाल यौन उत्पीड़न के मामले तीन सौ छत्तीस प्रतिशत बढ़ गए हैं | साल 2001 से 2011 के बीच कुल 48,338 बच्चों से यौन हिंसा के मामले दर्ज किये गए,साल 2001 में जहाँ इनकी संख्या 2,113 थी वो 2011 में बढ़कर 7,112 हो गई ।

जब भी लड़कियों के साथ ये घटना होती है तो उसका शारीरिक असर तो होता ही है लेकिन मानसिक स्वास्थ्य पर और भी गहरा असर पड़ता है। लखनऊ की मनोवैज्ञानिक डॉ. नेहा आनन्द बताती हैं, "ऐसे हिंसा में बच्चे सहम जाते हैं। उम्र कम होने के कारण उनके पास कोई अनुभव नहीं होता है वो समझ नहीं पाते हैं कि ऐसे में क्या करें। हां उन्हें ये पता होता है कि कुछ हो रहा है जो उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लगा है। ज्यादातर लड़कियां इसकी शिकार बचपन में ही हो चुकी होती हैं लेकिन उन्होंने ये बातें तब किसी को नहीं बताई होगीं।"

डॉ. नेहा आगे बताती हैं, "ऐसे में लड़कियों पर बहुत बुरा असर पड़ता है उनके मन में एक डर बैठ जाता है फिर वो सबसे कटने लगती हैं और चुपचाप रहने लगती हैं। बच्चों को ऐसी घटनाआें से बचाने के लिए उन्हें सेक्स एजुकेशन, गुड टच बैड टच के बारे में भी बताएं।"

हाईकोर्ट के एडवोकेट महेन्द्र प्रताप सिंह बताते हैं, "18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह की यौन हिंसा से बचाव के लिए 2012 में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस यानी पोक्सो कानून बना है। ऐसे मामलों के लिए उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और इसमें सुनवाई स्पेशल कोर्ट में होती है। इसके तहत अलग अलग अपराध की श्रेणी में अलग अलग सजा तय है।"

ऐसे हिंसा में बच्चे सहम जाते हैं। उम्र कम होने के कारण उनके पास कोई अनुभव नहीं होता है वो समझ नहीं पाते हैं कि ऐसे में क्या करें। हां उन्हें ये पता होता है कि कुछ हो रहा है जो उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लगा है। ज्यादातर लड़कियां इसकी शिकार बचपन में ही हो चुकी होती हैं लेकिन उन्होंने ये बातें तब किसी को नहीं बताई होगीं।
मनोवैज्ञानिक, डॉ नेहा आंनद बच्चे लगभग हर जगह उत्पीड़न के शिकार हैं बच्चे लगभग हर जगह उत्पीड़न के शिकार हैं अपने घरों के भीतर, सड़कों पर, स्कूलों में, अनाथालयों में और सरकारी संरक्षण गृहों में भी संयुक्त राष्ट्र की संस्था एशियन सेंटर फॉर ह्यूमन राईट्स के प्रकाशन इंडियाज हेल हाउस यह बताता है कि बच्चे बाल संरक्षण गृहों में भी सुरक्षित नहीं इस रिपोर्ट में कुल 39 मामलों को आधार बनाया गया है इन 39 मामलों में से बाल यौन हिंसा के ग्यारह मामले सरकार द्वारा संचालित बाल संरक्षण गृहों में हुए।

Tags:
  • India
  • sexual harassment
  • लड़कियां
  • Hindi Samchar
  • यौन हिंसा
  • save the children
  • children sexual harasment

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.